-जेडीयू और एलजेपी में छिड़ा सियासी घमासान
-चिराग ने नड्डा से की जेडीयू की शिकायत
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली-पटना
बिहार में एनडीए के बीच सियासी पारा लगातार बढ़ता जा रहा है। रामबिलास पासवान की पार्टी लोक जन शक्ति और नीतीश कुमार के जनता दल यू के बीच की खाई और बढ़ गई है। सूत्रों की मानें तो लोक जन शक्ति पार्टी जूडीयू सरकार से अपना समर्थन वापस ले सकती है। समर्थन वापसी के लिए जूडीयू नेता ललन सिंह के पीएम मोदी पर दिये बयान को आधार बनाया जा रहा है।
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एलजेपी नेता चिराग पासवान ने शुक्रवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच इस मुद्दे सहित कई अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई थी। उसके बाद चिराग पासवान ने शनिवार को पटना कार्यालय में पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में ललन सिंह के बयान पर गंभीरता से चर्चा हुई। उसी बैठक के बाद कहा जा रहा है कि लोजपा नीतीश कुमार सरकार से समर्थन वापस ले सकती है।
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बता दें कि राम विलास पासवान ने एक ट्वीट किया था। उस ट्वीट में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए कहा था कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों को कोरोना महामारी नियंत्रण को लेकर उनसे सीख लेनी चाहिए। लोजपा का मानना है कि ललन सिंह ने इसी ट्वीट के जवाब में कहा कि राम विलास पासवान कालीदास की तरह हैं जो उसी टहनी को काट रहे हैं जिस पर बैठे हुए हैं।
2 विधायकों के दम पर समर्थन वापसी!
बिहार में विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। इनमें से लोजपा के पास केवल 2 विधायक हैं। ऐसे में यदि एलजेपी समर्थन वापस भी लेती है तो भी नीतीश सरकार पर किसी तरह की मुश्किल नहीं आने वाली है। इसके बावजूद चिराग पासवान लगातार बिहार की नीतीश सरकार पर हमलावर हैं। वह लगातार बिहार की जेडीयू सरकार को नाकाम बताने में जुटे हुए हैं। पिछले दिनों ही उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं को किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहने के लिए कहा था।
जेडीयू के एजेंडे से जताई आपत्ति
बिहार की जमुई लोकसभा सीट से सांसद चिराग पासवान ने जेपी नड्डा के साथ हुई मुलाकात में बताया है कि किस तरीके से जेडीयू लगातार एलजेपी की उपेक्षा कर रही है। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष से स्पष्ट कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के जल, जीवन, हरियाली और सात निश्चय का एजेंडा उनकी पार्टी का एजेंडा नहीं है। चिराग पासवान ने यह मांग भी रखी है कि बिहार विधानसभा चुनाव अगर एनडीए के तीनों घटक दलों को साथ लड़ना है, तो उससे पहले न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाना पड़ेगा, जिसमें सभी दलों के एजेंडे को शामिल किया जाना चाहिए।
एलजेपी के एजेंडे को मिले प्राथमिकता
बिहार की सियासी उथल पुथल के दौरान चिराग पासवान चाहते हैं कि उनकी पार्टी के एजेंडे को एनडीए में प्राथमिकता दी जाए। एलजेपी के कार्यक्रम ’बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ को एनडीए के न्यूनतम साझा कार्यक्रम में जगह मिले। भाजपा अध्यक्ष से दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद चिराग पासवान ने इसी को लेकर शनिवार 15 अगस्त को पटना में पार्टी के बड़े नेताओं की बैठक बुलाई थी। पार्टी कार्यालय में झंडा फहराने के बाद चिराग ने वरिष्ठ नेताओं के साथ आगामी चुनाव में पार्टी की रणनीति को लेकर चर्चा की।
एलजेपी मांगे ज्यादा सीटें
सियासी जानकारों का कहना है कि लोक जन शक्ति पार्टी के मुखिया चिराग पासवान आने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए ज्यादा सीट चाहते हैं। उनकी बेचैनी इस बात को लेकर है कि अभी तक एनडीए में यह तय नहीं हुआ है कि इस बार कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा। इसी को लेकर चिराग पासवान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच पिछले कुछ महीनों से टकराव के हालात बने हुए हैं। नीतीश कुमार एनडीए में चिराग पासवान को तरजीह नहीं दे रहे हैं। जिसकी वजह से चिराग मुख्यमंत्री से नाराज बताए जा रहे हैं।
119 सीट पर एलजेपी का दावा
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में लोक जन शक्ति पार्टी ने 42 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उसे महज 2 सीटों पर ही जीत हासिल हो सकी थी। लेकिन इस बार चिराग पासवान अपनी पार्टी के लिए 119 सीट चाहते हैं। जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को महज 4 फीसदी वोट शेयर हासिल हो सका था। सियासी जानकारों का कहना है कि पिछली बार जेडीयू और आरजेडी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। ऐसे में बीजेपी ने एलजेपी को उम्मीद से ज्यादा 42 सीटें दे दी थीं। बाद में जेडीयू-आरजेडी गठबंधन टूट गया था। नीतीश कुमार इस बार एलजेपी को ज्यादा सीटें दिए जाने के पक्ष में नहीं हैं। इसलिए चिराग पासवान दबाव की राजनीति के तहत इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं।