बिहारः सामने आने लगी बीजेपी-जेडीयू के रिश्तों की तल्खी

-नीतीश बोलेः चुनाव में पता ही नहीं चला कौन दोस्त और कौन दुश्मन?
-नीतीश का दावाः 5 साल का कार्यकाल पूरा करेगी एनडीए सरकार
-जेडीयू प्रदेश कार्यकारिणी में बीजेपी को ठहराया कम सीटों का जिम्मेदार

एसएस ब्यूरो/ पटना
समय बीतने के साथ ही बिहार की सियासत में नई-नई उठापटक देखने को मिल रही है। अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के रिश्तों के बीच की तल्खी भी सामने आने लगी है। शनिवार को बीजेपी पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे में हुई देरी की वजह से उनकी पार्टी जेडीयू को नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव से पांच महीने पहले इसे अंजाम दिया जाना चाहिए था।

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जेडीयू की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में शनिवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दर्द छलक पड़ा। उन्होंने कहा कि ’’एनडीए में सीटों का बंटवारा चुनाव से पांच महीने पहले हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसका परिणाम हुआ कि जेडीयू को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। मैं मुख्यमंत्री बनने के पक्ष में नहीं था, लेकिन बीजेपी और मेरी पार्टी के दबाव में मैंने पद लेना स्वीकार किया। ’’नीतीश कुमार ने लोकजनशक्ति पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कहा कि हमने जहां भी मांगा, लोगों ने हमारे पक्ष में मतदान किया, हमारी ओर से कोई दुविधा नहीं थी। लेकिन मेरे और मेरी पार्टी के खिलाफ झूठे प्रोपेगेंडा फैलाए गए।’’

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नीतीश कुमार ने आगे कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी पार्टी यह अनुमान लगाने में विफल रही कि कौन दोस्त थे और कौन नहीं। नीतीश ने कहा कि ’’हम यह अनुमान लगाने में विफल रहे कि कौन हमारे दोस्त थे और कौन दुश्मन और किन पर हमेशा भरोसा करना चाहिए था। चुनाव प्रचार के बाद, हम समझ गए कि चीजें हमारे लिए अनुकूल नहीं थीं, लेकिन उस समय तक बहुत देर हो चुकी थी।’’ जेडीयू कार्यकारिणी बैठक के दौरान कई नेताओं ने कम सीटें आने के लिए बीजेपी के सिर पर ठीकरा फोड़ते हुए कहा कि चुनाव में उनकी सीटें एलजेपी की वजह से नहीं बल्कि बीजेपी की वजह से कम आईं हैं।

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बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को जीत जरूर मिली, लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी इस बार तीसरे नंबर पर रही। जेडीयू की सीटें बीजेपी से काफी कम रहीं। बीजेपी ने जहां 74 सीटों पर जीत दर्ज की तो जेडीयू के खाते में 43 सीटें ही आईं। लोक जनशक्ति पार्टी नेता चिराग पासवान बीजेपी का समर्थन करते रहे तो जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर कई सीटों पर उन्होंने नीतीश की पार्टी को नुकसान पहुंचाया।

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हालांकि बैठक के दौरान नीतीश कुमार ने चुनाव में हार का मुंह देखने वाले अपनी पार्टी के नेताओं से चुनाव परिणाम भूलकर पूरी मजबूती से काम में लग जाने को कहा है। उन्होंने कहा कि अपने क्षेत्र की सेवा उसी तरह कीजिए जैसे आप चुनाव जीतकर करते। सरकार पूरे पांच साल चलेगी। उन्होंने कहा कि आजकल लोग सोशल मीडिया का उपयोग दुष्प्रचार के लिए करते हैं। तरह-तरह का भ्रम फैलाते हैं। आप उसका उपयोग लोगों के बीच अपनी पॉजिटिव बातों को रखने में कीजिए।
खरमास के बाद होगा मंत्रीमंडल विस्तारः मुकेश सहनी
बिहार के पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्री एवं विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के मुखिया मुकेश सहनी ने कहा है कि खरमास के बाद नीतीश मंत्रीमंडल का विस्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे बीच में कोई मतभेद नहीं हैं और सरकार अपना कार्यकाल मजबूती के साथ पूरा करेगी। सूत्रों का कहना है कि उन्होंने बीजेपी और जेडीयू के सामने मंत्रीमंडल में उनकी पार्टी के लिए एक और सीट देने की मांग भी रखी हैं बता दें कि वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी विधानसभा चुनाव में हार गए थे। इसके बावजूद उन्हें बिहार सरकार में मंत्री बनाया गया है। अब उन्हें मंत्रीमंडल में बने रहने के लिए खुद विधान परिषद की सदस्यता का आसरा है।
तेजस्वी ने नकारा जेडीयू का साथ
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भविष्य में नीतीश के साथ जाने की संभावनाओं को पूरी तरह से नकार दिया है। पटना में शुक्रवार को उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के साथ जाने का कोई सवाल ही नहीं बनता है। तेजस्वी ने यह भी कहा कि बिहार में मध्यावधि चुनाव होना तय है और मैंने अपने कार्यकर्ताओं को इसके लिए तैयार रहने को कह दिया है। बता दें कि अरूणाचल प्रदेश में जेडीयू के 6 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद आरजेडी ने जेडीयू नेताओं के गुस्से को भुनाने की कोशिश की थी। आरजेडी की ओर से नीतीश को साधने की कोशिश की गई थी। आरजेडी उपध्यक्ष श्याम रजक ने यहां तक दावा कर दिया था कि जेडीयू के 17 विधायक अपने हाथ में कभी भी लालटेन थम सकते हैं।