-राष्ट्रीय जनता दल और झारखंड मुक्ति मोर्चा भी अपने खाते से राज्यसभा भेजने को थे तैयार
-कांग्रेस में 10 राज्यसभा सीटों के लिए मारामारी…राज्यसभा की चाहत वाले नेताओं की लंबी कतार
शक्ति सिंह/ नई दिल्ली, 25 मई, 2022
कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है पार्टी के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़ दी है। बुधवार को उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया और सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया। कपिल सिब्बल कांग्रेस हाईकमान और खासतौर पर राहुल गांधी की कार्यशैली से नाराज चल रहे हैं।
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माना जा रहा था कि कांग्रेस उन्हें फिर से राज्यभा भेजने के लिए तैयार नहीं थी और वैसे भी वह अभी उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं और कांग्रेस के पास यूपी में अब इतने विधायक नहीं हैं कि सिब्बल को यहां से फिर से राज्यसभा भेजा जा सके। बता दें कि नामांकन दाखिल करने से पहले कपिल सिब्बल दिल्ली में समाजवादी पार्टी के दफ्तर गए थे और वहां से वे अखिलेश यादव के साथ ही राज्यसभा पहुंचे।
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अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद कपिल सिब्बल ने कहा कि वे 16 मई को ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। हालांकि कांग्रेस की ओर से इस बात की जानकार मीडिया को नहीं दी गई थी। कपिल सिब्बल पिछले दिनों राजस्थान में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर में भी शामिल नहीं हुए थे। तभी से माना जा रहा था कि सिब्बल कभी भी कांग्रेस को छोड़ सकते हैं। बता दें कि उन्होंने मार्च में एक इंटरव्यू के दौरान गांधी परिवार पर जमकर निशाना साधा था।
तीन दलों की ओर से था राज्यसभा का ऑफर
दिलचस्प बात है कि जब कांग्रेस में सिब्बल के टिकट पर सस्पेंस बरकरार था, तो उसी समय 3 दूसरे विपक्षी दल उन्हें अपने कोटे से राज्यसभा भेजने को तैयार थे। उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी, बिहार से राष्ट्रीय जनता दल और झारखंड से झारखंड मुक्ति मोर्चा कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजने का मूड बना चुके थे। फिलहाल कपिल सिब्बल ने अखिलेश यादव के साथ जाने का मन बनाया।
सपा, आरजेडी और झामुमो की मजबूरी
कांग्रेस के नाराज नेता कपिल सिब्बल को अपने खाते से राज्यसभा भेजने की तीनों दलों की अपनी मजबूरी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव कपिल सिब्बल के जरिये आजम खान को साधने की कोशिश में हैं। क्योंकि कपिल सिब्बल ने ही सुप्रीम कोर्ट में आजम का केस लड़ा है और उनकी जमानत करवाने में कपिल सिब्बल की बड़ी भूमिका है। जबकि बिहार में लालू प्रसाद यादव का परिवार एक बार फिर से कानूनी मुश्किलों में फंस गया है और झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी खतरे में पड़ गई है।
1. सपाः सिब्बल को आगे कर आजम को साधने की कोशिश
हाल ही में सपा के कद्दावर नेता आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत दिलाने में कपिल सिब्बल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जेल से निकलने के बाद आजम ने सिब्बल के शान में कसीदे भी पढ़े। खास बात ये कि जेल से निकलने के बाद आजम सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से अब तक नहीं मिले हैं। यूपी विधानसभा चुनाव हारने के बाद से ही अखिलेश यादव अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर हैं। कपिल सिब्बल के जरिये उन्होंने एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की है। पहला यह कि आजम खान को साधा जा सके और दूसरा उन्हें दिल्ली में एक बड़े नेता का साथ मिल गया है।
2. राजदः कानूनी झमेलों में फंसे लालू परिवार के लिए जरूरी
लालू प्रसाद यादव का चारा घोटाले वाला केस लड़ने वाले कपिल सिब्बल को आरजेडी अपने खाते से राज्यसभा भेजना चाहती थी। राष्ट्रीय जनता दल को इस बार राज्यसभा की 2 सीटें मिलनी तय हैं। ऐसे में एक सीट पर पार्टी सिब्बल को उच्च सदन में भेजना चाहती थी। इसकी बड़ी वजह लालू परिवार का कानूनी पचड़ों में फंसना बताया जा रहा है।
लालू चारा घोटले में दोषी हैं और उनका केस अलग-अलग कोर्ट में चल रहा है। लालू अभी जमानत पर जेल से बाहर हैं। सिब्बल अभी चारा घोटाला से जुड़े केस में लालू के वकील हैं। इसके अलावा, लालू के ठिकानों पर पिछले दिनों ही सीबीआई की रेड पड़ी है। तेजस्वी यादव और मीसा भारती पर भी एक मामले में केस दर्ज है। ऐसे में राजद कपिल सिब्बल को साथ जोड़कर कानूनी तौर पर मजबूत होने की तैयारी में थी। इससे पहले 2016 में लालू यादव वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी को भी राज्यसभा भेज चुके हैं।
3. झामुमोः हेमंत को अपनी सीएम की कुर्सी की चिंता
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पिछले कुछ दिनों से बड़ी मुश्किलों में घिरे हुए हैं। उनके ऊपर मंत्री रहते हुए माइंस की लीज लेने का आरोप है। इस मामले में उनकी सदस्यता रद्द करने का केस चुनाव आयोग के पास विचाराधीन है। यह मामला कोर्ट में भी गया है। कोर्ट में सोरेन की तरफ से इस मामले की पैरवी कपिल सिब्बल ही कर रहे हैं।
माइनिंग लीज में नाम आने के बाद से ही झारखंड में सियासी सुगबुगाहट तेज है। हेमंत सोरेन से जुड़ा केस को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया था। सूत्रों का कहना है कि झामुमो अपने कोटे से सिब्बल को राज्यसभा भेजने का मन बना चुकी थी। झारखंड में 2 सीटों पर चुनाव होना है, जिसमें सत्ताधारी दल को एक सीट मिलना तय माना जा रहा है। वहीं एक सीट पर फाइट होने की उम्मीद है।
5 राज्यों में विधानसभा चुनाव में हार के बाद गांधी परिवार के खिलाफ खोला था मोर्चा
पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद कपिल सिब्बल ने गांधी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। सिब्बल ने कहा था कि कांग्रेस में अध्यक्ष ना होते हुए भी फैसला राहुल गांधी ले रहे हैं, जबकि हार की जिम्मेदारी कोई नहीं लेता। राहुल के रहते कांग्रेस कई चुनाव हार चुकी है, ऐसे में नए लोगों को नेतृत्व दिया जाना चाहिए।
10 सीटों के लिए कांग्रेस में उम्मीदवारों की लंबी कतार
राज्यसभा चुनाव में इस बार 10 सीटों पर कांग्रेस को जीत की उम्मीद है। इनमें राजस्थान-छत्तीसगढ़ की 2-2, झारखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु की एक-एक सीटें शामिल हैं। इन 10 सीटों के लिए दावेदारों की लंबी लाइन है, इनमें पी चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, अविनाश पांडे, अंबिका सोनी, विवेक तन्खा, सुबोध कांत सहाय और रणदीप सुरजेवाला जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान के सामने किसी को छोड़ना और किसी का चयन करना बड़ी समस्या है।