बिधूड़ी ने गिनाए कृषि सुधार बिलों के फायदे

-किसानों भ्रमित कर रहे विरोधी दलः रमेश बिधूड़ी

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
दक्षिणी दिल्ली से बीजेपी सासंद रमेश बिधूड़ी ने कृषि सुधार बिल के फायदे गिनाए। उन्होंने कहा कि कृषि सुधार कानून को लेकर विरोधी दल किसानों को भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने पहले जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) की अपने संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दक्षिण जिले के उपायुक्त बीएम मिश्रा व दिल्ली सरकार के सम्बंधित अधिकारियों के साथ बैठक की।
इसके पश्चात उन्होंने अपने लोधी एस्टेट स्थित सरकारी आवास पर कृषि बिल पर प्रेस वार्ता की। इस दौरान उनके साथ महरौली जिलाध्यक्ष जगमोहन महलावत उपस्थित थे। रमेश बिधूड़ी ने कहा कि विपक्षी पार्टियों द्वारा बिल को लेकर भ्रामक प्रचार किया जा रहा है। इस बिल के अन्दर कुछ विरोधी पार्टियॉं विशेष रूप से कांग्रेस राजनीति कर रही है। जबकि इस बिल में एक भी क्लॉज ऐसी नहीं है जो किसानों को नुकसान पहु्ॅंचाती हो। यह बिल पूर्ण रूप से 100 फीसदी किसानों के हित में है। वह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि मंडियॉं अब खत्म कर दी जाएंगी, जबकि ऐसा नहीं है। यह तथ्यों से परे है, मंडियॉं ज्यों कि त्यों सभी रहेंगी।

यह भी पढ़ें- नॉर्थ डीएमसीः कैसे मिले सेलरी… जब पार्किंग व विज्ञापन ठेकेदारों नहीं हो रही करोड़ों की वसूली?

रमेश बिधूड़ी ने आगे कहा कि वह दुष्प्रचार कर रहे हैं एमएसपी खत्म कर दी जाएंगी। जबकि इन बिलों का एमएसपी का कोई लेना-देना नहीं है। एमएसपी प्रतिवर्ष सरकार यूॅंही तय करती रहेगी। किसान चाहें अपना अनाज मंडी में बेचें या खुले बाजार में बेचें अब इससे किसान की बाउंडेशन राज्य की मंडियों से खत्म कर दी गई है। अब किसान अपनी मर्जी से पूरे भारत को एक मंडी के रूप में विस्तृत बनाकर भारत की किसी भी मंडी में अपनी उपज को अपनी इच्छा के मूल्यों के अनुसार बेच सकता है। जिससे किसान एक दबाव और गुलामी की प्रवृति से निकलकर बाहर आएगा।

यह भी पढ़ें- डेंगू फैला रहे मेट्रो, स्कूल, अस्पताल, डीटीसी बस डिपो

बीजेपी सांसद ने कहा कि यह किसानों को लाभ देने वाला बिल है। इस बिल के अंदर ठेकेदार किसान से कोई भी कॉन्ट्रैक्ट करेगा तो वहॉं पर 30 दिन के अंदर अगर कॉन्ट्रैक्ट में कोई भ्रान्ति व कुवितरण हो जाता है तो एसडीएम को अधिकार है कि उसका निबटान करे। पहले एसडीएम पंचायत के माध्यम से दो व्यक्ति किसान व दो व्यक्ति ठेकेदार बुलाकर फेसला तय करेगा और नहीं करेगा तो 30 दिन में एसडीएम को उसका फेसला देना पड़ेगा। फैसले में भी एसडीएम बाध्य है कि वो किसान को किसी भी तरह से जुर्माना/पेनल्टी नहीं लगा सकता। ज्यादा से ज्यादा किसान करार को रद्द करना चाहता है तो किसान ने जो एडवांस में लिया है उसे वापस लौटाएगा।

यह भी पढ़ें- जानें… किस किस का अमंगल करेंगे मंगल?

यह स्थिति भी तब आएगी जब जब किसान की फसल बिक जाएगी। अगर किसान की फसल बिकने पर भी वह पैसा पूरा नही देता है तो उसके घर, जमीन, खेत से कोई लेना-देना नही है। करार जो होगा वह फसल का होगा ना कि जमीन व खेत का होगा। इस करार के माध्यम से अगर किसान से कोई करारदाता करार करेगा तो करार करते वक्त जो कीमत तय की जायेगी उसके अंतर्गत अगर ओले पड़ जायें, बाढ आदि से फसल को नुकसान होता है तो किसान को इसकी कीमत का पूरा पैसा देने का करारदाता हकदार होगा। ऐसी स्थिति में किसान को पूरा पैसा दिया जाएगा चाहें वह ठेकेदार इंश्योरेंस से ले या कहीं से भी ले किसान को उससे कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए एमएसपी से ऊपर हुए करार में किसी भी नुकसान का दायित्व केवल करारदाता का होगा किसान का नहीं होगा। इस बिल में इस प्रकार के अनेकों प्रावधान हैं जो किसान उसकी माली हालत से ऊपर उठाने का काम करेंगे।