आषाढ़ अमावस्याः शुभ मुहूर्त में इस तरह करें पूजा

-स्नान, दान के पश्चात करें पितरों का स्मरण

आचार्य रामगोपाल शुक्ल/ नई दिल्ली
ज्योतिष शास्त्र में आषाढ़ मास की अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने यह शुक्रवार 9 जुलाई 2021 को पड़ रही है। इस अमावस्या तिथि को आषाढ़ अमावस्या भी कहा जाता है। धार्मिक शास्त्रों में इसका विशेष महत्व बताया गया है। आषाढ़ मास में धार्मिक कार्य, पूजा और उपासना का विशेष महत्व बताया गया है। आषाढ़ मास में दान, स्नान और पितरों को याद करना अत्यंत शुभ फल देने वाला माना गया है। आषाढ़ मास को भगवान विष्णु का प्रिय मास कहा गया है। इसीलिए इस मास में भगवान विष्णु की पूजा को भी विशेष बताया गया है। इस अमावस्या की तिथि को आषाढ़ अमावस्या, हलहारिणी अमावस्या, अषाढ़ी अमावस्या और अमावसइन नामों से भी जाना जाता है।

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आषाढ़ मास की अमावस्या कृषि के महत्व को भी बताती है। भारत कृषि प्रधान देश है। हमारे देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि कार्य से जुड़ा है। आषाढ़ मास ये वर्षा ऋतु प्रारंभ होती है। अच्छी वर्षा का अर्थ अच्छी खेती माना जाता है। यही कारण है कि किसान लोग इस दिन कृषि उपकरणों की विशेष पूजा करते हैं। इसी वजह से इस अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या भी कहा जाता है। भारत के अलग अलग इलाकों में किसान इस दिन हल की पूजा करने के साथ ही भगवान विष्णु से अच्छी फसल की कामना करते हैं। इस दिन पूजा पाठ करके हम अपने पितृ दोष से मुक्ति पाते हैं।
पितरों को समर्पित 
अमावस्या की तिथि में पितृ पूजा को भी विशेष महत्व दिया जाता है। विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में वर्णित किया गया है कि इस दिन पितरों को याद करना चाहिए। आषाढ़ अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध करना उत्तम माना गया है।
आषाढ़ अमावस्या का व्रत, तिथि व शुभ मुहूर्त
आषाढ़ मास की अमावस्या इस वर्ष 9 जुलाई, 2021 शुक्रवार को है। इसी दिन व्रत और पूजा का कार्य किया जाएगा। व्रत का पारायण 10 जुलाई 2021 को किया जाएगा। आषाढ़ मास की अमावस्या की तिथि 9 जुलाई की सुबह 5 बजकर 16 मिनट से आरंभ होगी और 10 जुलाई 2021 की सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी।
जानें पूजा विधि
इस दिन प्रातःकाल उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। सूर्योदय के समय भगवान सूर्यदेव को जल का अर्ध्य देकर अपने पितरों को याद करना चाहिए। इसी दिन सारे कर्मकांड के साथ पितरों को तर्पण करें और पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखें। इस दिन जरूरतमंदों की मदद और ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
सावधानी
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन किसी भी तरह की तामसिक चीजों को ग्रहण नहीं करना चाहिए। इस दिन सभी तरह की बुराइयों से दूर रहना चाहिए। ऐसा न करने से आपके भविष्य पर बुरा प्रभाव पड़ता सकता है।
नोटः आलेख में वर्णित विचार हिंदू धर्म एवं सनातन संस्कृति की परंपराओं पर आधारित हैं। इसके संबंध में किसी भी प्रकार का दावा नहीं किया गया है। उपरोक्त वर्णित लेख में धार्मिक जनरूचि को ध्यान में रखा गया है। अलग अलग धर्मों की अलग मान्यताएं हो सकती हैं।
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