NORTH DMC का एक और कारनामाः तय राशि से करीब एक करोड़ कम में बेच दिया कर्मपुरा का कॉमर्शियल प्लॉट

-पहले तय की थी 7.7 करोड़ न्यूनतम राशि, बाद में घटाकर कर दी 6.36 करोड़
-मात्र एक ही बिड पर 10 हजार के लालच में बेच दिया करोड़ों का कमर्शियल प्लाट

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी शासित उत्तरी दिल्ली नगर निगम का एक और कारनामा सामने आया है। पहले पूर्व में तय न्यूनतम राशि को घटाया गया और बाद में तय की गई न्यूनतम राशि पर महज 10 हजार रूपये बढ़ाकर करोड़ों रूपये की व्यावसायिक संपत्ति बेच दी गई। आश्चर्य की बात है कि आम तौर पर टेंडर प्रक्रिया में केवल एक बिड आने पर उसे निरस्त कर दिया जाता है। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया और संपत्ति खरीदने के लिए आई एक ही बिड पर प्लॉट को बेच दिया गया।

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मामला उत्तरी दिल्ली नगर निगम के कर्मपुरा में स्थिति संपत्ति संख्या डी-3 का है। यहां कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स का निर्माण होना है। प्राइम लोकेशन पर स्थित 48 फुट बाई 48 फुट का यह प्लॉट कुल 214.04 वर्ग मीटर का है। इसे बेचने के लिए 2015 में एक प्रस्ताव लाया गया था। ब इस प्लॉट की न्यूनतम कीमत 7 करोड़ 7 लाख रूपये निर्धारित की गई थी। बीजेपी शासित नगर निगम में तब भी इस प्रस्ताव को अर्जेन्ट बेसिस पर लाया गया था। लेकिन तब यह योजना सिरे नहीं चढ़ सकी थी।

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आम तौर पर साल-दर-साल संपत्तियों खास तौर पर भूमि की कीमत बढ़ती है। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। बताया जा रहा है कि बाद में पहले से निर्धारित 7 करोड़ से ज्यादा की कीमत को घटाकर 6 करोड़ 36 लाख 30 हजार रूपये कर दिया गया। मामला इतने पर ही नहीं रूका। दिखावे के लिए तो इस भूमि को बेचने के लिए अग्रेजी, उर्दू और हिंदी के चार अखबारों में विज्ञापन दिया गया। लेकिन यह केवल औपचारिकता ही रही। क्योंकि इन छोटे-छोटे विज्ञापनों पर किसी की नजर ही नहीं पड़ी।

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खास बात है कि डी-3, कर्मपुरा कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स की 214 वर्ग मीटर के प्लॉट के लिए नई न्यूनतम राशि 6,36,30,000 रूपये रखी गई थी। इसके लिए आरएस बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स ने 6,36,50,000 रूपये की बोली लगाई और निगम के सत्ताधारी नेताओं और नगर निगम के आला अधिकारियों ने इस एक मात्र बोलीदाता को यह प्लॉट देने का फैसला कर लिया। यह प्रस्ताव निगम की स्थायी समिति की बैठक में दिनांक 27 जुलाई 2021 को लाकर बिना चर्चा के ही पास कर दिया गया। स्थायी समिति के एजेंडा के प्रस्ताव संख्या 40 में प्रज संख्याः 308 पर खुद लिखा गया है कि इस संपत्ति के लिए न्यूनतम राशि से महज 10 हजार रूपये की राशि ही अधिक मिल रही है।
अपनों को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं किया प्रचार
छोटी-छोटी बातों को बढ़ाचढ़ाकर बताने वाले सत्ताधारी बीजेपी के नेताओं और नगर निगम के आला अधिकारियों ने नगर निगम की इन सरकारी संपत्तियों को बेचने के लिए पैसे खर्च करके अखबारों में छोटे-छोटे विज्ञापन तो जारी किये, लेकिन मुफ्त की एक प्रेस रिलीज जारी करना जरूरी नहीं समझा। सूत्रों का कहना है कि यदि प्रेस विज्ञप्ति जारी की जाती तो आम लोगों को पता चल जाता और फिर अपनों को करोड़ों रूपये की संपत्तियां कौड़ियों के भाव नहीं बेची जा सकती थीं।
सरकारी संपत्तियों को बेचने पर आप हमलावर
पुरानी दिल्ली के ऐतिहासिक नावल्टी सिनेमा की भूमि को कौड़यों के दाम बेचे जाने का मामला गरम है। आम आदमी पार्टी लगातार इस मामले को सियासी मुद्दा बनाये हुए है। आप नेताओं का आरोप है कि नावल्टी सिनेमा की भूमि से नगर निगम को 200 से ढाई सौ करोड़ तक की आमदनी हो सकती थी, लेकिन केवल 34 करोड़ रूपये में बेचकर बड़ा घोटाला किया गया है। आम आदमी पार्टी ने बीजेपी शासति नगर निगमों द्वारा सरकारी संपत्तियां बंचे जाने को सियासी मुद्दा बना लिया है। आने वाले दिनों में बीजेपी के लिए सरकारी संपत्तियां बेचे जाने का मामला और मुश्किलें खड़ी कर सकता है। ऐसे में अगले साल होने वाले नगर निगम चुनावों में भी इसका असर देखने को मिल सकता है।