-23 नवंबर को आयेंगे दोनों राज्यों के साथ उपचुनावों के नतीजे
-दो लोकसभा और 48 विधानसभा सीटों पर भी होना है चुनाव
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 15 अक्टूबर।
चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने महाराष्ट्र (Maharashtra) और झारखंड (Jharkhand) विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) का ऐलान कर दिया है। चुनाव आयोग ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा की है। महाराष्ट्र में एक चरण में 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को मतगणना की जायेगी। चुनाव के ऐलान के साथ ही दोनों राज्यों में नयी सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों के बीच मुकाबले का मंच तैयार हो चुका है।
झारखंड में दो चरणों में चुनाव होगा। पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को होगा और दूसरे चरण का मतदान 20 नवंबर को होना है। झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों के ही साथ 23 नवंबर को होगी। दोनों राज्यों के साथ ही दो लोकसभा सीट और अलग अलग राज्यों की 48 विधानसभा सीटों के लिए भी चुनाव होना है। राहुल गांधी के द्वारा छोड़ी गई वायनाड लोकसभा सीट के लिए 13 नवंबर को उपचुनाव होगा।
इन सभी सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव के लिए वोट डाले जायेंगे। महाराष्ट्र के नांदेड़ और उत्तराखंड के केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में 20 नवंबर को उपचुनाव होगां कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में वायनाड और रायबरेली सीट से जीत दर्ज की थीं। गांधी ने वायनाड सीट खाली कर दी थी और रायबरेली सीट को बरकरार रखा था। वायनाड सीट से राहुल गांधी की बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी की उम्मीदवार होंगी।
नांदेड़ संसदीय सीट पर उपचुनाव कांग्रेस सांसद वसंत चव्हाण के निधन के कारण हो रहा है। इस सीट पर उपचुनाव महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान वाले दिन ही होगा। निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल की बशीरहाट लोकसभा सीट और उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा फिलहाल नहीं की है। चुनाव आयुक्त ने इन दोनों सीटों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि अदालत में मामला होने के चलते इन जगहों पर उपचुनाव नहीं कराए जा रहे हैं।
23 नवंबर को होगा नतीजों का ऐलान
चुनाव आयोग ने मंगलवार को जिन 48 विधानसभा क्षेत्रों के लिए उपचुनाव की घोषणा की है, उनमें उत्तर प्रदेश की नौ, राजस्थान की सात, पश्चिम बंगाल की छह, असम की पांच, बिहार की चार, पंजाब की चार, कर्नाटक की तीन, केरल की दो, मध्य प्रदेश की दो, सिक्किम की दो तथा छत्तीसगढ़, गुजरात, उत्तराखंड और मेघालय की एक-एक सीट विधानसभा सीट शामिल हैं। सभी उपचुनाव के नतीजों का ऐलान 23 नवंबर को होगा।
26 नवंबर को खत्म होगा महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल
बता दें कि महाराष्ट्र में विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म होगा। झारखंड की बात करें तो राज्य में विधानसभा का कार्यकाल अगले साल पांच जनवरी को समाप्त होने वाला है। वर्तमान में महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन सत्ता में है। शिवसेना के एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री हैं। महाराष्ट्र सरकार शिवसेना, भाजपा और डिप्टी सीएम अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच गठबंधन के साथ चल रही है।
महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी है बीजेपी
2019 का विधानसभा चुनाव शिवसेना और बीजेपी ने मिलकर लड़ा था। राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 165 पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और उसे 105 सीटों पर जीत मिली थी। बीजेपी महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। शिवसेना ने 126 सीट पर चुनाव लड़ा था और उसे 56 पर जीत मिली थी। दूसरी तरफ, कांग्रेस ने 147 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे और उसे 44 सीटों पर जीत मिली थी। जबकि राकांपा को 121 में से 54 सीट पर जीत हासिल हुई थी। नतीजों के ऐलान के बाद भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को बहुमत मिला लेकिन मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर दोनों दलों में बात नहीं बन सकी। जिसके चलते यह गठबंधन टूट गया और शिवसेना ने कांग्रेस और राकांपा से हाथ मिला लिया। राज्य में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में एमवीए की सरकार बनी।
ढाई साल ही चल सकी एमवीए सरकार
तकरीबन ढाई साल तक यह सरकार चली और फिर शिवसेना के विधायक और राज्य सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी के दर्जनों विधायकों ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया। शिंदे ने असली शिवसेना होने का दावा करते हुए बीजेपी के साथ सरकार बना ली और राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। इसी दौरान, राकांपा में भी विद्रोह की स्थिति बन रही थी। पिछले साल जुलाई में अजीत पवार के नेतृत्व में राकांपा एक धड़ा अलग हो गया। इसके अधिकांश विधायक शिवसेना और भाजपा के एकनाथ शिंदे गुट के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ सरकार में शामिल हो गए। इस सरकार में अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया।
झारखंड में डगमगाती रही हेमंत की सरकार
झारखंड में साल 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के गठबंधन ने राज्य की 81 में से 47 सीट जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था। इसके बाद हेमंत सोरेन दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। इस चुनाव में बीजेपी 25 सीट पर सिमट गई थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास भी चुनाव हार गए थे। पिछले पांच सालों में झारखंड में महाराष्ट्र की तरह कोई बहुत बड़ा राजनीतिक उलटफेर तो नहीं हुआ लेकिन इस दौरान झामुमो में घटे कुछ राजनीतिक घटनाक्रमों ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया। मुख्यमंत्री सोरेन को कथित जमीन घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में जनवरी 2024 में गिरफ़्तार कर लिया गया। सोरेन ने गिरफ्तारी से पूर्व मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और नए मुख्यमंत्री के रूप में झामुमो संस्थापक शिबू सोरेन के करीबी सिपहसालार चम्पई सोरेन की ताजपोशी हुई।
झारखंड में दिख सकती है कांटे की टक्कर
हालांकि, जून महीने में हेमंत सोरेन के जमानत पर रिहा होने के बाद चम्पई सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा और एक बार फिर राज्य की कमान हेमंत सोरेन के हाथों में आई गई। इस घटनाक्रम के कुछ दिनों बाद चम्पई सोरेन ने झामुमो से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए। झारखंड में बीजेपी का ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) और जनता दल (यूनाईटेड) के साथ गठबंधन है। इस बार तीनों दल साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। इस गठबंधन का मुकाबला झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन से होगा।