बिल्डर माफिया व निगम अफसरों का गठजोड़ः अवैध निर्माण में सील कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स को खुलवाने की तैयारी

-संपत्ति संख्याः 12/20, डब्लूईए का मामलाः ऊपर सील लेकिन करोड़ो में बेच डालीं बेसमेंट की पार्किंग में बनाकर दुकानें
-निगम अधिकारियों की आंखों पर बंधी पट्टी, सील शॉपिंग कॉम्पलेक्स के सामने लग रहीं 50 हजार रूपये महीने की पटरियां

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
करोलबाग जोन के करोलबाग इलाके में बिल्डर माफिया का राज कुछ इस तरह कायम है कि डब्लूईए-सरस्वती रोड के जिस शॉपिंग कॉम्पलैक्स पर हाथ रखो, वहीं नगर निगम की फाइलों में वर्षों से सील चला आ रहा है। ऐसे ही कुछ कमर्शियल कॉम्पलैक्स को पिछले दिनों सील कर दिया गया था, लेकिन अब इन्हें खुलवाने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि अफसरों और बिल्डर माफिया ने मिलकर इस तरह की तैयारी की है। ताजा मामला सरस्वती मार्ग के चौक पर स्थित संपत्ति संख्याः 12/20, डब्लूईए करोलबाग का है।

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यह शॉपिंग कॉम्पलैक्स नगर निगम के कागजों में वर्षों से सील था। लेकिन पार्किंग के लिए बनाये गये इसके बेसमेंट में दुकानें बनाकर बेची जा रही थीं। करोड़ों रूपये में इनकी रजिस्ट्रियां की गई। लेकिन पिछले दिनों मामला मीडिया में आने के बाद 12/20 और 12/19 की संपत्तियों को सील कर दिया गया था। लेकिन अब कानूनी पेचीदगियों में फंसाकर और मिलीभगत के जरिये इन बिल्डिंगों की सील खुलवाने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि इसके लिए मोटा चढ़ावा चढ़ाया गया है। मामले की सुनवाई 31 मार्च को होनी है।
ऊपर सील और पार्किंग के लिए बनाये गये बेसमेंट में दुकानें बनाकर बेच दी गईं
बताया जा रहा है कि संपत्ति संख्या 12/20 और 12/19 के ऊपर के तलों में अवैध निर्माण के चलते नगर निगम ने सील कर दिया था। लेकिन बिल्डर माफिया ने दोनों संपत्तियों के बेसमेंट को मिलाकर बना दिया और इसमे पार्किंग के बजाय यहां दुकानें बनाकर बेच डालीं। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के तहत करोलबाग जोन के बिल्डिंग विभाग का कारनामा तो देखिये कि इस कॉमर्शियल कॉम्पलैक्स की ऊपर के तलों पर तो निगम अधिकारियों ने सीलिंग कर दी थी, लेकिन बेसमेंट खुला छोड़ दिया। इसी का फायदा उठाकर बिल्डर माफिया पार्किंग के लिए बनाये गये बेसमेंट में दुकानें बनाकर एक के बाद एक धड़ाधड़ दुकानों की रजिस्ट्री करता रहा।
2017 में ही जारी हो गये संपत्तिः 12/19 के डिमालिशन ऑर्डर
संपत्ति संख्याः 12/20 तो कागजों में पहले से ही सील चली आ रही है। इसके साथ ही दो संपत्तियों को मिलाकर बनाये गये जिस कार पार्किंग के बेसमेंट में दुकानों की रजिस्ट्रियां की जा रही हैं, उस संपत्ति संख्या 12/19 (डब्लूईए, करोलबाग) के डिमोलिशन के ऑर्डर 2017 में ही जारी कर दिये गये थे। इस बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर से लेकर फर्स्ट, सैकिंड और थर्ड फ्लोर में अवैध निर्माण पाया गया है। करोलबाग जोन के बिल्डिंग विभाग ने दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 343, 344 और 345-ए के तहत इस संपत्ति के डिमोलिशन ऑर्डर जारी किये थे। लेकिन ये बिल्डर माफिया के निगम अधिकारियों और सत्ताधारी दल के नेताओं के साथ गठजोड़ का कमाल ही है कि इस बिल्डिंग के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी। यही कारण है कि अब बिल्डर माफिया इन दोनों संपत्तियों के बेसमेंट में दुकानें बनाकर धड़ल्ले से बेचता रहा।
सील शॉपिंग कॉम्पलैक्स के बाहर लगे फट्टों का किराया 50 हजार
करोलबाग का बिल्डर माफिया केवल अवैध बिल्डिंगों से ही करोड़ों की कमाई नहीं कर रहा, बल्कि सील किये गये शॉपिंग कॉम्पलैक्सों के बाहर फट्टे लगवाकर भी लाखों रूपये की कमाई हर महीने कर रहा है। संपत्ति संख्याः 12/20, डब्लूईए नगर निगम की फाइलों में सील चल रहा है। लेकिन इसके बाहर पटरी पर करीब दो दर्जन अवैध फट्टे लगवाकर लाखों रूपये की उगाही हर महीने की जा रही है। बताया जा रहा है कि एक-एक फट्टे वाले से 50-50 हजार रूपये महीने का किराया वसूला जा रहा है। अवैध निर्माण के जरिये बनाया गया यह शॉपिंग कॉम्पलैक्स भी उसी बिल्डर माफिया का है, जिन्हें पीड़ित व्यापारी बताते हुए आम आदमी पार्टी के नेताओं ने एक वीडियो जारी किया था और बीजेपी के पूर्व मेयर पर गंभीर आरोप लगाये थे। लेकिन जब से इस बिल्डर माफिया का सच सबके सामने आया है, तब से इस मुद्दे पर ‘आप’ की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। बताया जा रहा है कि बिल्डर माफिया की तरह ही करोलबाग इलाके में पटरी माफिया भी बड़े स्तर पर काम कर रहा है।
उठ रही निगम अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
करोलबाग इलाके में बड़े स्तर अवैध निर्माण और लंबे समय से कागजों में बिल्डिंगें सील होने की खबरें मीडिया में आने के बाद निगम अधिकारियों की पोल खुल गई है। इसके बाद कुछ बिल्डिंगों को सील किया गया था। लेकिन अब उन निगम अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग जोर पकड़ने लगी है, जिनके पद पर रहते हुए यह अवैध निर्माण हुआ और इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी। अब ऐसे निगम अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग भी जोर पकड़़ने लगी है, जिनकी सरपरस्ती में करोलबाग इलाके में पटरी माफिया मोटी उगाही कर रहा है। बता दें कि जिस तरह से सरस्वती रोड के चौराहे पर स्थित संपत्ति संख्या 12/20 के बाहर अवैध फट्टे लगवाकर लाखों रूपये की उगाही की जारही है, उसी तरह का माहौल ज्यादातर शॉपिंग कॉम्पलैक्सों के बाहर देखने को मिल रहा है।