-हरियाणा में कांग्रेस के तालमेल से मना करने के बाद सपा ने अपनाई दबाव की तकनीक
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 9 अक्टूबर।
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कांग्रेस पार्टी (Congress Party) को बड़ा झटका दिया है। कांग्रेस पर दवाब बनाने के लिए अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश विधानसभा उप-चुनाव (UP By Elections) के लिए 6 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। कहा जा रहा था कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मिल कर टिकटों की घोषणा करेगी। लेकिन हरियाणा के चुनावी नतीजों के बाद अखिलेश यादव ने अपनी रणनीति बदल ली है। ऐसा लग रहा है कि वह अब जैसे को तैसा के फ़ॉर्मूले पर चुनाव लड़ने का फ़ैसला कर चुके हैं। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के वादे के बावजूद समाजवादी पार्टी के लिए कांग्रेस ने हरियाणा (Haryana) में सीटें नहीं छोड़ी थी। अखिलेश यादव ने जिन सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की हैं, उनमें से कांग्रेस की दो सीटों पर दावेदारी थी।
हरियाणा के चुनाव नतीजे के ठीक दूसरे दिन बुधवार को अखिलेश यादव ने कांग्रेस को ज़ोर का झटका ज़रा धीरे से दे दिया। कांग्रेस को भरोसे में लिए बिना ही उन्होंने छह टिकटों की घोषणा कर दी। यूपी में विधानसभा की 10 सीटों पर उप चुनाव होने हैं। इनमें से 5 सीटों पर पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत हुई थी। बीजेपी के पास 3 सीट थीं। आरएलडी एक सीट पर जीती थी, जबकि बीजेपी के दूसरे सहयोगी दल निषाद पार्टी के पास एक सीट थी। कांग्रेस पार्टी ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन में 5 सीटों की माँग की थी। कांग्रेस मंझवा, फूलपुर, ग़ाज़ियाबाद, मीरापुर और खैर विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में थी। परंतु अखिलेश यादव ने प्रेशर टैक्टिक्स का दांव चल दिया है। बुधवार को लखनऊ में समाजवादी पार्टी ऑफिस पहुँचते ही उन्होंने छह उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। इस तरह से गठबंधन धर्म निभाने की ज़िम्मेदारी अब कांग्रेस पर छोड़ दी है।
कांग्रेस नेताओं ने छोड़ी केंद्रीय नेतृत्व पर जिम्मेदारी
यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा है कि हमें अभी जानकारी मिली है। हम तो 5 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसी हिसाब से हम तैयारी भी कर रहे थे। अब केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा कि आगे क्या करना है। कांग्रेस पार्टी ने तो फ़ैज़ाबाद की मिल्कीपुर सीट पर भी दावा ठोंक दिया था। पार्टी ने 16 अक्टूबर को वहां संविधान सभा करने की घोषणा की थी। फ़ैज़ाबाद से समाजवादी पार्टी के चर्चित सांसद अवधेश प्रसाद पहले मिल्कीपुर से विधायक थे। इस सीट को अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ ने प्रतिष्ठा की लड़ाई बना दिया है। पर कांग्रेस इस सीट पर चुनाव लड़ने के दावे कर रही थी। पिछले एक महीने में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पांच पार मिल्कीपुर का दौरा कर चुके हैं।
समाजवादी पार्टी ने विधानसभा उप चुनाव के लिए जिन 6 उम्मीदवारों का एलान किया है, इनमें से पांच उम्मीदवार तो उनके अपने परिवार से ही हैं। मतलब यह कि पार्टी के सांसद और विधायक के रिश्तेदार हैं। फ़ैज़ाबाद से सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मिल्कीपुर से टिकट मिला है। वह अयोध्या के मेयर का चुनाव हार चुके हैं। अंबेडकरनगर से सासंद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा को कटेहरी से टिकट दिया गया है। कानपुर के शाशीमऊ से इरफ़ान सोलंकी समाजवादी पार्टी के विधायक थे, उन्हें अदालत से सजा हुई और अब वे जेल में हैं। अखिलेश यादव ने उनकी पत्नी नसीम सोलंकी को चुनाव लड़ाने का फ़ैसला किया है।
अखिलेश ने दिया अपने रिश्तेदारों को टिकट
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के परिवार के 6 लोग सांसद हैं। अखिलेश समेत परिवार के 5 सदस्य लोकसभा में हैं। जबकि उनके चाचा रामगोपाल यादव राज्य सभा के सांसद हैं। अब परिवार से ही अखिलेश के भतीजे तेज प्रताप यादव को करहल से टिकट मिला है। अखिलेश यादव इसी सीट से विधायक थे। तेज प्रताप यादव रिश्ते में लालू यादव के दामाद भी लगते हैं। वे मैनपुरी से सांसद भी रह चुके हैं। भदोही से बीजेपी के सांसद रमेश बिंद पिछले लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी मैं आ गए थे। वह मिर्ज़ापुर से अपना दल की अनुप्रिया पटेल के खिलाफ चुनाव लड़े और हारे थे। अब उनकी बेटी ज्योति बिंद को अखिलेश यादव ने मंझवा से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया है। बीएसपी से विधायक रहे मुस्तफ़ा सिद्दीक़ी को प्रयागराज के फूलपुर से टिकट मिला है।
छलका कांग्रेस का दर्द
हरियाणा की सत्ता में वापसी का सपना देख रही कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। करारी शिकस्त के बाद इंडी गठबंधन में शामिल दल अब कांग्रेस से दूरी बनाते दिख रहे हैं। महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी गठबंधन के नेता चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस पर तंज कसने लगे हैं। सपा की लिस्ट जारी होने के बाद कांग्रेस ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। यूपी कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा कि सपा ने उम्मीदवारों के नामों को लेकर इंडी गठबंधन की समन्वय समिति के साथ चर्चा नहीं की। हमें विश्वास में भी नहीं लिया गया।