12 वर्ष बाद गुरू का कुंभ राशि में गोचर… इन चार राशियों वाले रहें जरा संभलकर!

-20 नवंबर को रात्रि 11 बजकर 19 मिनट पर राशि परिवर्तन

आचार्य रामगोपाल शुक्ल/ नई दिल्ली
देव गुरू बृहस्पति शनिवार को अपना राशि परिवर्तन कर रहे हैं। गुरू का कुंभ राशि में यह गोचर 12 वर्ष बाद हो रहा है। गुरु को शक्तिशाली, हर्षित और लाभ देने वाला ग्रह माना जाता है। यह भाग्य और सम्मान प्राप्ति के भी मुख्य कारक माने जाते हैं। नवग्रहों में बृहस्पति का प्रमुख स्थान माना गया है। बता दें कि गुरु एक राशि में करीब 13 महीने तक रहते हैं और लगभग बारह वर्षों में बारह राशियों का भ्रमण पूरा करते हैं।

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इससे पहले वर्ष 2009 में गुरु कुंभ राशि में आए थे। गौरतलब है कि 20 जून से 17 अक्तूबर 2021 तक गुरु वक्री रहे थे। 18 अक्टूबर 2021 को गुरु मकर राशि मे मार्गी हुए थे। वक्री, मार्गी और अस्त स्थितियों में  गुरु का फल विभिन्न राशियों के जातकों पर अशुभ होता है। शनिवार 20 नवंबर को रात्रि 11 बजकर 19 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र व वृषभ राशि में गुरु अपनी नीच राशि मकर से निकलकर शनि की ही दूसरी राशि कुंभ में प्रवेश करेंगे। कुंभ राशि प्रवेश करने के साथ ही शनि-गुरु का युति संबंध भंग हो जायेगा।

चार राशियों के लिए शुभ रहेगा गुरू का गोचर
बृहस्पिति का कुंभ राशि में यह गोचर 12 में से चार राशियों के जातकों के लिए शुभ फलदायी होगा। इनमें मेष, मिथुन, तुला और मकर राशियां शामिल हैं। गुरू की कृपा से इन चार राशियों के जातकों के जीवन में आ रहे उतार-चढ़ाव खत्म हो जायेंगे और जीवन में सुख, धन-संपत्ति, वैभव आदि का प्रवेश होगा।

इन चार राशियों के जातक रहें जरा संभलकर
गुरू के कुंभ राशि में गोचर से चार प्रमुख राशियों के जातकों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इन राशियों में कर्क, कन्या, वृश्चिक एवं मीन राशियां शामिल हैं। इन राशियों के जातकों के जीवन में कुछ रूकावटें आ सकती हैं।
चार राशि वालों का गुजरेगा सामान्य समय
देवताओं के गुरू का यह गोचर काल चार राशियों के जातकों के लिए सामान्य तौर पर गुजरेगा। इन राशियों में वृषभ, धनु, कुम्भ व सिंह राशियां शामिल हैं। इन चारों राशियों के जातकों को यदि अपने जीवन में लाभ उठाना है तो गुरू को प्रसन्न करने के उपाय करने चाहिए।
गुरू को प्रसन्न करने के उपाय
बता दें कि गुरु के राशि परिवर्तन से वैश्विक महामारी कोविड में कमी आएगी। जिन राशियों के लिए राशि परिवर्तन अशुभ है उन्हें कुछ उपाय करने चाहिए। ऐसे लोग गुरुवार को पीली वस्तुओं का सेवन व दान करें। केले व पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं। स्नान आदि करने के बाद केसर का तिलक मस्तक पर लगाएं। गुरु के मन्त्र का यथा शक्ति जाप करें। ब्राह्मणों का सम्मान करें और गुरुवार को विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए।