शक्ति भोग-बैंक घोटाला मामले में अब ईडी ने की सीए की गिरफ्तारी

-शक्ति भोग कंपनी के मालिक पहले ही जेल में
-3269 करोड़ की बैंक धोखाधड़ में हुई कार्रवाई

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड के खिलाफ 3,269 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के संबंध में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) को गिरफ्तार किया है। एजेंसी ने शनिवार को यह जानकारी जारी की है। रमन भूरारिया को शुक्रवार को इस धोखाधड़ी में ‘सहायता और मिलीभगत’ के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

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बाद में उसे धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने उसे 20 अगस्त तक के लिए प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेज दिया। ईडी ने कहा है कि ‘यह गिरफ्तारी भूरारिया की अग्रिम जमानत याचिका विशेष अदालत द्वारा खारिज किए जाने और गिरफ्तार व्यक्ति से संबंधित विभिन्न ठिकानों की विभाग द्वारा ली गई तलाशी के क्रम में की गई है।’
ईडी ने दावा किया है कि ‘तलाशी अभियान के दौरान कई दोष साबित करने वाले दस्तावेज और डिजिटल सबूत बरामद हुए हैं।’ शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन का मामला सीबीआई की एक प्राथमिकी के अध्ययन के बाद दायर किया। सीबीआई की प्राथमिकी में कंपनी और अन्य के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी और आपराधिक कदाचार का मामला दर्ज किया गया है।

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चार्टर्ड अकाउंटेंट पर संबंधित प्रतिष्ठानों के जरिए राउंड ट्रिपलिंग (किसी प्रतिष्ठान में धन हस्तांतरण के बाद फिर से कोष को हासिल कर लेना) कर बैंक से धोखाधड़ी में सक्रिय भूमिका निभाने का आरोप है। निदेशालय ने पिछले महीने शक्ति भोग के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) के के शर्मा को गिरफ्तार किया था। एसबीआई की शिकायत पर सीबीआई ने कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। एसबीआई का आरोप है कि निदेशकों ने खातों में फर्जीवाड़ा किया और कोष की हेराफेरी के लिए फर्ज़ी दस्तावेज तैयार किए।
बता दें कि शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड दिल्ली की कंपनी है जो शक्ति भोग ब्रांड से आटा, चावल, बिस्कुट और कुकीज बनाती है। इस साल की शुरुआत में सीबीआई ने 10 बैंकों को 3,269.42 करोड़ रुपये का चूना लगाने के आरोप में कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। एफआईआर में कंपनी के सीएमडी केवल कृष्ण शर्मा और डायरेक्टर सिद्धार्थ कुमार और सुनंदा कुमार को नामजद किया था।
एफआईआर के मुताबिक इस धोखाधड़ी का खुलासा जून 2019 में फॉरेंसिंक ऑडिटर्स की रिपोर्ट में हुआ था। यह लेनदेन अप्रैल 2013 से मार्च 2017 के बीच किया गया। इस अकाउंट पर 2016 करोड़ रुपये का बकाया है और यह मार्च 2015 में एनपीए बना था। फॉरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक अकाउंट स्टेटमेंट्स और स्टॉक स्टेटस में बड़े स्तर पर गड़बड़ी की गई है।