-राज्य के ही स्कूल से 10वीं-12वीं करना अनिवार्य
-नई नियुक्ति नियमावली को कैबिनेट की मंजूरी
एसएस ब्यूरो/ रांची
झारखंड में अब झारखंडियों को ही सरकारी नौकरियों में हिस्सेदारी दी जायेगी। राज्य की हेमंत सोरेन सरकार की कैबिनेट ने नौकरी से संबंधित एक बड़ा फैसला लेते हुए परीक्षा संचालन की पांच नियमावली को सरल करने के साथ ही तीन नई नियुक्ति नियमावली के गठन के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। इसके तहत अब राज्य सेवा के अभ्यर्थियों को झारखंड की स्थानीय रीति-रिवाज, भाषा एवं परिवेश का ज्ञान होना अनिवार्य कर दिया गया है। मैट्रिक स्तरीय परीक्षा संचालन नियमावली में अभ्यर्थियों की न्यूनतम शैक्षणिक अहर्ता में संशोधन किया गया है। अब अभ्यर्थियों के लिए झारखंड में स्थित मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों से न्यूनतम मैट्रिक या दसवीं कक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा।
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झारखंड की आरक्षण नीति में आने वाले अभ्यर्थियों और अनुकंपा के मामले में मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान से 10वीं-मैट्रिक कक्षा उत्तीर्ण होने से संबंधित प्रावधान शिथिल रहेंगे। पहले केवल किसी भी राज्या या संस्थान से मैट्रिक या दसवीं कक्षा में उत्तीर्ण होना अनिवार्य था लेकिन अब झारखंड में ही स्थित मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान से मैट्रिक-दसवीं पास होना अनिवार्य किया गया है। सरकार ने ऐसा स्थानीय युवाओं को वरीयता देने के लिए किया है। यह संशोधन पांचों परीक्षा संचालन नियमावली और नई नियुक्ति नियमावली में किया गया है।
अब करायी जायेगी केवल मुख्य परीक्षा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में प्रोजेक्ट भवन में हुई कैबिनेट की मीटिंग के फैसलों के बारे में कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल ने बताया कि पूर्व से ही कर्मचारी चयन आयोग में यह संशोधन किया गया था कि मैट्रिक और इंटर स्तर पर प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा की जगह केवल मुख्य परीक्षा होगी। अब कार्मिक विभाग की ओर से पांचों परीक्षा संचालन नियमावली के तहत स्नातक स्तरीय सेवाओं के लिए भी प्रारंभिक परीक्षा को समाप्त करते हुए केवल एक चरण में मुख्य परीक्षा लेने का प्रावधान किया गया है।
इस तरह की बनाई है व्यवस्था
पहला पत्रः भाषा ज्ञान के अंतर्गत हिंदी और अंग्रेजी में क्वालीफाइंग मार्क्स लाना होता था। अब उत्तीर्ण होने के लिए हिंदी और अंग्रेजी भाषा में प्राप्त अंकों को जोड़कर 30 प्रतिशत अंक प्राप्त करना होगा। पहले दोनों में अलग-अलग 30 फीसदी अंक क्वालीफाइंग मार्क्स निर्धारित थे। इस पत्र में प्राप्त अंक को मेधा सूची निर्धारण के लिए नहीं जोड़ा जाएगा। चिन्हित क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं में संशोधन करते हुए राज्य स्तरीय पदों के लिए 12 भाषायें निर्धारित की गई हैं। इनमें उर्दू, संथाली, बंगला, मुंडारी, हो, खड़िया, कुदुक, खोटा, नागपुरी, उड़िया, पंच परगनिया और कुरमाली को शामिल किया गया है। इनमें से किसी एक भाषा का विकल्प चुनना होगा। दूसरी ओर जिला स्तरीय पदों के लिए कार्मिक विभाग क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं को चिह्नित करके अलग से सूची जारी करेगा।
दूसरा पत्रः चिन्हित क्षेत्रीय जनजातीय भाषा में 30 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
तीसरा पत्रः सामान्य ज्ञान में भी 30 फीसदी अंक प्राप्त करना होगा। दूसरे और तीसरे पत्र में प्राप्त अंकों को जोड़कर मेधा सूची का निर्धारण किया जाएगा।
नेट उत्तीर्ण और पीएचडी शिक्षकों को भी मिलेगा मौका
उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अंतर्गत विश्वविद्यालयों के स्नाकोत्तर विभागों और महाविद्यालयों में स्वीकृत पदों के लिए घंटी आधारित संविदा पर नियुक्त शिक्षकों एवं कर्मियों को मानदेय भुगतान के संबंध में जारी संकल्प में संशोधन किया गया है। अब तक स्नातकोत्तर में पढ़ाई के लिए सेवानिवृत शिक्षकों को रखने का प्रावधान था। इससे पर्याप्त संख्या में शिक्षक मिलने में कठिनाई को देखते हुए स्नाकोत्तर विभाग के सेवानिवृत शिक्षकों को रखने के अतिरिक्त यूजीसी नेट से उत्तीर्ण और पीएचडी योग्यताधारी शिक्षकों को घंटी आधारित संविदा पर नियुक्त किया जा सकेगा। इन्हें 36 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाएगा।
कंप्यूटर परीक्षा में 300 की जगह 250 शब्द लिखने की छूट
कार्मिक विभाग की परीक्षा को सरल करते हुए झारखंड लिपिक सेवा संवर्ग नियमावली 2010 के अंतर्गत जारी अधिसूचना में भी संशोधन किया गया है। अब कंप्यूटर पर टंकन की गति 30 शब्द प्रति मिनट के हिसाब से 300 शब्द टंकित करने की जगह 25 शब्द की गति से 10 मिनट में 250 शब्द लिखना होगा। 1.5 प्रतिशत की जगह अब दो फीसदी त्रुटि स्वीकार्य होंगी।