-कांग्रेस का कैप्टन बनते ही खोला अमरिंदर के खिलाफ मोर्चा
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
कांग्रेस ने पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का कैप्टन तो बना दिया है। लेकिन आने वाले दिनों में वह कांग्रेस के गले की हड्डी बन सकते हैं। उन्होंने पंजाब कांग्रेस की कमान संभालते ही मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलकर अपने इरादे भी जाहिर कर दिये हैं। पहले दिन ही सिद्धू कैप्टन अमरिंदर सिंह की चाय-पार्टी को छोड़कर चलते बने थे। इस मामले में खुद पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी को हस्तक्षेप करना पड़ा इसक बाद वह आधे रास्ते से लौटकर सीएम की चाय पार्टी में शामिल हुए।
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यह नजारा खुद पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने अपनी आंखों से देखा। इसके बाद पंजाब के सियासी गलियारों में चर्चा आम है कि सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की कमान देना पार्टी आलाकमान को भारी पड़ सकता है। चर्चा यह भी है कि नवजोत सिंह सिद्धू अति महत्वाकांक्षी हैं और वह केवल अध्यक्ष बनने से ही संतुष्ट नहीं होंगे। वह अब कांग्रेस में अपने विरोधियों को एक-एक कर खत्म करने की कोशिश करेंगे और यह खुद कांग्रेस को मुश्किल में डाल सकता है। कैप्टन की चाय पार्टी भी दोनों नेताओं के रिश्तों पर जमी हुई बर्फ को नहीं पिघला सकी है।
शनिवार 24 जुलाई को पंजाब के कांग्रेस भवन में पदभार ग्रहण करने के मौके पर भी सिद्धू अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के ऊपर हमलावर रहे। सिद्धू ने अपने भाषण में कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने वालों को अभी तक सजा नहीं दिलाई जा सकी है। नौकरियों के लिए प्रदर्शन कर रहे अध्यापकों और एनपीए कम करने का विरोध करने वाले डॉक्टर हड़ताल पर हैं। ड्रग्स बेचने वाले मगरमच्छ अभी तक क्यों नहीं पकड़े गए? ऐसे में कैप्टन अपने भाषण के दौरान सरकार का बचाव करते हुए नजर आये। दूसरी ओर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंच से सिद्धू के पंजाब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनने के समारोह में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ की तारीफों के पुल बांधे। कैप्टन ने कहा कि जाखड़ ने पंजाब कांग्रेस के लिए बहुत कुछ किया है। उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
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बता दें कि कांग्रेस की नई टीम के पदभार ग्रहण करने से पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा पंजाब भवन में रखी चाय पार्टी में सिद्धू, कैप्टन से पहले पहुंच गए थे। लेकिन जैसे ही कैप्टन सुबह 10.22 बजे पंजाब भवन पहुंचे उसके ठीक 13 मिनट बाद सिद्धू उन्हें नमस्कार कहकर अपनी कार में बैठकर वहां से निकल गये। जब मुख्यमंत्री ने उनके बारे में पूछा तो उन्हें बताया गया कि सिद्धू वापस चले गए हैं। इस बारे में पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सिद्धू नीचे समारोह में हैं, लेकिन जब उन्हें पता चला कि सिद्धू लौट गए हैं तो रावत भी खासे नाराज दिखे।
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हरीश रावत ने तुरंत नवजोत सिद्धू को फोन किया और लौटने को कहा। पता चला कि सिद्धू ने इस बारे में ना नुकर की है। इसके बाद हरीश रावत ने तुरंत प्रियंका गांधी को सारी बात बताई और उनसे कहा कि वह सिद्धू से बात करें। सूत्रों का कहना है कि प्रियंका गांधी के कहने पर ही सिद्धू दस मिनट बाद फिर से चाय पार्टी में लौट आए। लेकिन सिद्धू के चेहरे पर बनावटी हंसी स्पष्ट नजर आ रही थी। लौटते ही उन्होंने कैप्टन को नमस्कार कहा। कैप्टन ने उनके दिखाई न देने के बारे में पूछा तो सिद्धू ने कहा कि वह अरदास करने गए थे। इसके बाद वह कैप्टन के ठीक सामने वाली कुर्सी पर बैठने वाले थे लेकिन खेल मंत्री राणा सोढी ने उन्हें कैप्टन के साथ वाली कुर्सी पर बैठने को कहा, तो वह कैप्टन के साथ वाली कुर्सी पर बैठ गऐ।
गौरतलब है कि पंजाब भवन में कांग्रेस के नए प्रधान सिद्धू ने कैप्टन को देखकर पहले तो नजरें फेर लीं और आगे बढ़ गए। इस पर पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने सिद्धू को आवाज देकर वापस बुलाया और अमरिंदर सिंह से मुलाकात कराई। कैप्टन ने सिद्धू को पास आकर बैठने को कहा तो वह कांग्रेस भवन के कार्यक्रम में लेट होने की बात कहने लगे। कई बार कहने पर सिद्धू उनके पास आकर बैठे। कार्यक्रम में सभी ने अमरिंदर सिंह के पैर छुए, लेकिन सिद्धू ने नहीं छुए। इसके पश्चात पंजाब भवन से कांग्रेस भवन पहुंचे कैप्टन मंच पर नवजोत सिंह सिद्धू के बगल वाली सीट पर बैठे। यहां मंच पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़, पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री रजिंदर कौर भट्ठल, कैप्टन की पत्नी परनीत कौर भी थीं। सिद्धू और कैप्टन एक साथ अगल-बगल में बैठे रहे लेकिन आपस में बातचीत नहीं की।
पंजाब कांग्रेस भवन में सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रभारी हरीश रावत को एक बार फिर अपने तेवर दिखाए। जब वह भाषण देने के लिए खड़े हुए तो भगवान को याद किया, क्रिकेट का शॉट मारने का एक्शन किया। अपने दाईं ओर बैठे कैप्टन और हरीश रावत को इग्नोर करते हुए आगे बढ़े और पूर्व मुख्यमंत्री रजिंदर कौर भट्ठल और लाल सिंह के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इसके बाद वे भाषण देने खड़े हुए। सिद्धू ने कहा- मेरा दिल चिड़े के दिल जैसा नहीं है। जो मेरा विरोध करेंगे, वो मुझे और मजबूत बनाएंगे। मेरी चमड़ी मोटी है। मुझे किसी के कहने-सुनने से कोई फर्क नहीं पड़ता। इससे पहले सिद्धू 18 जुलाई को कैप्टन के सिसवां फार्म हाउस पर उनसे मिले थे। इस दौरान दोनों के बीच करीब 40 मिनट तक बातचीत हुई थी।
लगातार ट्वीट करके पंजाब सरकार का विरोध कर रहे सिद्धू से कैप्टन अमरिंदर सिंह अब भी नाराज हैं। उन्हें पार्टी का पंजाब प्रधान बनाए जाने के बाद कैप्टन ने साफ कर दिया था कि जब तक सिद्धू उनसे माफी नहीं मांगते, वह उनसे व्यक्तिगत मुलाकात नहीं करेंगे। सीएमओ से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पार्टी के सीनियर नेताओं की बैठक में साफ कहा है कि जब तक सिद्धू माफी नहीं मांगते, तब तक निजी तौर पर वे उनसे मुलाकात नहीं करेंगे। ताजपोशी पार्टी का कार्यक्रम है। मैं कांग्रेसी हूं, इसलिए जाऊंगा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैप्टन और सिद्धू के बीच छिड़ी जंग के दूर होने के आसार फिलहाल दिखाई नहीं दे रहे हैं।
कैप्टन को सियासत में लाये थे सिद्धू के पिता
बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को सियासत में नवजोत सिंह सिद्धू के पिता सरदार भगवंत सिंह लेकर आये थे। साल 1970 में कैप्टन सेना की नौकरी छोड़कर पटियाला आ गये थे। उस दौरान कैप्टनकी मांग सांसद हुआ करती थीं और सिद्धू के पिता पटियाला कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे। कैप्टन ने खुद स्वीकार किया है कि जब सिद्धू पैदा हुए थे तब से उनके परिवार को जानते हैं। सिद्धू का जन्म 1963 में हुआ था उस समय कैप्टन चीन के बॉर्डर पर शिफ्ट हुए थे। कैप्टन की मां मोहिंदर कौर (जो कि पटियाला रियासत की आखिरी महारानी भी थीं) और सिद्धू के पिता सरदार भगवंत सिंह ने कांग्रेस में एक साथ काम किया है। सिद्धू के पिता तब पटियाला के कांग्रेस अध्यक्ष हुआ करते थे। 1967 में कैप्टन की मां लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में पहुंची थीं।
कैप्टन ने अपने भाषण में खुद कहा कि ‘मैं 1970 में सेना छोड़ के आया तो माता जी ने कहा था कि राजनीति में कदम रखो। पर मैं तो बिलकुल भी राजनीति नहीं जानता था। तब माता जी ने कहा- सिद्धू के पिता सरदार भगवंत सिंह सब सिखा देंगे। इसके बाद फिर सिद्धू के पिता के साथ मेरी कई बैठकें हुईं, कुछ मेरे तो कुछ सिद्धू के घर पर। सिद्धू के पिता पटियाला कांग्रेस के प्रधान रहे। इसके बाद एक समय ऐसा आया जब सरदार भगवंत सिंह मेरे कदम सियासत में ले ही आए। कैप्टन ने सिद्धू को लेकर आगे कहा कि जब मैं इनके घर जाया करता था, तब सिद्धू की उम्र 6 साल हुआ करती थी और ये इधर-उधर भागते फिरते थे।