कांग्रेस ने उठाई साप्ताहिक बाजारों को खोले जाने की मांग

-कांग्रेस पार्षदों ने उठाया साप्ताहिक बाजारों का मुद्दा, आप-बीजेपी पार्षदों के हंगामे की वजह से नहीं चली सदन की कार्यवाहीः मुकेश गोयल
-नगर निगम के मुद्दों पर चर्चा नहीं होने के लिए बीजेपी और आम आदमी पार्टी समान रूप से जिम्मेदारः मुकेश गोयल

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस दल के नेता और वरिष्ठ निगम पार्षद मुकेश गोयल ने गुरूवार को हुई निगम सदन की बैठक के हंगामे की भेंट चढ़ जाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि बैठक शुरू होते ही पहले बीजेपी की निष्कासित निगम पार्षद और बाद में आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने हंगामा शुरू कर दिया। जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही नहीं चल सकी। कांग्रेस पार्षदों ने दिल्ली के साप्ताहिक बाजारों को नहीं खोले जाने का मुद्दा उठाया। कांग्रेस पार्षदों की मांग है कि जब दिल्ली में थोक और खुदरा बाजारों के साथ ही सब कुछ खोल दिया गया है तो साप्ताहिक बाजारों को क्यों नहीं खोला जा रहा?

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मुकेश गोयल ने कहा कि साल 2020 में दिल्ली के साप्ताहिक बाजार 6 महीने बंद रहे थे और साल 2021 में पिछले 3 महीने से यह साप्ताहिक बाजार बंद हैं। नगर निगम की नाकामी की वजह से साप्ताहिक बाजारों के दुकानदार बेरोजगार हैं। उनके बच्चे भुखमरी के कगार पर हैं। दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट ने जून महीने में ही आदेश जारी कर दिया था कि साप्ताहिक बाजारों को खाली मैदानों और खाली स्कूलों में लगाया जा सकता है। नगर निगम को स्थान तय करके साप्ताहिक बाजारों के दुकानदारों को स्थान देना था। लेकिन बीजेपी शासित नगर निगमों ने कोई काम नहीं किया। कांग्रेस पार्षदों ने इस गंभीर मुद्दे को उठाते हुए महापौर और अधिकारियों से इस पर स्पष्टीकरण देने की मांग की थी।

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मुकेश गोयल ने आगे कहा कि इसी के बीच आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। इसका जवाब देने के लिए बीजेपी पार्षदों ने भी सदन में हंगामा करना शुरू कर दिया। जिसकी वजह से महापौर को एक बार बैठक कुछ देर के लिए स्थगित करनी पड़ी और बाद में हंगामे के बीच ही सदन का एजेंडा पास करते हुए कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। उन्होंने आगे कहा कि एक ओर आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है और दूसरी ओर बीजेपी शासित नगर निगम में भ्रष्टाचार जारी है। लेकिन दोनों एक दूसरे के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। जिसकी वजह से आम जनता के काम प्रभावित हो रहे हैं।