-ऑनलाइन क्लास में शामिल नहीं होने वाले बच्चों को नहीं मिलेगा मिड डे मील
-केशवपुरम जोन में ही 12,449 गरीब बच्चों को मिड डे मील नहीं देने का आदेश
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी उत्तरी दिल्ली नगर निगम के केशवपुरम जोन में जनता की समस्याओं को दूर करने के लिए ‘जनता दरबार’ लगाती रह गई और दूसरी ओर बीजेपी शासित निगम विद्यालयों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों के मिड डे मील (सूखे राशन) में कटौती का आदेश जारी हो गया। आश्चर्य की बात है कि खुद की सत्ता वाले बीजेपी नेताओं को इसकी भनक तक नहीं लगी, जब मामला विपक्ष ने उठाया तो बचकानी सफाई दे डाली कि ‘ऐसा कोई आदेश ही जारी नहीं हुआ’।
बता दें कि गरीब बच्चों को मिड डे मील (सूखा राशन) नहीं देने का आदेश मौखिक नहीं बल्कि लिखित रूप में जारी किया गया है। अकेले केशवपुरम जोन के विभिन्न प्राथमिक विद्यालयों में 41 हजार 449 बच्चे पढ़ते हैं। इनमें से करीब 29 हजार बच्चे ही निगम शिक्षकों की ऑनलाइन क्लास में पढ़ाई कर रहे हैं। बाकी बच्चे स्मार्ट फोन और इंटरनेट नहीं होने की वजह से ऑनलाइन क्लास में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं। क्योंकि केवल ऑनलाइन क्लास में हिस्सा लेने वाले बच्चों को ही यह किट दी जानी है, अतः जारी किये गये आदेश के मुताबिक केशवपुरम जोन में ही करीब साढ़े 12 हजार बच्चों को मिड-डे-मील की सूखे राशन की किट नहीं मिल पायेगी।
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उत्तरी दिल्ली नगर निगम के 1 से 5वीं कक्षा तक के विद्यालयों मे करीब तीन लाख गरीब बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों को पिछले साल जुलाई माह से मिड डे मील के रूप में सूखे राशन की किट दी जानी थी। लेकिन बीजेपी के शासन वाले उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने एक भी बच्चे को मिड डे मील उपलब्ध नहीं कराया है। अब 23 जून 2021 को निगम मुख्यालय की ओर से एक आदेश जारी किया गया है कि निगम विद्यालयों में दाखिला लेने वाले सभी बच्चों को जुलाई 2020 से मार्च 2021 तक (कुल नौ महीने) का मिड डे मील के सूखे राशन की किट के रूप में दिया जाना है। इसी आदेश पर एक निगम अधिकारी ने हाथ से नोटिंग के जरिये आदेश जारी कर दिया कि मिड डे मील की किट केवल ऑनलाइन क्लास में पढ़ने वाले बच्चों को ही दी जायेगी।
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मुख्यालय की ओर से जारी आदेश के मुताबिक नौ महीने मिड-डे मील के रूप मे प्रत्येक बच्चे को नौ महीने का 19 किलो 500 ग्राम गेहूं व चावल, 7 किलो 222 ग्राम दालें और 1 किलो 820 ग्राम खाद्य तेल दिया जाना है। इनमें से अभी दालें और तेल ही वितरित किया जाना है। इसके बाद गेहूं और और चावल भी बच्चों को वितरित किया जाना है। लेकिन नया आदेश जारी होने के बाद करीब 20 से 25 फीसदी बच्चों को सूखे राशन की किट नहीं मिल पायेंगी।
एजेंसी से करार खत्म होने का बनाते रहे बहाना
बता दें कि पिछले दिनों भी निगम विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को लंबे समय से मिड-डे मील नहीं दिये जाने का मुद्दा उठाया गया था। तब प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की ओर से दलील दी गई थी कि मिड-डे मील वितरित करने वाली एजेंसी से करार खत्म होने की वजह से नहीं बांटा जा सका था। लेकिन ताजा आदेशों के मुताबिक भी इसमें कोई एजेंसी शामिल नहीं है। अब मिड डे मील को बांटने का आदेश सीधे सभी प्रधानाचार्यों को जारी किया गया है। अब मिड-डे मील बांटने का काम निगम विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षक और स्टाफ करेगा। ऐसे में बार-बार अपने बहाने बदलने के चलते भी निगम में सत्ताधारी बीजेपी बैकफुट पर आ गई है।