तीन हिस्से करने की मांग… जम्मू-कश्मीर की राह पर पश्चिम बंगाल

-उत्तरी बंगाल, जंगल महल और पश्चिम बंगाल बनाने की कवायद
-विदेशी घुसपैठ व अलगाववाद को काबू करना चुनौती

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
पश्चिम बंगाल जम्मू-कश्मीर की राह पर चल पड़ा है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस राज्य को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है। केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है। राज्य के अंदर से भी बंगाल को तीन हिस्सों में बांटने की मांग उठाई जा रही है। यह मांग खुद बीजेपी के दो सांसदों जॉन बरला और सौमित्र खान ने ही उठाई है। इसके बाद राज्य के राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी सक्रिय हो गए हैं।
उत्तर बंगाल पहुंचे राज्यपाल ने यहां तक कह डाला कि बंगाल में स्थिति बहुत खराब है। ममता बनर्जी चुप हैं, उन्हें शुतुरमुर्ग जैसा व्यवहार बंद कर देना चाहिए। सोमवार से राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने उत्तर बंगाल की सात दिनों के यात्रा की शुरुआत कर दी है। बंगाल को तीन हिस्सों में बांटने के लिए फिलहाल तीन नाम सामने आ रहे हैं। इनमें से पश्चिम बंगाल, उत्तर बंगाल और जंगलमहल नाम शामिल हैं। हालांकि जंगल महल का नाम कुछ और भी हो सकता है।
दरअसल विधानसभा चुनाव से पहले और बाद में हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। खास तौर पर एक विशेष वर्ग को जमकर निशाना बनाया जा रहा है। ऐसे में राज्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटने की मांग तेजी से उठने लगी है। इसी तरह की स्थिति धारा-370 हटाए जाने से पहले जम्मू-कश्मीर में भी होती थी। अलग हिस्सों में बंटने के बाद जम्मू-कश्मीर में हिंसा और आतंकवाद की घटनाओं में भी कमी आई है।
बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा में 294 सीटें हैं। मंडल के आधार पर देखा जाए तो पश्चिम बंगाल में पांच मंडल और 23 जिले हैं। इनमें से तीन मंडलों जलपाईगुड़ी, प्रेसिडेंसी और मेदिनीपुर में पांच-पांच और बर्दवान एवं मालदा मंडलों में चार-चार जिले हैं। मंडीलों के आधार पर ही बंगाल को अलग अलग हिस्सों में बांटने की मांग जोर पकड़ रही है।
उत्तरी बंगाल
जॉन बरला ने जिस उत्तर बंगाल की बात की है वह जलपाईगुड़ी मंडल है। जलपाईगुड़ी मंडल में अलीपुरद्वार, कूच बिहार, दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और कालिमपोंग जिले आते हैं। भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो यह पहाड़ी इलाका है और यहां चाय के बागान हैं। कूच बिहार जिले में लंबे समय से पश्चिम बंगाल से अलग किए जाने की मांग उठती आ रही है। जबकि बाकी चार जिले आर्थिक दृष्टि से भी बेहद अच्छे माने जाते हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार का ध्यान इन इलाकों के विकास पर नहीं जा पा रहा है। यह हिस्सा बिहार और आसाम के बीच में पड़ता है। बीजेपी सांसद जॉन बरला ने इन इलाकों के विकास की बात भी उठाई है।
जंगल महल
इसी तरह जंगल महल राज्य या फिर केंद्र शासित प्रदेश की मांग करने वाले सौमित्र खान की बातों पर ध्यान दिया जाए तो यह मेदिनीपुर मंडल पड़ता है। इस मंडल में भी पांच जिले पड़ते हैं। इनमें पूर्वी मेदिनीपुर, पश्चिमी मेदिनीपुर, झारग्राम, बांकुड़ा और पुरूलिया जिले आते हैं। यह जिले एक ओर ओडिशा तो दूसरी ओर झारखंड से लगे हुए हैं। इस हिस्से में आस-पास के कुछ और जिले जोड़े जाने की भी बात कही जा रही है। लोक संस्कृति की दृष्टि से भी यह इलाके मध्य पश्चिम बंगाल से कुछ अलग हैं। शेष तीन बर्दवान, मालदा और प्रेसीडेंसी मंडलों के बाकी 13 जिलों को मिलाकर पश्चिम बंगाल को मान्यता देने की बात कही जा रही है।