-वोट डालने के लिए किया गया रोमन भाषा के अंकों का ‘कोड वर्ड’ के रूप में इस्तेमाल
-दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति सदस्य के चुनाव में कांग्रेस पार्षद की जीत पर घमासान
-बीजेपी के एक सिख नेताजी पिछले कई दिनों से कांग्रेस नेताओं के साथ साध रहे थे संपर्क
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के सदस्यों के लिए बुधवार को हुए चुनाव में अब हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप सामने आने लगे हैं। बताया जा रहा है कि एक बार फिर बीजेपी के निगम पार्षदों ने सदस्य के चुनाव में कांग्रेस का साथ दिया है। अब उन भाजपाई पार्षदों की तलाश शुरू हो गई है, जिन्होंने रोमन भाषा के अंकों का इस्तेमाल मत पत्रों पर अपनी प्राथमिकता के हिसाब से वोट डालने में किया था। दिल्ली बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सभी पार्षद किसी को भी वोट देने के लिए स्वतंत्र हैं, हालांकि बीजेपी पार्षदों ने अपने उम्मीदवारों को ही वोट दिया है।
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आरोप है कि स्थायी समिति के सदस्य के रूप में कांग्रेस पार्षद को वोट जुटाने के लिए हॉर्स ट्रेडिंग यानी खरीद-फरोख्त की गई है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं बल्कि लगातार तीसरी बार स्थायी समिति के लिए सदस्य के रूप में कांग्रेस पार्षद जीते हैं। बताया जा रहा है कि वोट डालने के लिए रोमन भाषा के अंकों को ‘कोड वर्ड’ के रूप में इस्तेमाल किया गया था, ताकि यह भरोसा दिलाया जा सके कि उन पार्षदों ने पहले से तय ‘सौदे’ के अनुसार कांग्रेस के पक्ष में वोट दे दिया है।
बता दें कि बुधवार को दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के तीन सदस्यों के लिए सदन की बैठक में चुनाव हुआ था। स्थायी समिति में तीन सदस्यों के पद रिक्त हुए थे, लेकिन बीजेपी के दो और कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के एक-एक पार्षद (कुल-4) सदस्यों ने नामांकन दाखिल किया था। बहुमत के आधार पर बीजेपी के दो पार्षद इंद्रजीत सहरावत और पूनम भाटी को निर्वाचित घोषित कर दिया गया। लेकिन एक रिक्त सीट के लिए आम आदमी पार्टी के प्रवीन कुमार और कांग्रेस के सुरेश कुमार के बीच मतदान के जरिये चुनाव कराना पड़ा।
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बता दें कि कांग्रेस के पास सदन में इतने पार्षद नहीं हैं कि उसका कोई उम्मीदवार केवल पार्टी के वोटों के आधार पर ही जीत जाये। इसलिए मतदान के दौरान कुछ बीजेपी पार्षदों ने भी कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश कुमार के पक्ष में मतदान किया। हालांकि पीठासीन अधिकारियों ने रोमन अंकों के प्रयोग की वजह से पहले 4 और भारी बहस के बाद कांग्रेंस के 3 वोट निरस्त कर दिये। इसके बाद दोनों उम्मीदवारों के वोट बराबर की संख्या में हो गये और नतीजा टाई हो गया। बाद में नाम की पर्ची उठवाकर कांग्र्रेस उम्मीदवार सुरेश कुमार को विजयी घोषित किया गया।
बताया जा रहा है कि बीजेपी के एक सिख नेता पिछले कई दिनों से नगर निगम के मुख्यालय सिविक सेंटर के लगातार चक्कर काट रहे थे। इस दौरान उन नेताजी ने नगर निगम में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं से संपर्क साधा था। खास बात है कि इन नेताजी को बीजेपी ने नगर निगम से जुड़ी कोई जिम्मेदारी नहीं दे रखी है। यहां तक कि उनके पास दिल्ली बीजेपी की भी अभी कोई जिम्मेदारी नहीं है। उन नेताजी को बुधवार को दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के सदन की बैठक शुरू होने से पहले सदन के अंदर भी देखा गया था। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के पार्षदों द्वारा कांग्रेस के पक्ष में क्रॉस वोटिंग में उनकी भूमिका हो सकती है। क्योंकि वह नेताजी बैठक शुरू होते ही सदन से बाहर चले गये थे।
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