कर्नाटक उच्च न्यायालय ने किया अमेजॉन-फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच रोकने की याचिका एवं स्टे आदेश को खारिज

-व्यापारी नेताओं ने किया कोर्ट के फैसले का स्वागत

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा भारत में अमेज़ॅन एवं फ्लिपकार्ट के ई-कॉमर्स व्यापार मॉडल के खिलाफ की जा रही जांच पर कर्नाटक उच्च न्यायालय की एकल बेंच द्वारा पूर्व में दिया गए स्टे आदेश को शुक्रवार को इसी उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। जिसके बाद अब सीसीआई द्वारा अमेज़न के खिलाफ जांच किये जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। कन्फेडेरशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करते हुआ कहा है कि अब सीसीआई को तुरंत अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच शुरू करने में की देरी नहीं करनी चाहिए।

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ज्ञातव्य है की सीसीआई ने प्रतिस्पर्धा क़ानून के अंतर्गत अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट के खिलाफ जनवरी 2020 में जांच का आदेश दिया था जिसके खिलाफ अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट फरवरी 2020 में कर्नाटक उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश ले लिया था जिसके बाद सीसीआई ने उच्चतम न्यायालय में एक अपील दाखिल की थी। जिस पर न्यायालय ने कर्नाटक कुछ न्यायालय को इस मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया था। उसके बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस मामले में लगभग 40 दिन से अधिक समय तक सुनवाई कर अप्रैल में आर्डर को रिज़र्व रख लिया था और आज इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आदेश जारी किया।

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भरतिया और खंडेलवाल ने कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह आदेश आने के बाद अब अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच की कार्रवाई शुरू करने में कोई बाधा नहीं है और अब सीसीआई को तुरंत अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट और भारत में उसके बिजनेस मॉडल, जिसने देश के नियमों, कानूनों एवं नीति को चकमा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है ,के खिलाफ जांच शुरू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की ज़िम्मेदारी बनती है कि जो लोग लगातार कानून और नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं उन पर नकेल कसी जाए और इसी क्रम में अमेज़ॅन एवं फ्लिपकार्ट के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए।

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दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में और विशेष रूप से ई-कॉमर्स क्षेत्र में विदेशी कंपनियां भारत को एक कमजोर देश मानकर अपनी मनमर्जी का व्यवहार कर रही हैं। इन कंपनियों के लिए कानूनों, नीतियों और नियमों की अनिवार्य पालना का कोई महत्व नहीं है और वो अपनी इच्छा अनुसार नियमों एवं नीति का उल्लंघन कर रही है जिससे देश के छोटे व्यापारियों को काफी नुकसान हो रहा है। इसलिए अब केंद्र सरकार को “एक्शन स्पीक लाऊडर देन वर्ड्स“ वाली कहावत को व्यावहारिक रूप से देश में लागू कर इन कंपनियों के खिलाफ सभी संभव कदम उठाते हुए कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
उन्होंने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल से आग्रह किया कि इन विदेशी फंडिंग वाली ई-कॉमर्स कंपनियो को भारत के क़ानून, नियम एवं नीतियों की अनिवार्य पालना के लिए बाध्य करना चाहिए और दो टूक कहना चाहिए की या तो नियमों का पालन करें अथवा भारत छोड़कर उस देश में चले जाएं जहाँ पर नियमों की पालना आवश्यक नहीं है। इसी क्रम में कैट ने श्री गोयल से आग्रह किया है देश के कानूनों के लिए पलायन मार्गों को अवरुद्ध करने हेतु एफडीआई नीति के प्रेस नोट नंबर 2 की जगह बहुप्रतीक्षित नया प्रेस नोट तुरंत जारी किया जाए। इन कम्पनियों द्वारा सरकार के नियमों और नीतियों का अक्षरशः पालन किया जाना चाहिए जैसा कि श्री गोयल ने पिछले दो वर्षों से अधिक समय में विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कई बार जोर देकर कहा भी है।