सत्ताधारी बीजेपी की व्यापारियों के साथ वादाखिलाफी… ट्रेड लाइसेंस फीस बढ़ाने पर व्यापारियों में नाराजगी

-एक साल के लिए माफी देने की मांग

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा ट्रेड लाइसेंस फीस में भारी बढ़ोतरी किये जाने पर दिल्ली के व्यापारियों ने नाराजगी जताई है। व्यापारी नेताओं का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान पहले ही व्यापार अस्त-व्यस्त हो गया है। इसके बाद ट्रेड लाइसेंस शुल्क में 17 गुना तक बढ़ोतरी किये जाने से व्यापारियों की कमर टूट जायेगी। व्यापारी नेताओं ने मांग की है कि सरकार द्वारा ट्रेड लाइसेंस फीस में ही नहीं बल्कि बिजली व पानी के बिलों में भी व्यापारियों को एक साल तक छूट दी जानी चाहिए। खास बात है कि 2017 के निगम चुनाव में दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि वह अगले पांच साल कोई नया टैक्स नहीं लगायेंगे और किसी टैक्स में बढ़ोतरी नहीं करेंगे।

पवन कुमार

फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेड्स एसोसिएशन (फेस्टा) के वाइस चेयरमैन पवन कुमार ने कहा कि नगर निगम का यह कदम व्यापारियों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। एक साल के दौरान व्यापारियों के ऊपर दो बार लॉकडाउन की मार पड़ी है। इसके बावजूद अब बिजली कंपनियों द्वारा एवरेज के आधार पर बिजली के बिल भेजे जा रहे हैं, जो कि गलत है। दिल्ली सरकार या नगर निगम की ओर से व्यापारियों को कोई भी अतिरिक्त सुविधा नहीं दी जाती है। ऐसे में लाइसेंस शुल्क में मनमानी बढ़ोतरी किया जाना बिलकुल गलत है। नगर निगम द्वारा लाइसेंस शुल्क में की गई बढ़ोतरी को तुरंत वापस लिया जाना चाहिये।

राकेश यादव

फेस्टा के अध्यक्ष राकेश यादव एवं महामंत्री राजेंद्र शर्मा ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से व्यापारी पहले ही परेशान हैं। दुकानदारों का माल खराब हो गया है, व्यापार ठप पड़ गया है और खर्चे बढ़ गये हैं। इसके बाद नगर निगम द्वारा लाइसेंस फीस में बढ़ोतरी किया जाना अनुचित है। सरकार और नगर निगम की ओर से व्यापारियों को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ सुविधाएं दी जानी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हो सकता तो कम से कम लॉकडान के दौरान के बिजली और पानी बिल पूरी तरह से माफ किये जाने चाहिए और अगले एक साल के लिए सभी तरह के अतिरिक्त प्रभार, शुल्क और फिक्स्ड चार्ज भी पूरी तरह से माफ किये जाने चाहिए।

राजेंद्र शर्मा

दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि ए और बी श्रेणी की 10 से 20 वर्ग मीटर की दुकान के मालिकों को अब 500 रूपये के बजाय सीधे 8625 रूपये चुकाने होंगे। जबकि सी और डी श्रेणी की कालोनियों वाले दुकानदारों को 500 रूपये के बजाय 5750 रूपये देने होंगे। नगर निगम की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी है और बीजेपी ने 2017 के नगर निगम चुनाव में घोषणा की थी कि वह अगले पांच साल किसी भी तरह का नया शुल्क नहीं लगायेंगे और किसी पुराने शुल्क में बढ़ोतरी नहीं की जायेगी। ऐसे में व्यापारियों के ऊपर ट्रेड लाइसेंस फीस में 17 गुना बढ़ोतरी किया जाना दिल्ली के व्यापारियों के साथ वायदाखिलाफी है।

देवेंद्र अग्रवाल

फेडरेशन ऑफ आल इंडिया व्यापार मंडल (दिल्ली प्रदेश) के अध्यक्ष देवेंद्र अग्रवाल ने कहा कि नार्थ एमसीडी द्वारा दुकानों की लाइसेंस फीस 17 गुना बढ़ा दी गयी हैं, जो कि बिल्कुल नाज़ायज़ है। कोविड 19 के काल में व्यापारी पहले ही दुकानों के किराए, कर्मचारियों के वेतन, बैंको के ब्याज, बिजली बिलों आदि की मार झेल रहा है। ऊपर से एमसीडी द्वारा लाइसेंस फीस में बेइंतहा बढ़ोतरी ने व्यापारियों को हिला कर रख दिया है। फेम दिल्ली एमसीडी से निवेदन करता है कि अविलंब इस लाइसेंस फीस बढ़ोतरी को वापस लिया जाए।

कमल कुमार

व्यापार संघ, मेन सदर बाज़ार के महासचिव कमल कुमार सवा साल की अवधि में 2-2 लोकडाउन का दंश झेल चुके दिल्ली के व्यापारी जहां एक तरफ सरकार से बिजली, टैक्स इत्यादि में छूट एवम अन्य प्रकार की रियायतों की उम्मीद और मांग कर रहे हैं, ऐसे समय में नार्थ डीएमसी द्वारा कई गुना ट्रेड लाइसेंस शुल्क वसूलने का फैसला लेना समस्त व्यापारी समाज के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। नार्थ डीएमसी को तत्काल ये आदेश वापिस ले लेना चाहिए, जिससे कि पहले से ही हैरान परेशान व्यापारियों के सर पर ये नई मुसीबत न टूट पड़े।