-कुलवंत सिंह बाठ ने खोला दिल्ली बीजेपी नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा
-अकाली नेताओं को महत्व देने के चक्कर में हो सकती है बगावत
-नाकाम साबित हो रही सिखों बीजेपी से जोड़ने की कोशिश
‘‘अनुभव बोलता है’’ जी हां यह एक ऐसा वाक्य है जो हर जगह फिट बैठता है। लेकिन ‘‘दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व की अनुभवहीनता बोल रही है।’’ यह हम नहीं बल्कि खुद दिल्ली बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के विचार हैं। मंगलवार 7 जून को जब से प्रदेश नेतृत्व की ओर से महापौर, उप महापौर, स्थायी समिति अध्यक्ष व उपाध्यक्ष सहित सदन के नेताओं के नाम घोषित किये गये हैं, तभी से पार्टी में नई तरह की चर्चा शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि एक अकाली सिख नेता को महापौर बनाने के चक्कर में प्रदेश नेतृत्व ने पार्टी में बगावत की भूमिका तैयार कर दी है। आने वाले दिनों में कुछ सिख नेता पार्टी नेतृत्व के विरोध में कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं।
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दिल्ली बीजेपी ने मंगलवार को को अकाली दल के राजा इकबाल सिंह को उत्तरी दिल्ली के महापौर के लिए नामांकन कराया है। लेकिन पार्टी के अपने नेता कुलवंत सिंह बाठ ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सरदार कुलवंत सिंह बाठ ने प्रदेश नेतृत्व के निर्णय पर सीधे तौर पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा कि ‘‘प्रदेश नेतृत्व बतायेगा किस आधार पर हुए निगम पदों पर निर्णय?’’ उन्होंने एटूजेड न्यूज के साथ बातचीत में कहा कि ‘‘हम पिछले कई वर्षों से सिखों से जुड़े मुद्दे उठाते आ रहे हैं, लेकिन बीजेपी इन मुद्दों को लगातार इगनोर कर रही है। पार्टी में कुछ लागों को लगातार पिछले पांच वर्षों से विशेष पद दिये जा रहे हैं, जबकि दूसरे लोगों के साथ पार्टी नेतृत्व भेदभाव करता आ रहा है। अकाली दल ने बीजेपी के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया है, लेकिन फिर भी दिल्ली बीजेपी नेतृत्व अपने लिए अकाली दल की बैशाखी तलाश रहा है। ताजा निर्णय से साबित हो गया है कि बीजेपी केवल सिखों का वोट लेना चाहती है, सिख नेताओं को आगे नहीं बढ़ने देना चाहती।’’
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उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश बीजेपी नेतृत्व ने हमारे साथ जो कमिटमेंट की थी, उसे पूरा नहीं किया है। जो निर्णय लिये गये हैं वह किस आधार पर लिये गये हैं, यह बताया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीजेपी नेतृत्व ने यदि अपनी गलती नहीं सुधारी तो हमें एक-दो दिन में बड़ा फैसला लेना पड़ेगा। बता दें कि राजा इकबाल सिंह अकाली दल के कोटे से निगम पार्षद हैं और पिछले वर्षों में किसी न किसी पद पर बने रहे हैं। पहले उन्हें डेम्स कमेटी का चेयरमैन बनाया गया था, इसके बाद लॉ कमेटी और फिर सिविल लाइंस जोन का चेयरमैन बनाया गया था। अब उनका नामांकन उत्तरी दिल्ली के महापौर पद के लिए कराया गया है।
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बता दें कि किसान कानूनों के मुद्दे पर अकाली दल ने बीजेपी के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया था। इसके बाद अपने पार्षदों को कहा गया था कि वह बीजेपी की ओर से मिले सभी पदों को तुरंत छोड़ दें। इसके बावजूद राजा इकबाल सिंह ने सिविल लाइंस जोन के चेयरमैन का पद नहीं छोड़ा है। अकाली दल ने पद नहीं छोड़ने के लिए अपने निगम पार्षद रमजीत सिंह राणा को पार्टी से निकला दिया है, लेकिन राज इकबाल सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यानी कि वह अब भी अकाली दल के सदस्य और उसी के कोटे के निगम पार्षद हैं। इसके बावजूद दिल्ली बीजेपी की ओर से उन्हें महापौर पद के लिए नामांकित किया गया है। अकाली दल के नेताओं को बढ़ावा देकर अपने नेताओं को पीछे करने की वजह से ही दिल्ली बीजेपी के सिख नेताओं में नाराजगी बढ़ती जा रही है।