-जानें कैसे करें नौ देवियों की पूजा और कैसा रखें आचार और व्यवहार
चैत्र नवरात्रों को त्याग, तप, साधना और संयम का महापर्व कहा जाता है। चैत्र नवरात्रे मंगलवार से शुरू हो चुके हैं। नवरात्र के पहले दिन विधिविधान के साथ घट स्थापना के साथ प्रथम आदिशक्ति मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप का भव्य शृंगार एवं पूजन किया जाता है। देवी के निमित्त अखंड ज्योति जलाकर भक्त नौ दिन के व्रत का संकल्प लेंगे। घरों और मन्दिरों में नौ दिनों तक श्रद्धापूर्वक मां भगवती की पूजा-अर्चना की जाएगी। जप, तप, यज्ञ, हवन, अनुष्ठान करके श्रद्धालु कोरोना महामारी से मुक्ति की कामना कर रहे हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार, नवरात्र के साथ ही नवसंवत्सर की भी शुरुआत हुई है। नवरात्र का समापन 22 अप्रैल को होगा।
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खास बात है कि इस बार नवरात्र पर सर्वार्थ सिद्धि व अमृत सिद्धि योग में घट स्थापना की जा रही है। इस बार मां दुर्गा का अश्व पर आगमन हो रहा है और प्रस्थान मानव के कंधे पर होगा। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त उदया तिथि में सूर्योदय 5ः43 से सुबह 8ः 46 बजे तक है। इसके साथ ही चौघड़िया मुहूर्त सुबह 4ः 36 बजे से सुबह 6ः04 बजे तक रहा। अभीजीत मुहूर्त सुबह 11ः 36 बजे से दोपहर 12ः24 बजे तक का है।
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नवरात्र में हवन, पूजन के साथ व्रत, उपवास का विशिष्ट महत्व है। इस दौरान संयमित जीवन शैली शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि में भी सहायक होगा। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आरएस टोंक ने बताया कि वासंतिक नवरात्र ऋतु परिवर्तन का संधिकाल होता है। इस दौरान विषाणु जनित बीमारियों का प्रजनन अधिक होता है। नवरात्र में व्रत रखने से आत्मिक, शारीरिक और मानसिक शक्ति मिलती है। व्रत में तामसिक वस्तुओं का त्याग किया जाता है। आदि शक्ति के निमित्त भोजन त्याग की भावना आत्मबल प्रदान करती है। सुपाच्य आहार, विहार, व्यवहार और विचार से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
घटस्थापना के लिए ये है पूजन सामग्रीः
घटस्थापना के लिए कलश के साथ सात तरह के अनाज (सतनजा), पवित्र स्थान की मिट्टी, गंगाजल, कलावा, आम के पत्ते, नारियल, सुपारी, अक्षत, फल, फूलमाला, लाल कपड़ा, मिठाई, सिंदूर, दूर्वा, कपूर, हल्दी, घी, दूध आदि वस्तुएं जरूरी हैं।
बुधवार को है संक्रांतिः
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 14 अप्रैल, बुधवार को प्रातःकाल में 4ः40 बजे सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे। इसलिए संक्रांति काल बुधवार को होगा। इसे सतू संक्रांति भी कहते हैं। इस दिन गंगा स्नान के साथ घड़े, पंखे और सत्तू का दान करना शुभ होता है।
इस तरह करें घट और चौकी की स्थापनाः
– सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी को गंगाजल या स्वच्छ जल से धोकर पवित्र कर लें।
– अब इसे साफ कपड़े से पोंछकर लाल कपड़ा बिछाएं।
– चौकी के दाएं ओर कलश रखें।
– चौकी पर मां दुर्गा की फोटो या प्रतिमा स्थापित करें।
– माता रानी को लाल रंग की चुनरी ओढ़ाएं।
– धूप-दीपक आदि जलाकर मां दुर्गा की पूजा करें।
– नौ दिनों तक जलने वाली अखंड ज्योत माता रानी के सामने जलाएं।
– देवी मां को तिलक लगाएं।
– मां दुर्गा को चूड़ी, वस्त्र, सिंदूर, कुमकुम, पुष्प, हल्दी, रोली, सुहान का सामान अर्पित करें।
– मां दु्र्गा को इत्र, फल और मिठाई अर्पित करें।
– अब दुर्गा सप्तशती के पाठ देवी मां के स्तोत्र, सहस्रनाम आदि का पाठ करें।
– मां दुर्गा की आरती उतारें।
– अब वेदी पर बोए अनाज पर जल छिड़कें।
– नवरात्रि के नौ दिन तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करें। जौ पात्र में जल का छिड़काव करते रहें।