जोशी गांव में उपजाऊ जमीन पर सड़क निर्माण का विरोध

-उत्तराखंड से चलकर दिल्ली तक पहुंचा सड़क निर्माण का मामला

एसएस ब्यूरो/नई दिल्ली
कलछिपा जोशी गांव में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई जा रही सड़क का निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही विवाद खड़ा हो गया है। जोशी गांव के निवासियों ने इस सड़क के निर्माण पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसकी शिकायत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से लेकर दिल्ली में प्रधानमंत्री तक से की है। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क का निर्माण किसानों की उपजाऊ भूमि पर किया जा रहा है, जबकि इसे बंजर भूमि पर भी बनाया जा सकता है।

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ग्राम प्रधान हेमा देवी नैनवाल एवं पूर्व प्रधान हरीश नैनवाल ने कहा कि इसके संबंध में संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन भेज दिया गया है। यदि फिर भी सड़क का निर्माण कार्य जारी रहता है तो इसके खिलाफ जोरदार आंदोलन चलाया जायेगा। सड़क का निर्माण गांव के लोगों के हितों को देखते हुए ही किया जायेगा। ग्रामीणों की शिकायत है कि कलछिपा जोशी लिंक मार्ग का निर्माण करने वालों ने आश्वासन दिया था कि गांव की उपजाऊ जमीन को सड़क के लिए नहीं लिया जायेगा। लेकिन अब सड़क बनाने वाली ठेकेदार कंपनी मनमानी कर रही है।

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स्थानीय निवासी महेंद्र सिंह रावत ने बताया कि इसको लेकर ग्रामीणों की एक बैठक भी बुलाई गई थी। इसके साथ ही अधिकारियों से शिकायत भी की गई है। लेकिन उनका कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। ग्राम सभा कलछिपा जोशी के तहत दो गांव तला कलछिपा और चाचकोराली जहां दो सड़क पहले से भी हैं। इस सडक का उच्च स्तरीय अथिकारियों द्वारा निरीक्षण होना चाहिए। यदि इसमें किसी अधिकारी, ग्राम प्रधान या किसी सदस्य की मिलीभगत पायी जाती है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए। इस सडक का उद्देश्य यहां की जनता को सुविधा देना है। जिस प्रकार से गैरखेत से सड़क आ रही थी, उसी प्रकार आगे को जाना था। उससे लोगों की जमीन को बहुत कम नुकसान होता। सड़क को जंगल के लिए अचानक किसलिए घुमाया गया?

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स्थानीय महेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हम तो आज भी पूछते हैं इस सर्वे को विभागीय टीम जो आयी उसको कागजात दिखाने वाले कौन कौन व्यक्ति या ग्रामसभा के सदस्य थे? उनके नाम सार्वजनिक किये जाएं। बाहर से आयी सर्वे टीम को क्या पता ये कांडपालों की जमीन है, ये कोटलीया वालों की जमीन है? ये कोहली वालों की जमीन है? उनको यह जमीन दिखाने वाले कौन कौन लोग थे? आज तक पता नही लगा। जब से आपत्तियां आयीं तब से एक भी पत्र आगे विभागों को ग्रामसभा की ओर से नही दिया गया।