-बीजेपी ने गंवाई शालीमार बाग की अपनी परंपरागत सीट
-प्रदेश नेतृत्व की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल
-बीजेपी को भारी पड़ा अनुभवहीनों को कमान थमाना
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
किसी शायर ने एक शेर कहा है ‘कश्ती वहीं पर डूबी… जहां पानी कम था’। निगम चुनाव के नतीजों को लेकर दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी पर यह शेर एकदम सही साबित हुआ है। राजधानी दिल्ली के दो नगर निगमों के 5 वार्डों में हुए उपचुनाव में प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मुंह की खानी पड़ी है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ‘आदेश गुप्ता’ अपनी पहली परीक्षा में ही फेल हो गए हैं। बुधवार 3 मार्च को आए नतीजों में विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी ने शालीमार बाग नॉर्थ की अपनी परंपरागत सीट भी गंवा दी। बीजेपी की यह परंपरागत सीट थी और इस सीट पर बीजेपी के किले को अभेद्य माना जा रहा था। लेकिन प्रदेश नेतृत्व की अनुभवहीनता कहें या फिर पार्टी की खराब किस्मत कि इस उपचुनाव में बीजेपी अपनी सबसे अच्छी सीट भी हार गई।
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उपचुनाव के दौरान प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की ओर से उठाए गए मुद्दे हवा-हवाई हो गए। दिल्ली बीजेपी नेतृत्व दिल्ली जल बोर्ड में हुए 26 हजार करोड़ के तथाकथित घोटाले को भी सामान्य-जन तक नहीं पहुंचा सका। उपचुनाव के नतीजों को दिल्ली की सियासत के मामले में बीजेपी के लिए बेहद शर्मनाक माना जा रहा है। वहीं आम आमदमी पार्टी अपनी बादशाहत बचाने में कामयाब रही। वहीं कांग्रेस ने चौहान बांगर की सीट जीतकर दिल्ली की सियासत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश की है।
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आम आदमी पार्टी ने उत्तरी दिल्ली दोनों रोहिणी-सी और शालीमार बाग नॉर्थ सीट एवं पूर्वी दिल्ली की त्रिलोकपुरी ईस्ट व कल्याणपुरी सीट जीत ली हैं। खास बात है कि बीजेपी को अपनी परंपरागत सीट शालीमार बाग नॉर्थ पर भी मुंह की खानी पड़ी है। कांग्रेस ने चौहान बांगर सीट आम आदमी पार्टी से छीन ली है। हालांकि कांग्रेस की इस जीत को कांग्रेस के बजाय पार्टी के पूर्व विधायक चौधरी मतीन अहमद की जीत बताया जा रहा है। फिर भी इस जीत से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल जरूर बढ़ा है।
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नतीजे आने के बाद प्रदेश बीजेपी नेतृत्व पर दबाव बढ़ गया है। पार्टी में चर्चा शुरू हो गई है कि अनुभवहीन लोगों के हाथों में कमान जाने की वजह से उपचुनाव में पार्टी की यह हालत हुई है। पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि जिस तरह से बिना तैयारी के बीजेपी ने यह चुनाव लड़ा और जिस तरह से चुनाव में उम्मीदवारों के चयन से लेकर चुनाव की रणनीति बनाई गई थी, उसकी वजह से पहले ही पार्टी कार्यकर्ताओं को अपनी हार का अहसास हो गया था।
नगर निगम की पांच सीटों पर हुए इस उपचुनाव को 2022 में होने वाले तीनों नगर निगमों के चुनाव के
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सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है। जाहिर है कि उपचुनाव के नतीजों का अगले साल होने वाले निगम चुनावों पर भी पड़ेगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि बीजेपी पंत मार्ग स्थित प्रदेश कार्यालय से बाहर ही नहीं निकल पा रही है। 1998 के बाद से बीजेपी दिल्ली सरकार की सत्ता से बाहर है और अब नगर निगम की सत्ता से भी बाहर होने का शंखनाद हो गया है।
प्राथमिक परीक्षा में ही फेल हुए आदेश गुप्ता
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता अपनी पहली परीक्षा में ही फेल हो गए हैं। पार्टी को उम्मीद थी कि बीजेपी कम से कम दो सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। लेकिन आदेश गुप्ता के नेतृत्व में लड़े गये इस चुनाव में बीजेपी ने शालीमार बाग की परंपरागत सीट को भी गंवा दिया। आदेश गुप्ता को 2 जून, 2020 को दिल्ली बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया था। इसके पश्चात दिल्ली में यह पहला ऐसा चुनाव है, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष बतौर उन्हें चुनावी परीक्षा से गुजरना पड़ा है। बता दें कि पिछले समय में उनके द्वारा लिये गए कई निर्णयों को लेकर पार्टी के अंदर सवाल उठते रहे हैं। खास बात है कि वह 10 महीने बीत जाने के बावजूद अब तक पार्टी के सभी मंडलों तक का गठन नहीं कर पाये हैं।
1,23,299 मतदाताओं ने किया फैसला
बता दें कि उपचुनाव के दौरान 28 फरवरी को पांच वार्डों की सीटों के लिए 44 मतदान केंद्रों पर वोट डाले गये थे। सभी वार्डों के कुल 2 लाख 42 हजार 414 मतदाताओं में से 50.86 फीसदी यानी 1 लाख 23 हजार 299 मतदाताओं ने वोट डाले थे। चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा मतदान कल्याणपुरी वार्ड में 59.19 फीसदी दर्ज किया गया था जबकि सबसे कम शालीमार बाग नॉर्थ सीट पर 43.33 फीसदी रहा था। पॉश इलाकों के लोगों का अधिक उत्साह देखने को नहीं मिला था।