-महापौर ने बांटा मिड-डे मील लेकिन शिक्षा समिति अध्यक्ष को नहीं बुलाया
-780 शिक्षकों की भर्ती के मुद्दे पर सदन के नेता ने अपनाया अलग रूख
-उत्तरी दिल्ली नगर निगम में दिख रही बीजेपी नेताओं की एकजुटता
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के बीजेपी नेताओं के बीच बिखराव जारी है। नेता सदन, स्थायी समिति अध्यक्ष और महापौर ने अलग रास्ते अपना रखे हैं। इसके चलते दक्षिणी निगम की व्यवस्था भी अस्त-व्यस्त होती जा रही है। टोल टैक्स, पार्किंग और विज्ञापन से राजस्व की वसूली में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है। नेताओं के बीच दूरियों के चलते निगम की लाभकारी परियोजनाएं फिसड्डी साबित हो रही हैं। जिस तरह की एकजुटता उत्तरी दिल्ली के महापौर, नेता सदन और स्थायी समिति अध्यक्ष के बीच दिखाई दे रही है, दक्षिणी दिल्ली निगम में ऐसा सोचना भी मुश्किल है। उत्तरी दिल्ली निगम के बीजेपी नेता ज्यादातर मौकों पर एक साथ खड़े दिखाई देते हैं।
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महापौर अनामिका ने मंगलवार को सेंट्रल जोन के निगम विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के करीब 500 अभिभावकों को मिड-डे मील के राशन किट बांटे। इस कार्यक्रम में शिक्षा विभाग की निदेशक के साथ विभाग के अन्य अधिकारी तो मौजूद रहे। लेकिन नेता सदन अथवा स्थायी समिति अध्यक्ष गैर हाजिर रहे। यहां तक कि महापौर ने इस कार्यक्रम में निगम की शिक्षा समिति के अध्यक्ष को भी नहीं बुलाया। आश्चर्य की बात तो यह है कि मिड-डे मील बांटने का कार्यक्रम इतनी जल्दबाजी में रखा गया कि इसकी सही ढंग से पैकिंग तक नहीं की गई।
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इससे पहले डीएसएसएसबी की ओर से भर्ती किये गए 780 शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने नेता सदन नरेंद्र चावला से अपनी भर्ती को लेकर मुलाकात की थी। तब भी नरेंद्र चावला ने महापौर, स्थायी समिति अध्यक्ष या शिक्षा समिति के अध्यक्ष से बात किये बिना ही शिक्षा निदेशक और निगम आयुक्त को आदेश जारी कर दिए थे। सूत्रों का कहना है कि नेता सदन, महापौर और स्थायी समिति अध्यक्ष के अलग अलग रास्तों पर चलने की वजह से बीजेपी निगम पार्षदों में लगातार रोष बढ़ता जा रहा है।