NORTH DMC: बीजेपी नेताओं की विज्ञापन कंपनी को नहीं मिला एक्टेंशन

-स्थायी समिति ने लगाई एमएलएफ व स्क्यिरिटी जमा कराने के लिए अतिरिक्त समय देने पर रोक
-दिल्ली बीजेपी की पूर्व महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष व प्रदेश मंत्री की बताई जा रही कंपनी
-विज्ञापन विभाग के दो अधिकारियों पर लगे ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के गंभीर आरोप

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम भले ही गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा हो, लेकिन सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता इस स्थिति में भी निगम को खुले हाथों से लूटने में लगे हैं। फिलहाल उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कार्यरत एक विज्ञापन कंपनी मै0 पाश्चात्य एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड को 5 जोन में बिजली के खंभों (पोल क्योस्क) पर विज्ञापन के ठेके के लिये एडवांस एमएलएफ और सिक्योरिटी जमा कराने के लिए और समय देने पर रोक लगा दी गई है।

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मै0 पाश्चात्य एंटरटेनमेंट प्राईवेट लिमिटेड पर यह रोक 5 जनवरी, शुक्रवार को हुई स्थायी समिति की बैठक में लगाई गई। बता दें कि यह कंपनी भारतीय जनता पार्टी के महिला मोर्चा की एक पूर्व अध्यक्ष और एक पूर्व प्रदेश मंत्री के रिश्तेदारों की बताई जा रही है। इस कंपनी को पैसे जमा कराने के लिए और समय देने का प्रस्ताव विज्ञापन विभाग के अधिकारियों की सिफारिश पर निगम आयुक्त के द्वारा दिनांक 30 दिसंबर, 2020 के पत्र संख्याः एफ.33/एडीसी एडीवीटी/एडीएमसी/544/सीएंडसी के द्वारा लाया गया था।

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बता दें कि मै0 पाश्चात्य एंटरटेनमेंट प्रा. लि. ने सितंबर, 2019 में उत्तरी दिल्ली के पांच जोन में बिजली के खंभों पर विज्ञापन लगाने का ठेका लिया था। इसके तहत कंपनी को 7 अगस्त 2019 तक तीन माह के मंथली लाइसेंस शुल्क के बराबर सिक्योरिटी अमाउंट के साथ एक माह का एडवांस मासिक लाइसेंस शुल्क नगर निगम के खाते में जमा कराना था। इस अवधि में एडवांस शुल्क और सिक्योरिटी डिपॉजिट नहीं कराने पर टेंडर प्रक्रिया के दौरान जमा कराया गया अर्नेस्ट मनी जब्त करके नगर निगम को इस कंपनी का ठेका रद्द करके दूसरी कंपनी को काम दिया जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

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इस संबंध में मै. एन.जी. एड्स एवं आर.एस. एड कंपनी ने निगम के आला अधिकारियों को नगर निगम में चल रहे इस बड़े स्तर के गोलमाल के बारे में शिकायत भी की थी। शिकायत के मुताबिक 7 अगस्त तक एडवांस मासिक शुल्क और सिक्योरिटी अमाउंट जमा कराने के बाद पांचों जोन में काम की अलॉटमेंट का लेटर जारी किया जाना था। लेकिन विज्ञापन विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से ठेका लेने वाली संबंधित विज्ञापन कंपनी अगस्त से दिसंबर 2020 तक बिना जरूरी शुल्क जमा कराए ही मोटी कमाई करती रही।

शिकायतकर्ता संजय गुप्ता और रामनरेश ने अपने पत्रों में विज्ञापन विभाग के दो अधिकारियों पर यह आरोप भी लगाये हैं कि संबंधित विज्ञापन कंपनी के खिलाफ नगर निगम को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी, और इस कंपनी के खिलाफ खुद कोर्ट में जाना चाहिए था। लेकिन नगर निगम के खिलाफ बिना कोई शुल्क जमा कराये यह कंपनी कोर्ट में भी चली गई और अपने हित में कोर्ट से राहत भी ले आई थी। इसके बाद फिर से यह कंपनी पांचों जोन में विज्ञापन का काम करती आ रही थी।
आरोप है कि एक बार फिर विज्ञापन विभाग के कुछ अधिकारियों की सिफारिश पर निगम आयुक्त ने करीब डेढ़ साल बाद 30 दिसंबर को इस कंपनी को छूट देने संबंधी प्रस्ताव संख्याः 114 स्थायी समिति में लाने के लिए मंजूरी दी थी। जिसे 5 फरवरी, 2021 की स्थायी समिति बैठक में रद्द कर दिया गया है। अब देखना यह है कि क्या तथाकथित बीजेपी नेताओं के रिश्तेदारों की इस कंपनी से उत्तरी दिल्ली नगर निगम पिछले डेढ़ साल से बकाया रकम को वसूल पायेगा? इस मामले में स्थायी समिति अध्यक्ष छैल बिहारी गोस्वामी ने कहा कि इस तरह का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार करने वाले ठेकेदारों को किसी तरह की छूट नहीं दी जा सकती है।