शिरोमणि अकाली दलः न नैतिक जिम्मेदारी न पार्टी से वफादारी… कुर्सी की चाहत पड़ी सब पर भारी!

-राजधानी की सियासी बिसात पर बिखरा शिरोमणि अकाली दल
-दो पार्षद कर चुके हैं अकाली दल के साथ बगावत

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली की सियासत में उठापटक जारी है। नगर निगम की 5 सीटों पर उपचुनाव के साथ वर्ष 2022 में होने वाले नगर निगम के आम चुनावों की चर्चा भी शुरू हो गई है। एक ओर नगर निगम के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच तलवारें खिंची हैं। इस उपचुनाव से कांग्रेस भी दिल्ली में खोयी हुई अपनी सियासी जमीन को तलाशने में जुटी है। लेकिन अब दिल्ली के सियासी मैदान में बड़े सवाल शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के राजनीतिक भविष्य पर भी खड़े हो गए हैं।

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किसानों के मुद्दे पर दिल्ली के सियासी मैदान में शिरोमणि अकाली दल (बादल) पहले ही बिखर गया है। पार्टी के दो निगम पार्षदों के लिए कुर्सी का मोह सब पर भारी पड़ा है। इन पार्षदों ने नैतिक जिम्मेदारी और पार्टी के प्रति वफादारी को पूरी तरह से किनारे कर दिया है। एसएडी नेताओं ने अपनी पार्टी के साथ बगावत इसलिए की है कि दिल्ली में बीजेपी के बिना शिरामणि अकाली दल का कोई वजूद नहीं है।

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हालांकि 28 फरवरी को जिन पांच सीटों पर चुनाव के लिए मतदान होना है, इनमें से कोई भी सीट पहले भी अकाली दल के हिस्से में नहीं थी। लेकिन शिरोमणि अकाली दल द्वारा बीजेपी का साथ छोड़ने के बाद से बीजेपी के सिख प्रकोष्ठ के नेता राहत महसूस कर रहे हैं। सिख बहुलता वाली ज्यादातर सीटों पर सिख प्रकोष्ठ के नेताओं की नजरें गढ़ी हैं। जबकि पंजाब विधानसभा चुनाव के आस पस ही दिल्ली नगर निगम चुनाव होने हैं। ऐसे में दोबारा बीजेपी-अकालियों का साथ आ पाना मुश्किल नजर आ रहा है।

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केंद्र की मोदी सरकार के तीन कृषि बिलों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल ने न केवल केंद्र में मंत्री पद को ठुकरा दिया, बल्कि इससे भी आगे जाकर बीजेपी के साथ दशकों पुरानी अपनी दोस्ती को भी खत्म कर दिया और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग हो गया। शिरोमणि अकाली दल की दिल्ली इकाई ने भी बीजेपी के साथ अपने गठबंधन को खत्म करने के ऐलान के साथ अपने निगम पार्षदों को नगर निगम के सभी पदों से इस्तीफा देने का आदेश जारी किया था।

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लेकिन शिरोमणि अकाली दल के दो नेताओं उत्तरी दिल्ली में जीटीबी नगर से राजा इकबाल सिंह ने सिविल लाइंस के जोन चेयरमैन का पद और राजेंद्र नगर से निगम पार्षद परमजीत सिंह राणा ने विधि एवं सामान्य प्रयोजन समिति अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं दिया है। इसके चलते शिरोमणि अकाली दल ने परमजीत सिंह राणा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इससे पहले ही दिल्ली बीजेपी के पूर्व उपाध्यक्ष कुलवंत सिंह बाठ ने भी दिल्ली सिख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
5 में से 4 सीटों पर जीता था अकाली दल
शिरोमणि अकाली दल ने 2017 में दिल्ली नगर निगम की पांच सीटों पर चुनाव लड़ा था। इनमें से उत्तरी दिल्ली की दो सीटों पर जीटीबी नगर से राजा इकबाल सिंह और राजेंद्र नगर से परमजीत सिंह राणा जीतकर निगम पार्षद बने थे। जबकि दक्षिणी दिल्ली की तीन सीटों में से प्रताप नगर से अमरजीत सिंह और कालकाजी से मनप्रीत कौन ने जीत हासिल की थी। लेकिन तिलक नगर सीट से अकाली दल के रविंदर सिंह चुनाव हार गए थे। इस तरह दिल्ली में अकाली दल के कुल चार पार्षद ही हैं। हालांकि कुलवंत सिंह बाठ की पत्नी और भजनपुरा से निगम पार्षद गुरजीत कौर को भी अकाली दल का पार्षद बताया जा रहा है। लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि उनके पति बीजेपी में हैं और वह बीजेपी के पार्षद हैं।