-वरिष्ठ पत्रकार रास बिहारी ने पीएम को भेंट की अपनी पुस्तकें
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वरिष्ठ पत्रकार रास बिहारी द्वारा पश्चिम बंगाल की राजनीति पर लिखी गईं उनकी पुस्तकों की प्रशंसा की है। बंगाल यात्रा के दौरान रास बिहारी ने प्रधानमंत्री को अपनी पुस्तकें भेंट की थीं। इस दौरान पीएम ने कहा कि उन्हें अपने लेखन कार्य को आगे जारी रखना चाहिए। इसके बाद रास बिहारी ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा मेरे प्रयासों की सराहना मेरे लिए बहुत मायने रखती है। बता दें कि पश्चिम बंगाल की राजनीति पर रास बिहारी के अब तक तीन पुस्तकें बाजार में आ चुकी हैं। जो कि निम्न प्रकार से हैं-
रक्तांचल- बंगाल की रक्तचरित्र राजनीति
तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी के 2011 में मुख्यमंत्री बनने के बाद पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा बंद होने की संभावना जताई गई थी। ममता बनर्जी के राज में हर चुनाव में विरोधी दलों की राजनीतिक हिंसा की आशंका सच साबित हुईं हैं। पुस्तक में 2014 के लोकसभा और 2016 के विधानसभा चुनाव के साथ उपचुनावों में हिंसा व धांधली की घटनाओं का विस्तार से उल्लेख किया गया है। 2011 से 2018 तक राजनीतिक कारणों से हत्या और संघर्षों की विस्तृत जानकारी दी गई है। पुस्तक बताती है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता कटमनी, सिंडीकेट को लेकर संघर्ष, ठेके कब्जाने के लिए खूनखराबा, रंगदारी वसूलने और अवैध धंधों पर कब्जा करने के लिए किस तरह एक-दूसरे को काटते रहे और बमों से उड़ाते रहे।
वर्चस्व बनाए रखने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने आंतक फैलाने के लिए माकपा, कांग्रेस और फिर भाजपा के कार्यकर्ताओं का किस तरह कत्ल किया। विरोधियों को सबक सिखाने के लिए महिलाओं के साथ बलात्कार, बच्चों की पिटाई और घरों को आग लगाने की घटनाओं के उदाहरण के साथ बंगाल की रक्तचरित्र राजनीति का पुस्तक में पूरी बेबाकी और निष्पक्षता से खुलासा किया गया है। राजनीतिक हिंसा पर मुख्यमंत्री का राज्यपालों से टकराव पर सटीक विश्लेषण के साथ ममता बनर्जी के जीवन और राजनीति पर गहराई से आकलन किया गया है।
रक्तरंजित बंगाल- लोकसभा चुनाव 2019
पुस्तक में 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदान से पहले, मतदान के दौरान और मतदान के बाद राजनीतिक हिंसा का विस्तार से वर्णन किया गया है। 2019 में राजनीतिक हिंसा में मारे गए लोगों और घायलों के उदाहरण रक्तरंजित बंगाल के प्रमाण दे रहे हैं। राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में आतंक फैलाने के लिए कैसे जगह-जगह घरों को फूंका गया। राजनीतिक संघर्ष को लेकर हुई बमबाजी और गोलीबारी से शहर और गांवों के लोग कैसे पूरे साल दहलते रहे।
बढ़ती राजनीतिक हिंसा के साथ ही पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी का बढ़ता जनाधार, वामदलों के साथ कांग्रेस का सिमटता आधार और तृणमूल कांग्रेस की वोटों के लिए तुष्टीकरण नीति का गहराई से आकलन किया गया है। राजनीति में अवैध हथियारों और काला धन के बढ़ते प्रभाव को उजागर किया गया है। राजनीति चमकाने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा सुप्रीम कोर्ट, केंद्र सरकार, राज्यपालों, चुनाव आयोग और सुरक्षा बलों पर हमलों का सटीक विश्लेषण शामिल है।
बंगाल- वोटों का खूनी लूटतंत्र
पश्चिम बंगाल में नक्सलवाद पनपने के बाद पिछले 50 वर्षों की राजनीतिक हिंसा से पूरी तरह परिचित कराती पहली पुस्तक। 1967 में किसानों के आंदोलन, उद्योगों में बंद और हड़ताल, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्कूलों में बमों के धमाके तथा रिवाल्वरों से निकलती गोलियों के साथ अराजकता भरे आंदोलनों की जानकारी। 1972 में कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर राय के दमनचक्र के बाद 1977 में वाम मोर्चे की सरकार के गठन के बाद राजनीतिक हिंसा का विस्तृत विवरण।
माकपा ने त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था लागू करने के बाद किस तरह राजनीतिक हिंसा के सहारे सत्ता पर पकड़ बनाए रखी। 1978 से 2018 तक हुए नौ पंचायत चुनावों के दौरान हत्याओं और हिंसा का पूरी जानकारी के साथ 2013 और 2018 में सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस द्वारा पंचायत चुनाव में वोटों की खूनी लूट का पुस्तक में खुलासा किया गया है।
संक्षिप्त परिचयः
बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार रास बिहारी सरोकारी पत्रकारिता के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। जनहितैषी खबरों के जरिये चाहे प्रशासन को नींद से जगाने की बात हो या सरकारों के नकारापन को बेबाकी भरे शब्दों से उजागर करने की, रास बिहारी पूरी निडरता और सजगता से पत्रकार होने का फर्ज निभाते रहे हैं। इसके इतर, वे देश में पत्रकार हितों के लिये संघर्षरत सबसे सशक्त और बुलंद आवाज़ के तौर पर खास पहचान रखते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा के गोवर्धन में जन्मे रास बिहारी ने हरियाणा के पलवल और फ़रीदाबाद में शिक्षा प्राप्त की। करीब चार दशक पूर्व पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने अग्रणीय पत्र-पत्रिकाओं में लिखने की शुरुआत कर दी थी। शुरूआती दौर में उन्होंने पंजाब केसरी और दैनिक ट्रिब्यून अखबार में लिखते हुए अपनी कलम की धार को तेज किया। कुछ अखबारों से जुड़ने के बाद उन्होंने भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली से जर्नलिज्म में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा और गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय से जनसंचार में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।
1988 में कुछ समय वीर अर्जुन अखबार में रहे। 1988 से 2008 तक वह वह दैनिक हिन्दुस्तान में विभिन्न पदों पर रहे। मेरठ और गुरूग्राम में हिन्दुस्तान अखबार के प्रभारी रहे हैं। नई दुनिया अखबार की दिल्ली-एनसीआर लॉंचिंग टीम के वे महत्वपूर्ण स्तम्भ रहे और मेट्रो संपादक के पद पर रहते हुए नई दुनिया को दिल्ली में एक अलग पहचान और मुकाम पर स्थापित किया। रास बिहारी अब तक गवर्नेंस नाउ के वरिष्ठ संपादक, हिन्दुस्थान समाचार के कार्यकारी संपादक, और रांची एक्सप्रेस में वरिष्ठ संपादक/ राजनीतिक संपादक के पद पर कार्य कर चुके हैं। फिलहाल वह रांची एक्सप्रेस, राष्ट्रीय खबर, हमारा समाज उर्दू दैनिक, दोपहर मेट्रो भोपाल और प्रथम प्रवक्ता के साथ जुड़े हैं।
रासबिहारी लम्बे समय तक दिल्ली पत्रकार संघ के अध्यक्ष और महासचिव रहे। वर्तमान समय में वे नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के अध्यक्ष हैं। अब तक रास बिहारी की रक्तांचल-बंगाल की रक्तचरित्र राजनीति, रक्तरंजित बंगाल-लोकसभा चुनाव 2019 और बंगाल-वोटों का खूनी लूटतंत्र प्रकाशित हो चुकी हैं।