-राकेश टिकैत, शिव कुमार दद्दा, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल, गुरूनाम सिंह रूढ़ूनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग
-दिल्ली में हुए सरकारी संपत्तियों के नुकसान की किसान नेताओं की संपत्तियों से भरपाई करने की मांग
-दर्ज की गईं 22 एफआईआर, वीडियो फुटेज और सीसीटीवी कैमरों से उपद्रवियों की पहचान की कोशिश
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों के नाम पर उपद्रवी काम पर निकल पड़े। ट्रैक्टर परेड के नाम पर मंगलवार को देश की राजधानी को कई घंटे तक बंधक बनाये रखा गया। दिल्ली की सीमाओं पर बीते कई दिनों से धरने पर बैठे लोगों के किसान होने पर उठे सवाल 26 जनवरी के दिन सही साबित हुए। लेकिन अब इस कथित किसान आंदोलन को हवा देने और गणतंत्र दिवस के मौके पर टै्रक्टर परेड निकालने पर अड़ने वाले तथाकथित किसान नेता उन नामों के पीछे छिप गये हैं जिन्हें फिलहाल लाल किला पर तिरंगे के बजाय दूसरा झंडा फहराने और दिल्ली को हिंसा के हवाले करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
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दिल्ली पुलिस को मिले इनपुट्स और सामने आये तथ्यों के मुताबिक लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराने के लिए दीप सिद्धू को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। वहीं आईटीओ, लाल किला और दिल्ली के कुछ दूसरे इलाकों में फैलाई गई हिंसा के लिए पंजाब के गैंगस्टर लख्खा सिघाना को जिम्मेदार माना जा रहा है। दिल्ली पुलिस ने दोनों के खिलाफ सबूत जुटाने शुरू कर दिये हैं। दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को दिल्ली में हिंसा फैलाने वाले उपद्रवियों की पहचान शुरू कर दी है। इस मामले में खबर लिखे जाने तक दिल्ली पुलिस ने 22 एफआईआर दर्ज की हैं।
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दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक इन एफआईआर में कुछ किसान नेताओं के नाम भी शामिल हैं। हालांकि अब यह तथाकथित किसान नेता ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद से सारी जिम्मेदारियों से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। टै्रक्टर मार्च नहीं निकालने देने पर अड़ने पर बक्कल उतारने की धमकी देने वाले यह नेता अब अपने आपको सिद्धू और लख्खा के पीछे छिपाये बैठे हैं और सभी तरह की जिम्मेदारी इन्हीं के ऊपर डाल रहे हैं। इसके साथ ही केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी को साजिश रचने का जिम्मेदार ठहराने में जुटे हैं।
किसान नेताओं को गिरफ्तार करने की मांग
सार्थक जन मंच ने दिल्ली की सीमाओं पर विभिन्न स्थानों पर बैठे किसान नेताओं को तुरंत गिरफ्तार कर देशद्रोह, यूएपीए और विभिन्न प्रकार की आपराधिक धारों में मुकद्दमा चलाने की मांग की है। सार्थक जन मंच के महासचिव ललित भैया ने कहा है कि 26 जनवरी को पूरे दिन दिल्ली शहर आतंकी गतिविधियों की वजह से बंधक बना रहा। इन किसान नेताओं ने यह भरोसा दिलाया था कि टै्रक्टर मार्च शांतिपूर्ण ढंग से निकलेगा। लेकिन जब दिल्ली में हिंसा हो रही थी तब इनमें से एक भी नेता नजर नहीं आया। जो लोग सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं उनकी गिरफ्तारी तो की ही जानी चाहिये, इसके साथ ही इन किसान नेताओं को भी तुंरत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
अपनी राजनीति चमका हैं करीब 30 किसान नेता
केंद्र सरकार द्वारा लाये गये 3 किसान कानूनों के खिलाफ धरना-प्रदर्शन में शामिल करीब 25 किसान नेता अपनी सियासत को चमकाने में जुटे हैं। ज्यादातर किसान नेताओं की मांग तीनों कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने की है। 26 जनवरी को दिल्ली में हुई ट्रैक्टर परेड में भारी हिंसा के दौरान इनमें से एक भी नेता नजर नहीं आया। यहां तक कि ज्यादातर इन किसान नेताओं ने अपने मोबाइल फोन तक स्विच ऑफ कर लिये। जब मामला सुलझ गया और पुलिस व सुरक्षा बलों ने स्थिति को काबू में कर लिया तो एक-एक कर यह किसान नेता भी सामने आकर मीडिया में बयान दे रहे हैं।
1. सतनाम सिंह पन्नू
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सतनाम सिंह पन्नू की उम्र 65 साल है. इस कमेटी की स्थापना 2007 में हुई थी, जिसमें करीब 5000 के आसपास सदस्य हैं। इस कमेटी से जुड़े लोग पंजाब के तरनतारन, गुरदासपुर, फिरोजपुर और अमृतसर से संबंध रखते हैं। फेसबुक पर इनके 70000 के आसपास फॉलोअर्स हैं। पंजाब में बीजेपी और अकाली दल की सरकार के दौरान भी इसने एक बड़ा प्रोटेस्ट किया था।
2. जोगिंदर सिंह उग्रहा
भारती किसान यूनियन-एकता उग्रहा संगठन की स्थापना 2002 में हुई थी। इसमें 8500 के आसपास मेंबर हैं। यह संगठन अमृतसर, बठिंडा, बवाला, गुरदासपुर, लुधियाना, संगरूर, फरीदकोट, फिरोजपुर मनसा, मोगा और मुक्तसर जिले में अपना प्रभाव रखता है। इस संगठन के फेसबुक पर 46491 फॉलोअर्स हैं। इसके मुख्य फाउंडर और प्रेसिडेंट जोगिंदर सिंह उग्रहा हैं। जोगिंदर सिंह उग्रहा ने सेना को छोड़ करके अपने परिवार की पारंपरिक खेती को शुरू किया था और 2002 में बीकेयू उग्रहा किसान संगठन बनाया था। ये कई बार च्तव-स्ॅम् की एक्टिविटी में शामिल हो चुके हैं।
3. सुरजीत सिंह फूल
भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी के संस्थापक सुरजीत सिंह फूल हैं। इस किसान संगठन की 2004 में स्थापना की गई थी. इसमें सिर्फ 1000 मेंबर हैं। भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी का राजनीतिक झुकाव माकपा की तरफ है। इसके फेसबुक पर सिर्फ 274 फॉलोअर्स हैं। इनके ऊपर कई बार पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज की है। यही नहीं पंजाब सरकार ने 2009 में इन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था क्योंकि इनके संबंध कई नक्सलियों से बताए गए थे।
4. डॉक्टर दर्शन पाल
क्रांतिकारी किसान यूनियन के संस्थापक और स्टेट प्रेसिडेंट डॉक्टर दर्शन पाल हैं। इस संगठन की स्थापना 2016 में हुई थी. इस संगठन के 700 मेंबर हैं। यह संगठन राजनीतिक तौर माकपा की तरफ झुकाव रखता है। 70 साल की उम्र के दर्शन पाल ने पंजाब सरकार में हेल्थ डिपार्टमेंट में नौकरी शुरू की थी। एलडब्ल्यूई एक्टिविटीज के चलते कई बार आरोप लगते रहे हैं। यही नहीं इनके कई सीपीआई (मोओविस्ट) नेताओं से संपर्क रहे हैं, जिसे लेकर इनके ऊपर बड़े सवाल उठे हैं।
5. अजमेर सिंह लक्खोवाल
भारतीय किसान यूनियन लक्खोवाल के प्रेसिडेंट अजमेर सिंह लक्खोवाल हैं। संगठन के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लक्खोवाल हैं। इसकी स्थापना 1992 में हुई थी और अभी इसके 7000 मेंबर हैं। फेसबुक पर इसके 5886 ही फॉलोअर हैं। 77 साल के अजमेर सिंह लक्खोवाल पाकिस्तान में जन्मे थे और विभाजन के समय लुधियाना आए थे। अजमेर सिंह लक्खोवाल गणित में एमएससी हैं।
6. बूटा सिंह बुर्ज गिल
भारतीय किसान यूनियन डकोंजा के प्रेसिडेंट बूटा सिंह बुर्ज गिल हैं। इस संगठन की स्थापना 2005 में हुई थी और इसके 4000 मेंबर ह।ं. यह किसान संगठन संगरूर, बरनाला, मोगा लुधियाना, पटियाला, फिरोजपुर, फरीदकोट और फतेहगढ़ साहिब में प्रभाव रखता है। यह राजनीतिक तौर पर प्रो-सीपीआईएम किसान संगठन है। 66 साल के बूटा सिंह बुर्ज गिल इससे पहले बीकेयू/स्ांवूंस से संबंधित थे।
7. जगजीत सिंह दलेवाल
भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के प्रेसिडेंट जगजीत सिंह दलेवाल हैं। इस किसान संगठन की स्थापना 2002 में हुई थी। इसमें 5000 मेंबर हैं। जगजीत सिंह दलेवाल 62 साल के हैं और इनके पास 17 एकड़ जमीन है। खास बात है कि इस संगठन का बहुत ज्यादा इलाकों में प्रभाव नहीं है। इसके बावजूद यह किसान संगठन भी किसान कानूनों के विरोध में अपनी सियासी रोटियां सेंक रहा है।
8. बलबीर सिंह रजेवाल
भारतीय किसान यूनियन रजेवाल के संस्थापक बलबीर सिंह रजेवाल हैं। 2006 में इस किसान यूनियन की स्थापना की गई थी। इसके करीब 5000 सदस्य हैं। यह किसान संगठन बठिंडा, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, फिरोजपुर, गुरदासपुर, होशियारपुर जैसी जगहों पर अपना प्रभाव रखता है। बलबीर सिंह रजेवाल 77 साल के हैं। 2006 में रजेवाल ने बीकेयू (एमआर) से रिजाइन करके बीकेयू रजेवाल बनाया था तब से यह लगातार इस किसान संगठन के प्रेसिडेंट है।
9. हरमीत सिंह क़ादियान
भारतीय किसान यूनियन कादियान के संस्थापक हरमीत सिंह क़ादियान हैं। इस यूनियन की स्थापना 2017 में की गई थी। इसमें लगभग 4000 मेंबर हैं। यह बटिंडा, जालंधर, होशियारपुर, मोगा, रोपण और मानसा जैसे कई जगहों पर सक्रिय है। 35 साल की उम्र के हरमीत सिंह कादियान लुधियाना में जन्मे थे और लुधियाना के खालसा कॉलेज से इन्होंने ग्रेजुएशन किया है।
10. निर्भय सिंह दूधीके
कीर्ति किसान यूनियन के संस्थापक निर्भय सिंह दूधीके हैं। 1972 में इस किसान संगठन की स्थापना की गई थी। इसके 5500 मेंबर इस समय एक्टिव हैं। यह किसान संगठन अमृतसर, गुरदासपुर, जालंधर, पठानकोट, संगरूर, मोगा, लुधियाना और नवांशहर में एक्टिव है। यह किसान संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट डेमोक्रेटिक से राजनीतिक रूप से जुड़ा हुआ है। इस किसान संगठन के 1247 फेसबुक फॉलोअर हैं।
11. मनजीत सिंह राय
भारतीय किसान यूनियन दोआबा के प्रेसिडेंट मनजीत सिंह राय हैं। यह किसान संगठन नवांशहर, जालंधर, होशियारपुर और कपूरथला के किसानों में अपना प्रभाव रखता है। हालांकि सोशल मीडिया पर इस संगठन के बारे में बहुत जयादा जानकारी नहीं है। इसके साथ ही यह संगठन किसानों के बीच बहुत ज्यादा पहचान भी नहीं रखता है।
12. मलप्रीत सिंह
किसान संघर्ष कमेटी के प्रेसिडेंट कमलप्रीत सिंह पन्नू हैं। इस किसान संगठन की स्थापना सन 2000 में हुई थी जिसके सिर्फ 1500 एक्टिव मेंबर हैं। यह संगठन कपूरथला, अमृतसर, जालंधर, तरनतारन और गुरदासपुर जैसे पंजाब के जिलों में अपना प्रभुत्व रखता है। ज्यादा बड़े आंदोलन इस संगठन के नाम नहीं रहे हैं। हालांकि जब-तब सक्रिय हो जाता है।
13. सतनाम सिंह अजनाला
जम्हूरी किसान सभा के प्रेसिडेंट सतनाम सिंह अजनाला हैं। इस संगठन की स्थापना 2004 में हुई थी और इसके दो हजार एक्टिव मेंबर हैं। इस संगठन की राजनीतिक संपर्क भी हैं। रिवॉल्यूशनरी मार्कसिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से इसके राजनीतिक संबंध बताए जाते हैं। यानी कि यह किसान संगठन वामपंथी विचारधारा से प्रेरित है।
14. बलदेव सिंह मियांपुर
भारतीय किसान यूनियन मन की स्थापना 2002 में हुई थी। उसके प्रेसिडेंट बलदेव सिंह मियांपुर हैं। इस संगठन में सिर्फ 500 एक्टिव मेंबर हैं। इस संगठन का प्रभुत्व मोगा, फिरोजपुर, गुरदासपुर जैसे जिलों में मौजूद है। यह संगठन राजनीतिक तौर पर इंडियन नेशनल कांग्रेस का समर्थन करता है। यानी कहा जा सकता है कि इसे सीधे तौर पर कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है।
15. बलदेव सिंह निहंग
ऑल इंडिया किसान सभा पंजाब के मुख्य नेता बलदेव सिंह निहंग हैं। वह इस संगठन के जनरल सेक्रेटरी भी हैं। इसकी स्थापना 1936 में हुई थी, जिसमें 800 से 1000 मेंबर इस समय हैं, और यह संगठन पंजाब के कई जिलों में अपना प्रभुत्व रखता है। राजनीतिक तौर पर यह सीपीआई से जुड़ा हुआ है। यानी वामपंथी विचारधारा को आगे बढ़ाना ही इसका प्रमुख काम है।
16. रुलदु सिंह मानसा
पंजाब किसान यूनियन के प्रेसिडेंट रुलदु सिंह मनसा हैं। इस संगठन की स्थापना 2006 में हुई थी। इसके 2500 मेंबर हैं। इस किसान संगठन का प्रभाव मानसा, लुधियाना और मुख्तसर में है। राजनीतिक तौर पर यह संगठन अपने आपको सीपीआईएमएल से जोड़ कर बताता है। साथ ही पंजाब किसान यूनियन के प्रेसिडेंट ऑल इंडिया किसान संघर्ष समिति के मेंबर भी हैं।
17. हरजिंदर सिंह टांडा
आजाद किसान संघर्ष कमेटी की स्थापना 2014 में हुई थी। इसके प्रेसिडेंट हरजिंदर सिंह टांडा हैं। इस किसान संगठन के महज 300 मेंबर हैं। इसका प्रभाव तरनतारन और अमृतसर के कई इलाकों में है। ऑल इंडिया किसान संघर्ष समिति के मेंबर ही इसके प्रेसिडेंट हैं।
18. बलवंत सिंह बहराम
भारतीय किसान यूनियन (मान) के जनरल सेक्रेटरी बलवंत सिंह बहराम हैं। राजनीतिक तौर पर यह संगठन कांग्रेस से जुड़ा हुआ है। इस संगठन का सिर्फ मोगा जिले के कुछ इलाकों में ही प्रभाव है। कांग्रेस के साथ सीधे तौर पर जुड़ा होने की वजह से यह छोटा सा संगठन मीडिया में अपना काफी प्रभाव रखता है।
19. गुरनाम सिंह चादूनी
भारतीय किसान यूनियन (गुरनाम) के संस्थापक गुरनाम सिंह चादूनी हैं। गुरनाम सिंह कुरुक्षेत्र के एक मशहूर किसान नेता हैं। हरियाणा में कई बार यह किसानों के लिए रैली कर चुके हैं। भारतीय किसान यूनियन गुरनाम की स्थापना 2004 में इन्होंने किया था। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इनके अच्छे संबंध हैं। बताया जाता है कि यह किसान संगठन आम आदमी पार्टी का बड़ा समर्थक है।
20. राकेश टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के कर्ता-धर्ता इस समय राकेश टिकैत हैं। इस किसान संगठन की स्थापना इनके पिता महेंद्र सिंह टिकैत ने की थी। महेंद्र सिंह टिकैत का बेटा होने के नाते लगातार भारतीय किसान यूनियन टिकैत के हर कार्यक्रम में राकेश टिकैत मौजूद रहते हैं। राकेश टिकैत इस समय किसान आंदोलन को लेकर सरकार से कई बार बातचीत कर चुके हैं।
21. कविता कुरुगंटी
कविता कुरुगंटी (आशा) की राष्ट्रीय समन्वयक हैं। 27 साल से किसानों के अधिकार के लिए यह लड़ाई लड़ती आई हैं। कविता कुरुगंटी मूल रूप से बेंगलुरु में रहती हैं और वहीं से किसानों के हितों लेकर लगातार काम करती हैं। सरकार से मीटिंग के दौरान कई बार किसानों के मुद्दों को उठा चुकी हैं। हाल ही में बना महिला किसान अधिकार मंच की संस्थापक सदस्य भी कविता कुरुगंटी हैं।
22. ऋषि पाल अंबावत
भारतीय किसान यूनियन (अंबावत) के प्रेसिडेंट ऋषि पाल अंबावत हैं। ऋषि पाल दिल्ली में जन्मे थे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चौधरी चरण सिंह के बाद इनको किसानों का दूसरा बड़ा नेता कहा जाता है। अंबावत चौधरी चरण सिंह, लाल बहादुर शास्त्री और वीपी सिंह से काफी प्रभावित थे। 1997 में इन्होंने भारतीय किसान यूनियन अंबावत की स्थापना की थी। इसके तहत उन्होंने करीब 50 बार “किसान जन चेतना यात्रा“ की और इसी के चलते यह कई बार जेल भी जा चुके हैं। यही नहीं यह राष्ट्रीय जनता दल किसान मोर्चा के 1 साल नेशनल वाइस प्रेसिडेंट भी थे। बीजेपी किसान मोर्चा के 6 महीने तक नेशनल वाइस प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं।
23. शिवकुमार शर्मा उर्फ “कक्का“ जी
राष्ट्रीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक शिवकुमार शर्मा उर्फ “कक्का“ जी हैं। शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी इस किसान आंदोलन के दौरान सरकार से बातचीत के समय काफी मुखर तरीके से अपनी बात रखते रहे हैं। 1951 में भोपाल में जन्मे शिवकुमार किसानों की भलाई के लिए लड़ाई लड़ते रहे हैं। इनके पास करीब 30 एकड़ जमीन है। मूल रूप से मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में इनकी यह जमीन है।
24. वीएम सिंह (संयोजक एआईकेएससीसी)
भारतीय राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के नेशनल प्रेसिडेंट वीएम सिंह उर्फ वीरेंद्र मोहन सिंह वर्तमान समय में ऑल इंडिया किसान संघर्ष समिति के संयोजक हैं। 61 साल के वी एम सिंह मेनका गांधी के दूर के रिश्तेदार बताए जाते हैं। इनका मूल निवास लखनऊ में है। दिसंबर 2015 में इन्होंने पॉलिटिकल पार्टी राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ पार्टी बनाई थी। इससे यह चुनाव भी लड़ चुके हैं। इसके अलावा 2007 और 2012 में एआईटीसी से टिकट लेकर भी चुनाव लड़े हैं।
25. युद्धवीर सिंह सेहरावत
ऑल इंडिया जट महासभा से संबंध रखने वाले युद्धवीर सिंह सहरावत की उम्र 60 वर्ष है। मूल रूप से खेती करने वाले युद्धवीर सिंह सहरावत दिल्ली के महिपालपुर में रहते हैं। इन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। युद्धवीर सिंह सहरावत पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के साथ काम कर चुके हैं। यह राष्ट्रीय लोकदल के जनरल सेक्रेटरी भी रह चुके हैं।