बजट प्रतिक्रियाः कांग्रेस ने बताया हवाहवाई बजट

-हवाहवाई है निगम का बजट, तभी घटाना पड़ा चालू साल का इनकम व एक्सपेंडीचरः मुकेश गोयल
-निगम के बर्थ एवं डैथ रजिस्ट्रेशन में भ्रष्टाचार, फिर भी आधार का काम लेने को तैयारः मुकेश गोयल
-शौचालयों के रखरखाव में फेल नगर निगम कैसे चलाएगा कॉफी शॉप और सायबर कैफे?: गोयल

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस दल के नेता और वरिष्ठ निगम पार्षद मुकेश गोयल ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के बजट को हवाहवाई बताया है। उन्होंने कहा कि अतिरिक्त आयुक्त के माध्यम से वित्त वर्ष 2021-22 का 9206 करोड़ रूपये की इनकम का बजट अनुमान पेश किया गया है। लेकिन चालू वित्त वर्ष के 1 हजार करोड़ रूपये के इनकम के बजट अनुमान में 3020 करोड़ रूपये की कटौती करनी पड़ी है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बजट में दिए गये आंकड़े केवल दिखावे के लिए हैं। इनका वास्तविकता से कोई वास्ता नहीं है। अगले साल के बजट प्रस्तावों में जितनी आय होने का दावा किया गया है, उसका आधा भी आना मुश्किल होगा। क्योंकि बजट में आय बढ़ाने के साधनों पर कोई चर्चा नहीं की गई।

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मुकेश गोयल ने कहा कि बीजेपी के शासन वाला नगर निगम अपने कर्मचारियों का वेतन तक नहीं दे पा रहा है। लेकिन सामुदायिक शौचालयों का निजीकरण लगातार जारी है। इसके लिए नगर निगम को करोड़ों रूपये का भुगतान निजी कंपनियों को करना पड़ रहा है। उत्तरी दिल्ली में जनता के उपयोग के लिए सार्वजनिक शौचालयों का पूरी तरह से अभाव है, लेकिन बजट प्रस्तावों में दावा किया गया है कि बेकार और जर्जर पड़े शौचालयों का उपयोग कॉफी शॉप, सायबर कैफे और जिम के लिए किया जाएगा। लेकिन बजट प्रस्तावों में यह नहीं बताया गया कि इसके लिए नगर निगम पैसा कहां से लाएगा। उन्होंने कहा कि इस तरह की योजना एक बार पहले भी लाई गई थी जो कि फेल हो गई थी।

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मुकेश गोयल ने कहा कि बजट प्रस्तावों में 17 मल्टी लेबल पार्किंग बनाने की बात की गई है। इसके अलावा स्टेग पार्किंग की बात भी की गई है। लेकिन यह सभी परियोजनाएं पुरानी हैं जो कि अब तक पूरी हो जानी चाहिए थी। लेकिन नगर निगम इन्हें पूरा करने में नाकाम साबित हुआ है। दूसरी ओर लाइसेंस शुल्क में माफी देकर पार्किंग और विज्ञापन ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाकर नगर निगम को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया है। उन्होंने आगे कहा कि बजट प्रस्तावों में एक भी नई योजना लाने की घोषणा नहीं की गई। जबकि 25 लाख रूपये से ऊपर की संपत्तियों की ट्रांसफर ड्यूटी में 1 फीसदी की बढ़ोतरी की घोषणा करके दिल्ली वालों की जेब पर आर्थिक बोझ डालने की कोशिश की गई है।