-फारूक और उमर अब्दुल्ला ने सरकारी जमीन पर बनाये घर
-जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने किया सरकारी जमीन की बंदरबांट का खुलासा
-सरकारी गोदाम से हुआ था फारूक के घर की लकड़ियों का आवंटन
एसएस ब्यूरो/ श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर के सियासी दलों के रहनुमा राज्य से धारा 370 को हटाए जाने की बात को पचा नहीं पा रहे हैं। दरअसल उन्हें अपने कारनामों के खुलासे का डर सता रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने सरकारी जमीन की बंदरबांट की है। दोनों नेताओं ने अपने आलीशान घर और पार्टी कार्यालय सरकारी जमीन पर बना रखे हैं। यह सनसनीखेज खुलासा खुद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने किया है।
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प्रशासन ने इनका नाम एक सूची में शामिल कर आरोप लगाया है कि जम्मू में उनका रिहायशी आवास गैरकानूनी तरीके से हासिल भूमि पर बनाया गया। इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के जम्मू और श्रीनगर स्थित मुख्यालयों को भी रोशनी कानून के तहत वैध बनाया गया है। हालांकि फारूक और उमर दोनों ने इन आरोपों से इनकार किया है।
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जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के आदेश के बाद केंद्र शासित क्षेत्र के प्रशासन ने विवादित रोशनी भूमि योजना के तहत जमीन हासिल करने वालों की सूची सार्वजनिक की है। प्रशासन ने मंगलवार को ऐसे लोगों की एक सूची जारी की, जिन्होंने दूसरों को दी गई जमीन पर कथित तौर पर अतिक्रमण किया। सूची में बताया गया है कि विवादित रोशनी कानून के तहत नेशनल कॉन्फ्रेंस के श्रीनगर और जम्मू के मुख्यालयों को भी वैध बनाया गया है।
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अपनी वेबसाइट पर सूचियों को प्रदर्शित करते हुए जम्मू के संभागीय प्रशासन ने खुलासा किया है कि सुजवां में करीब एक एकड़ क्षेत्र में बना फारूक और उमर का आवास अतिक्रमण वाली सरकारी जमीन पर बना है। राजस्व रिकॉर्ड में तो इसे नहीं दिखाया गया, लेकिन इस पर अतिक्रमण किया गया। नई सूची पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा, ’’सूत्रों के आधार पर खबर आई है कि डॉ. फारूक अब्दुल्ला रोशनी कानून के लाभार्थी हैं। यह बिल्कुल झूठी खबर है और गलत मंशा से इस खबर का प्रसार किया जा रहा। जम्मू और श्रीनगर में बने उनके मकानों का उक्त कानून से कोई लेना-देना नहीं है।’’
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उमर ने कहा कि ’’फारूक अब्दुल्ला ने श्रीनगर या जम्मू में अपने आवास के लिए रोशनी योजना का लाभ नहीं उठाया और जो भी ऐसा कह रहा है वह झूठ बोल रहा है। सूत्रों के हवाले से आई इस खबर में कोई तथ्य नहीं है।’’ अधिकारियों ने बताया कि फारूक अब्दुल्ला का मकान 1990 के दशक में बना था जिसके लिए लकड़ियों का आवंटन सरकारी गोदाम से हुआ था। सभी राजस्व रिकार्ड में रिकॉर्ड मिलने के बाद ही यह जारी किया जाता है।
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इससे पहले तीन पूर्व मंत्री, कई नेता और एक पूर्व नौकरशाह के नाम लाभार्थियों की सूची में आए थे जिन्होंने रोशनी कानून के तहत जमीन हासिल की है। इस कानून को निरस्त किया जा चुका है। संभागीय प्रशासन ने उच्च न्यायालय के 9 अक्टूबर के आदेश के तहत सूची सार्वजनिक की है। अदालत ने रोशनी कानून को ’’गैर कानूनी व असंवैधानिक बताया था और इस कानून के तहत भूमि के आवंटन की सीबीआई से जांच का आदेश दिया था।’’
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कश्मीर के संभागीय प्रशासन ने 35 लाभार्थियों की सूची जारी करते हुए दिखाया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्यालय, कई होटलों और दर्जनों वाणिज्यिक इमारतों को कानून के तहत नियमित घोषित कर दिया गया था।
पीडीपी और कांग्रेस के नेताओं ने किया सरकारी जमीन पर कब्जा
रोशनी एक्ट के जरिए मुफ्त में सरकारी जमीन हासिल करने वालों में जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री हसीब द्राबू और उनके परिवार के सदस्य भी शामिल हैं। द्राबू, जो पहले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ थे, की राज्य में तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी-पीडीपी सरकार के गठन में अहम भूमिका मानी जाती है।
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सूची में शामिल अन्य नेताओं में चार नेशनल कांफ्रेंस के सज्जाद किचलू, हारुन चौधरी, असलम गोनी और सैयद अखून के नाम शामिल हैं और कांग्रेस नेता अब्दुल मजीद वानी का भी नाम इसमें शामिल हैं। इस सूची में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शफी पंडित की पत्नी निगहत पंडित का भी नाम भी है।
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आश्चर्य की बात तो यह है कि मॉल और वाणिज्यिक भवनों की सूची में सिटी वॉक मॉल और हबसन बिल्डिंग शामिल हैं। होटलों में होटल ब्रॉडवे, होटल रेडिसन, होटल रूबी और रेजीडेंसी होटल के नाम हैं। इन सबको श्रीनगर में लैंडमार्क प्रॉपर्टी माना जाता है। होटल जम्मू-कश्मीर के प्रमुख व्यवसायियों के स्वामित्व में हैं, जिन्हें अधिनियम के लाभार्थियों के रूप में नामित किया गया है। इनमें मुश्ताक अहमद छाया और के.के. अमला, जो कि कांग्रेस पार्टी से भी जुड़े हैं, शामिल हैं। दोनों को उनके परिवार के सदस्यों के साथ सूची में रखा गया है।
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इसके अलावा लाभार्थियों में नेशनल कांफ्रेंस का नवाई सुबह ट्रस्ट और कांग्रेस का खिदमत ट्रस्ट है। जम्मू-कश्मीर सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सात कनाल 15 मरला और 84 वर्ग फुट जमीन खिदमत ट्रस्ट को ट्रांसफर की गई, जबकि तीन कनाल और 16 मरला भूमि नवाई सुबह को दे दी गई। आठ कनाल का मतलब एक एकड़ जमीन के बराबर होता है। रोशनी अधिनियम के तहत तत्कालीन नेशनल कांफ्रेंस सरकार ने 20 लाख कनाल यानी 2.5 लाख एकड़ सरकारी जमीन को नियमित करने की राह खोली थी.
फारूक अब्दुल्ला ने लागू किया था रोशनी एक्ट
जम्मू कश्मीर में रोशनी एक्ट को लागू करने वाले डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने खुद सुंजवां में जो आलिशान बंगला बनाया है, वह सरकारी भूमि पर कब्जा करके बनाया है। यही नहीं उनकी बहन सुरैया मट्टू ने भी रोशनी एक्ट का लाभ उठाते हुए 3 कनाल 12 मरले भूमि अपने नाम की है। हद तो यह है कि उन्होंने इस एक्ट के तहत भूमि अपने नाम करने के लिए उन्हें जो सरकारी खजाने में एक करोड़ रुपये जमा कराने थे, वे भी आज दिन तक जमा नहीं कराए गए हैं।
फारूक अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री रहते वर्ष 2001 में जम्मू-कश्मीर के गरीब किसानों का हवाला देकर इस एक्ट को लागू किया था। उन्होंने कहा कि इस एक्ट का लाभ उठाकर किसान जिन सरकारी भूमियों पर कई सालों से खेती-बाड़ी कर रहे हैं, वे अपने नाम कर पाएंगे। परंतु सीबीआई द्वारा अभी तक की गई जांच में यह सामने आ रहा है कि डॉ फारूक अब्दुल्ला समेत, पीडीपी, कांग्रेस के बड़े-बड़े मंत्री, नेता ही नहीं उनके साथ जुड़े बड़े-बड़े व्यापारियों, व्यावसायियों ने भी इस अधिनियम के नाम पर करोड़ों रुपये की संपत्ति पर कब्जा जमाया है। दूसरे राजनीतिक दलों, नौकरशाहों ने इस घोटाले को जाहिर करने के बजाय बहती गंगा में हाथ धोना मुनासिब समझा।
जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री होने के बाद भी जब डॉ फारूक अब्दुल्ला ने सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किया तो उनके देखादेखी अन्य प्रभावशाली नेताओं, मंत्रियों, नौकरशाहों, न्यायाधीशों, व्यापारियों ने भी सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करना शुरू कर दिया। उसी दौरान सैयद अली अखून ने सुंजवान गांव में 1 कनाल सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया। उनके अलावा एक पूर्व न्यायाधीश के बेटे अशफाक अहमद मीर पर भी एक कनाल सरकारी भूमि कब्जाने का आरोप है।
एक दूसरे को देख अतिक्रमण का यह सिलसिला तेज होता गया। एडवोकेट असलम गोनी (1 कनाल), जेएंडके बैंक के पूर्व चेयरमैन एमवाई खान (1.5 कनाल) और कश्मीर के प्रसिद्ध व्यावसायी मुश्ताक चाया (1.5 कनाल) ने भी उसी गांव की सार्वजनिक भूमि पर कब्जा जमा लिया। बता देंकि उक्त इलाके में करीब 30 कनाल वन भूमि पर अवैध कब्जा किया गया है। इस भूमि का रियल एस्टेट बाजार में मूल्य लगभग 40 करोड़ है।
जानें, किसके हिस्से आई कितनी जमीन
रोशनी एक्ट के तहत जम्मू जिले के मैरा मांदरिया गांव में 383 लोगों ने 483 एकड़ सरकारी जमीन हासिल की है। जम्मू दक्षिण में 854 लोगों ने 370 एकड़ सरकारी जमीन अपने नाम करवाई। जम्मू पश्चिम में 15 लोगों ने सरकारी जमीन और जम्मू के खौड़ इलाके में 419 लोगों ने 405 एकड़ कृषि भूमि अपने नाम करवाई है। 97 अन्य ने नजूल की चार एकड़ जमीन अपने नाम करवाई है। इसके अलावा कई लोगों ने सरकारी और वन भूमि पर अतिक्रमण भी किया है।