SOUTH दिल्ली नगर निगम में बड़े पार्किंग घोटाले का खुलासा

-संकट में नगर निगम… फिर भी घोटाले में चल रहीं नगर निगम की कई पार्किंग
-नेता-अधिकारियों की मिलीभगतः ठेका रद्द लेकिन लाखों की वसूली कर रहा पार्किंग माफिया
-मिलेनियम पार्क और डिफेंस कालोनी सहित कई पार्किंग से नहीं मिल रहा नगर निगम को पैसा

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम भले ही आर्थिक संकट से जूझ रहा हो लेकिन यहां पार्किंग माफिया का खेल बदस्तूर जारी है। एक ओर अधिकारी और नेता लॉकडाउन के दौरान पार्किंग ठेकेदारों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए ठेकेदारों को छूट देने की तैयारी में हैं। दूसरी ओर कई पार्किंग ऐसे हैं जहां से हर महीने लाखों रूपये वसूली के बावजूद निगम को एक भी पैसा नहीं मिल रहा है। आरोप है कि यहां नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत से बिना लाइसेंस फीस वसूले कई पार्किंग अवैध रूप से चलाए जा रहे हैं। जिसकी वजह से हर महीने नगर निगम को लाखों रूपये का चूना लग रहा है।

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मिलेनियम पार्क-पार्कंग में 4 नवंबर को काटी गई पची

पहला मामला रिंग रोड पर स्थित मिलेनियम पार्क के गेट संख्या 3 की पार्किंग का है। यह दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के तहत आती है। 31 मार्च तक इस पार्किंग साइट पर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का 22 लाख रूपये से ज्यादा का बकाया था। इस राशि में अप्रैल से नवंबर तक लाइसेंस फीस शामिल नहीं है। यदि इसे भी जोड़ लिया जाए तो यह राशि 50 लाख रूपये से भी ज्यादा बैठती है। इस पार्किंग साइट की मासिक लाइसेंस फीस साढ़े तीन लाख रूपये महीने की बताई जा रही है।

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मिलेनियम पार्क-पार्कंग में 7 नवंबर को काटी गई पची

इसके चलते 21 अगस्त 2020 को इसका टेंडर रद्द कर दिया गया था। इसके बावजूद पार्किंग माफिया यहां से हर महीने लाखों रूपये की वसूली कर रहा है। खास बात है कि ठेका रद्द करने के साथ ही अधिकारियों को यहां फ्री पार्किंग का बोर्ड लगाना चाहिए था लेकिन नहीं लगाया गया। आश्चर्य की बात तो यह है कि अधिकारियों ने यहां कोई गार्ड भी नहीं लगाया। जबकि नियमानुसार फ्री पार्किंग पर नगर निगम की ओर से गार्ड तैनात किये जाते हैं ताकि लोगों से अवैध वसूली नहीं की जा सके। अब यह सारा पैसा नगर निगम को मिलने के बजाय उनकी जेबों में जा रहा है, जिनकी मिलीभगत से यह पार्किंग चलाई जा रही है।

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डिफेंस कालोनी गुंबद वाली पार्किंग में 7 नवंबर को काटी गई पर्ची

दूसरा मामला साउथ दिल्ली के पॉश इलाके डिफेंस कालोनी की गुम्बद वाली पार्किंग का है। जी हां यह भी दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आती है। इस पार्किंग का ठेका मार्च 2020 में ही खत्म हो गया था, नियमानुसार टेंडर भी किया गया था। इसमें पुराना ठेकेदार ही एल-1 पाया गया था। लेकिन इसी दौरान लॉकडाउन लग गया। इसके बाद अधिकारियों की ओर से इस पार्किंग का पजेशन लेटर 7 महीने बीते जाने के बावजूद भी जारी नहीं किया गया।

डिफेंस कालोनी की गुम्बद वाली पार्किंग

बताया जा रहा है कि इस पार्किंग से हर महीने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को करीब साढ़े 13 लाख रूपये की आमदनी होनी थी। लेकिन अधिकारियों-नेताओं और पार्किंग माफिया की मनमानी देखिये कि लोगों से पार्किंग के नाम पर अवैध उगाही तो हो रही है लेकिन दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के खाते में एक भी पैसा नहीं जा रहा। क्योंकि अधिकारियों को यहां भी पजेशन लेटर जारी नहीं हो पाने की स्थिति में फ्री पार्किंग का बोर्ड और गार्ड लगाने थे, लेकिन नहीं लगाए गए।
मशीन के बजाय हाथ से काटी जा रहीं पर्चियां
नियमानुसार अधिकृत पार्किंग में पार्किंग शुल्क वसूलने के लिए हैंडहेल्ड मशीन द्वारा पार्चियां काटने का प्रावधान है। लेकिन इन दोनों पार्किंग में पार्किंग अटेंडेंट हाथ से पर्चियां काट रहे हैं। मिलीभगत का अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि निगम अधिकारियों ने ना तो पार्किंग के नाम से वसूली करने वालों के खिलाफ कभी पुलिस में शिकायत की गई और ना ही अपनी ओर से पार्किंग माफिया पर लगाम लगाने की कोशिश की गई।
बैकफुट पर बीजेपी
दिल्ली के नगर निगमों में फैले भ्रष्टाचार को लेकर पहले ही आम आदमी पार्टी लगातार भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर है। इसके चलते दिल्ली पहले ही राजधानी के सियासी मैदान में बैकफुट पर चल रही है। इस पार्किंग घोटाले की परतें खुलने के बाद बीजेपी की सियासी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। क्योंकि आर्थिक संकट के आरोप-प्रत्यारोपों के बीच पार्किंग घोटाले के छींटे सत्ताधारी दल के ऊपर ही पड़ने वाले हैं।