निगम की संपत्तियों को बेचकर मिलेगी कर्मियों की सेलरी… बीजेपी नेता ने सुझाया रास्ता!

-बीजेपी नेताओं की नजर अब नगर निगम की अचल संपत्तियों पर
-स्थायी समिति की बैठक में बोले तिलक राज कटारियाः बेच दो संपत्तियां

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
नगर निगम में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की नजर अब निगम की अचल संपत्तियों पर है। बीजेपी नेता अब निगम की संपत्तियों को बेचकर आर्थिक बदहाली से निजात का रास्ता तलाश रहे हैं। निगम आयुक्त के सामने खुद बीजेपी नेताओं ने यह प्रस्ताव रखा है कि किसी ‘संपत्ति के टुकड़े को निकाल कर कर्मचारियों की सेलरी दे दी जाए।’ हालांकि बीजेपी के इस प्रस्ताव पर प्रमुख विपक्षी दल आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने नाराजगी जताई है।

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गुरूवार को हुई स्थायी समिति की बैठक में बीजेपी नेता और पूर्व नेता सदन तिलक राज कटारिया ने यह प्रस्ताव रखा। तिलक राज कटारिया ने कहा कि हम सफाई कर्मियों या दूसरे कर्मचारियों को कोई काम बताते हैं तो वह सेलरी की बात करते हैं। कई महीनों से कर्मचारियों को सेलरी नहीं मिली है। आम आदमी पार्टी के पार्षदों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘यह लोग मुख्यमंत्री केजरीवाल से यदि एक हजार करोड़ दिलवा दें तो कर्मचारियों की सेलरी दी जा सकती है। लेकिन यह लोग उनसे नहीं दिलवाएंगे।’’

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तिलक राज कटारिया ने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पास कई बड़े-बड़े भूखंड पड़े हैं। उनका अभी काई उपयोग नहीं हो पा रहा है। उन्होंने निगम आयुक्त के सामने प्रस्ताव रखा कि ‘‘यदि इनमें से कोई एक टुकड़ा निकाल दिया जाए तो कर्मचारियों की अब तक की सेलरी दी जा सकती है।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘निगम आयुक्त महोदय इस बात पर जरूर विचार करें।’’

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बता दें कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के ज्यादातर कर्मचारियों को मई महीने के बाद से सेलरी नहीं दी गई है। निगम के सेवानिवृत कर्मचारियों को तो बीते छह माह से पेंशन नहीं मिली है। सीनियर डॉक्टर्स को तीन महीने और रेजिडेंट डॉक्टर्स की दो महीने की सेली पेंडिंग है। जबकि अक्टूबर का महीना भी खत्म होने वाला है और आने वाले दिनों दीवाली और दूसरे त्योहार भी हैं।
नहीं मिल रहा रास्ता
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में सत्ताधारी बीजेपी के नेता निगम के आर्थिक संकट का हल निकालने में जुटे हैं। लेकिन उन्हें कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। महापौर जय प्रकाश ने विभिन्न विभागों की अलग अलग बैठकें करके अधिकारियों को राजस्व जुटाने का लक्ष्य सोंपा है। उन्होंने हर जोन में पार्षदों के साथ अधिकारियों की बठकें भी की हैं। इससे कुछ मदद भी मिली है और कुछ कर्मचारियों की सेलरी दे दी गई है। इसके बावजूद नगर निगम पर वेतन की बड़ी रकम बकाया है। इसके चलते बीजेपी नेता अब नगर निगम की संपत्तियों को बेचकर कर्मचारियों की सेलरी देने पर विचार कर रहे हैं।
आप-बीजेपी की वजह से हुई बुरी हालत
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस दल के नेता मुकेश गोयल ने कहा कि नगर निगम की संपत्तियों को बेचा जाना गलत है। बीजेपी-आम आदमी पार्टी की की वजह से निगम की हालत खस्ता हुई है। केजरीवाल सरकार निगम का फंड नहीं दे रही है और बीजेपी निगम के संसाधनों से राजस्व नहीं जुटा पा रही है। दोनों के बीच चल रही राजनीति की वजह से नगर निगम आर्थिक रूप से दिवालिया होने के कगार पर है। लेकिन निगम की संपत्तियां बेचना इसका समाधान नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से नगर निगम के सामुदायिक शौचालयों का निजीकरण किया जा रहा है, वह भी गलत है। जिन 131 सामुदायिक शौचालयों के लिए 10 करोड़ रूपये का अतिरिक्त भार नगर निगम पर डाला जा रहा है, उस राशि से कुछ सफाई कर्मचारियों की सेलरी दी जा सकती है। हमने निगम का राजस्व बढ़ाने के सुझाव दिये हैं लेकिन सत्ताधारी दल बीजेपी उन पर अमल नहीं कर पा रही है।
नहीं चला पा रहे तो भार हल्का कर देंः विकास गोयल
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष विकास गोयल का कहना है कि बीजेपी नगर निगम को चलाने में पूरी तरह से असफल साबित हो रही है। बीजेपी की भ्रष्टाचार की वजह से ही नगर निगम की यह हालत हुई है। हमारा निवेदन है कि यदि बीजेपी नेता निगम को नहीं चला पा रहे हैं तो इसकी स्वास्थ्य सेवाओं को दिल्ली सरकार को सोंप दें, आधा भार कम हो जाएगा। यदि फिर भी चला पाने में असमर्थ हैं तो सत्ता से त्यागपत्र देकर निगम को आम आदमी पार्टी को सोंप दें। हम इन्हीं संसाधनों में निगम को चलाकर दिखा देंगे।