NORTH DMC: एसीबी के दरबार में होगी एमएचओ की हाजिरी!

-नेता विपक्ष ने डॉ अशोक रावत की जन-स्वास्थ्य अधिकारी (एमएचओ) के पद पर गैर कानूनी नियुक्ति पर की शिकायत
-आम आदमी पार्टी के निशाने पर निगम स्वास्थ्य अधिकारी, लगाये भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, एजेंसियों से कार्रवाई की मांग

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
गंभीर आर्थिक तंगी से जूझ रहे उत्तरी दिल्ली नगर निगम में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और प्रमुख विपक्षी दल आम आदमी पार्टी के बीच तलवारें खिंच गई हैं। उत्तरी निगम में नेता प्रतिपक्ष विकास गोयल ने निगम स्वास्थ्य अधिकारी डॉ अशोक रावत की की शिकायत अब एंटी करप्शन ब्यूरो के साथ केंद्रीय सतर्कता आयोग और दिल्ली सरकार की प्रिविलेज कमेटी से की है। उन्होंने निगम में सत्ताधारी बीजेपी पर भी भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है।

नेता प्रतिपक्ष विकास गोयल ने निगम स्वास्थ्य अधिकारी के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने डॉ अशोक रावत की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुये उनसे जुड़े तथ्यों तथा साक्ष्यों सहित विस्तृत कंप्लेंट दर्ज कराई है। विकास गोयल ने कहा कि उन्होंने डॉ अशोक रावत की नियुक्ति तथा दवाईयों की खरीद के मामले में हुए भ्रष्टाचार के मामले को उत्तरी दिल्ली नगर निगम की तीन बैठकों में उठाया था।

इसके साथ ही उन्होंने इस विषय में निगमायुक्त तथा अतिरिक्त आयुक्त से भी व्यक्तिगत तौर पर चर्चा की थी लेकिन हर तरफ से निराशा हाथ लगी और डॉ रावत को निगम में सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं द्वारा संरक्षण दिये जाने के कारण उनके ऊपर अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है।

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आम आदमी पार्टी के नेता विकास गोयल ने कहा कि अब यह मामला निगम से बाहर चला गया है। उम्मीद है कि जल्द ही इन संस्थाओं द्वारा डॉ अशोक रावत की नियुक्ति तथा उनके द्वारा खरीदी गई दवाईयों में बरती गई अनियमितताआेंं एवं भ्रष्टाचार की जांच कर डॉ अशोक रावत के खिलाफ न केवल कार्रवाई की जायेगी बल्कि इससे निगम की भ्रष्टाचारी होने की छवि में भी सुधार आयेगा।

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आम आदमी पार्टी की ओर से एंटी करप्शन ब्रांच को दी गई कंपलेंट में कहा गया है कि डॉ अशोक रावत ने बाजार में मिल रही सस्ती दवाईयों को सरकारी कंपनी से महंगे दामों पर खरीदा है। केवल यही नहीं बल्कि पर्याप्त स्टॉक होने के बावजूद दोबारा फिर उन्हीं दवाईयों को महंगे दामों पर बड़ी मात्रा में खरीद लिया गया। जिसकी वजह से पहले से ही आर्थिक तंगी झेल रहे नगर निगम को बिना जरूरत के ही दवाईयों के दाम चुकाने पड़े हैं।

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विकास गोयल ने आगे कहा कि एक ओर नगर निगम अपने कर्मचारियों को पिछले चार-पांच महीनों से सेलरी नहीं दे पा रहा है। निगम के बड़े अस्पतालों में डॉक्टरों ने हड़ताल कर रखी है। निगम के दो बड़े मैटरनिटी अस्पतालों में एमरजेंसी सेवाएं ठप कर दी गई हैं। मरीजों की भर्ती नहीं की जा रही है। गरीब लोग अपना इलाज कराने और महिलाओं का प्रसव कराने के लिए दर-ब-दर भटक रहे हैं। दूसरी ओर निगम अधिकारी बिना जरूरत के दवाईयां खरीद कर निगम का पैसा बर्बाद कर रहे हैं।