-मार्च के बाद से नहीं मिला नगर निगम को एक भी पैसा
-खुद निगम अधिकारियों के पास भी नहीं है पूरा डाटा
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आर्थिक हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। नगर निगम में सत्ता पक्ष के नेता भले ही दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर पैसा नहीं देने का आरोप लगा रहे हों। लेकिन खुद नगर निगम के अपने संसाधनों से एक भी पैसा वसूल नहीं कर पा रहे हैं। निगम के पार्किंग और विज्ञापन ठेकेदार अरबों रूपयों में खेल रहे हैं और निगम अधिकारियों को बीते चार महीने से सेलरी तक नहीं मिल पाई है।
यह भी पढ़ें- जानें… किस किस का अमंगल करेंगे मंगल?
आंकड़े बताते हैं कि मार्च में लॉकडाउन लगने के बाद से अब तक नगर निगम को पार्किंग और विज्ञापन से एक भी पैसा नहीं मिला है। जबकि किसी भी पार्किंग में जगह खाली नहीं मिल रही है। आश्चर्य की बात तो यह है कि ठेकेदारों ने लॉकडाउन के नाम पर मासिक लाइसेंस शुल्क में छूट देने की मांग कर दी है, और यह आवेदन लंबे समय से निगम अधिकारियों के पास विचाराधीन है।
यह भी पढ़ें- तीनों महापौरों ने खोला केजरीवाल सरकार के खिलाफ मोर्चा
इसी साल 25 मार्च से शुरू हुआ लॉकडाउन करीब-करीब जून महीने तक चला था। जुलाई 2020 से स्थितियां करीब करीब ठीक हो गई थीं। इस लिहाज से पार्किंग और विज्ञापन ठेकेदारों को मासिक लाइसेंस शुल्क में तीन महीने की छूट दे भी दी जाए। फिर भी मार्च महीने के साथ जुलाई, अगस्त और सितंबर (कुल चार) महीनों का मासिक शुल्क फिर भी बनता है। लेकिन नगर निगम की इन विषम परिस्थितियों में भी निगम अधिकारी पार्किंग और विज्ञापन ठेकेदारों से एक भी पैसा नहीं वसूल पाए हैं।
यह भी पढ़ें- दिल्ली बीजेपीः नई टीम में चली संगठन महामंत्री की पसंद!
इससे भी ज्यादा आश्चर्य की बात तो यह है कि अब निगम अधिकारी अपने पार्किंग लॉट्स और विज्ञापन साइट्स का पूरा डाटा इकट्ठा नहीं कर पाए हैं। उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कुल छह जोन हैं। लेकिन अधिकारियों के पास केवल चार जोन में 20 पार्किंग का ही डाटा है। जबकि उत्तरी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में करीब 100 पार्किंग स्थल हैं। इसी तरह विज्ञापन साइट्स के 11 ठेकेदारों की ओर भी नगर निगम का करीब 11 करोड़ रूपये बकाया है। हालात इतने खराब हैं कि कई मामलों में तो जनवरी 2020 से ही वसूली नहीं की गई है। जबकि लॉकडाउन 25 मार्च 2020 से शुरू हुआ था।
करोलबाग जोन में सरस्वती मार्ग स्थित पार्किंग के लिए ठेकेदार मनोज कुमार की ओर मार्च महीने तक ही 10 लाख 90 हजार 629 रूपये बकाया थे। इसके बाद इस पार्किंग का मासिक शुल्क 9 लाख, 66 हजार, 798 रूपये है। लॉकडाउन के बाद के चार महीने और जुड़ गए हैं। गुरूद्वारा रोड की पार्किंग के लिए ठेकेदार शिव कुमार से मार्च महीने तक ही नगर निगम को 21 लाख, 50 हजार, 32 रूपये लेने थे। जबकि इसका मासिक लाइसेंंस शुल्क केवल 3 लाख, 89 हजार, 726 रूपये है। अब इस पार्किंग की ओर करीब चार महीने का शुल्क और जुड़ गया है।
इसी तरह केशव पुरम जोन की नेताजी सुभाष पैलेस पार्किंग के लिए ठेकेदार विजय कुमार गुप्ता से मार्च महीने तक दो करोड़, 69 लाख, 56 हजार, 437 रूपये लेने थे। इस पार्किंग का मासिक लाइसेंस शुल्क 23 लाख, 58 हजार, 800 रूपये है। यानी इस ठेकेदार की ओर निगम का करीब एक करोड़ रूपये और जुड़ जाता है। सिटी एवं सदर पहाड़गंज जोन की अजमेरी गेट से लाहौरी गेट तक की पार्किंग के लिए ठेकेदार मो. अलाउद्दीन की ओर 28 लाख, 95 हजार, 197 रूपये बकाया हैं। इस पार्किंग का मासिक शुल्क 7 लाख, 18 हजार, 830 रूपये है। यानी कि तीन महीने के लॉकडाउन की छूट भी दे दी जाए, तब भी करीब करीब 30 लाख रूपये इस ठेकेदार की ओर जुड़ जाते हैं।
सिटी एवं सदर पहाड़गंज जोन की ही आसफ अली रोड स्थित मल्टी लेबल अंडर ग्राउंड पार्किंग के लिए भी ठेकेदार मोंटी की ओर मार्च महीने तक ही 22 लाख, 42 हजार, 767 रूपये बकाया थे। जबकि मार्च महीने से इस ठेकेदार की ओर से नगर निगम को एक भी पैसा प्राप्त नहीं हुआ है।
इसी तरह मार्च 2020 तक ही डिस्ट्रिक सेंटर राजेंद्र नगर की पार्किंग के लिए ठेकेदार एमएस कॉन्ट्रैक्टर की ओर मार्च 2020 तक 6,05,769 रूपये। अजमल खा पांर्क की पार्किंग के लिए ठेकेदार नीतू देवी की ओर 1,28,560 रूपये। कलरा हॉस्पिटल पार्किंग के लिए ठेकेदार नीतू देवी की ओर 1,47,262 रूपये, आर्य समाज रोड की दूसरी पार्किंग के लिए ठेकेदार मनोज कुमार की ओर 7,97,364 रूपये। अजमल खां रोड-1 की पार्किंग के लिए ठेकेदार मनोज कुमारसे 2,88,087 रूपये। संत नगर (रानी बाग) की पार्किंग के लिए ठेकेदार हिंदुस्तान ट्रेडिंग कंपनी से 3,43,853 रूपये। पेंटामाइड हॉस्पिटल, गुजरां वाला टाउन की पार्किंग के लिए ठेकेदार अंशुल चाहर से 8,72,544 रूपये लेने थे। लेकिन इन ठेकेदारों ने मार्च महीने से नगर निगम को कोई भुगतान नहीं किया है।
विज्ञापन ठेकेदारों से नहीं हो रही वसूली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम अपने विज्ञापन ठेकेदारों से भी बकाया राशि की वसूली नहीं कर पा रहा है। विज्ञापन ठेकेदारों में प्रमुख रूप से जीबीएस, नमन ब्रॉडकास्टिंग प्रा. लि., पीके एडवर्टाइजिंग कंपनी, मनोज कुमार, ब्राइट निओन साइन्स प्रा. लि, पाश्चात्य एंटरटेनमेंट प्रा. लि., पायोनियर पब्लिसिटी प्रा. लि., हिंदुस्तान पब्लिसिटी प्रा. लि., प्लानेट एडवरटाइजिंग कंपनी प्रा. लि. आदि के नाम शामिल हैं, जिनसे नगर निगम मार्च के बाद से एक भी पैसा नहीं वसूल पाया है।
डीटीसी पर भी बकाया
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधिकारी अपनी बकाया राशि केवल प्राईवेट ठेकेदारों से नहीं बल्कि सरकारी विभागों से भी बकाया की वसूली में फिसड्डी साबित हुए हैं। नॉर्थ डीएमसी को विज्ञापन के मद में दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी), डिम्टज, और दिल्ली टूरिज्म एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमंट कॉरपोरेशन (डीटीआईडीसी) भी शामिल हैं। डीटीसी-डिम्टज से उत्तरी दिल्ली नगर निगम को करीब 16 लाख रूपये और डीटीआईडीसी से करीब 5 लाख रूपये वसूलने हैं।