फिर गरमाया एमएचओ रावत की नियुक्ति का मामला

-नेता प्रतिपक्ष विकास गोयल ने दी रावत की नियुक्ति को चुनौती
-सत्ता पक्ष और निगम आयुक्त पर लगाया मिलीभगत का आरोप

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में निगम स्वास्थ्य अधिकारी (एमएचओ) के पद पर डॉक्टर अशोक रावत की नियुक्ति का मामला एक बार फिर गरमा गया है। निगम में प्रतिपक्ष के नेता विकास गोयल ने एमएचओ की नियुक्ति को चुनौती देते हुए सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और निगम आयुक्त पर मिलीभगत के आरोप लगाए हैं।

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आम आदमी पार्टी के नेता विकास गोयल ने निगम के आला अधिकारियों के निर्णय पर तकनीकी सवाल खड़े किये हैं। उन्होंने निगम आयुक्त का कार्यभार देख रहे ज्ञानेश भारती को एक पत्र लिखकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि पूर्व एमएचओ ऐके बंसल के सस्पेंशन के बाद आदेश संख्या 82 दिनांक 3/7/2019 को जारी करते हुए डॉक्टर अशोक रावत को एमएचओ का कार्यभार देखने के आदेश जारी किये गए थे।

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लेकिन आदेश संख्या 1671 दिनांक 7/10/2019 जारी करते हुए डॉक्टर ऐके बंसल को बहाल करते हुए उन्हें पुनः एमएचओ की जिम्मेदारी दी गई थी। इस पत्र के अनुसार डॉक्टर अशोक रावत स्वतः ही एमएचओ के पद से हट गए थे। इसके पश्चात डॉक्टर ऐके बंसल सेवानिवृत हो गए। लेकिन डॉक्टर अशोक रावत बिना कोई नया आदेश जारी हुए ही खुद एमएचओ का पदभार लेकर काम कर रहे हैं। अतः यह गैरकानूनी है।

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विकास गोयल ने निगम आयुक्त को लिखे अपने पत्र में सवाल उठाए हैं कि वह किस दबाव में आकर काम कर रहे हैं? विकास गोयल ने अपने पत्र में लिखा है कि नगर निगम के दिनांकः 27/2/2012 के प्रस्ताव संख्याः 1236 में अधिकारियों के वरिष्ठता क्रम की सूची जारी की गई है। इसमें डॉक्टर अशोक रावत का नाम 17 वें स्थान पर है। इसका मतलब है कि कई अन्य डॉक्टर्स अशोक रावत से सीनियर हैं। वर्तमान में अशोक रावत डीएचओ स्तर के अधिकारी हैं। लेकिन इससे भी दो पद ऊपर की जिम्मेदारी उन्हें गलत ढंग से दी गई है।
आप नेता ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर अशोक रावत के खिलाफ करोलबाग के अर्पित होटल के मामले में भी आरडीए लगी हुई है। इसके अलावा उनके ऊपर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप हैं। उन्होंने कमिश्नर को लिखे पत्र में पूछा है कि उनकी ऐसी कौनसी मजबूरियां हैं, जिनकी वजह से वह निगम के आदेशों की अवहेलना करने में लगे हैं?
आयुक्त को लिखे अपने पत्र में विकास गोयल ने कहा है कि ऐसा लगता है कि केवल महापौर, नेता सदन और स्थायी समिति अध्यक्ष ही डॉक्टर अशोक रावत को बचाने में नहीं लगे हैं। बल्कि निगम आयुक्त और अतिरिक्त निगम आयुक्त भी अशोक रावत को बचाने के लिए ढाल बनकर खड़े हुए हैं। उन्होंने आगे लिखा है कि यदि निगम के आला अधिकारी सही काम कर रहे हैं तो नियमानुसार अशोक रावत की एमएचओ के पद पर नियुक्ति पत्र केंद्रीय संस्थापना विभाग से जारी करवाएं।