CONGRESS: राहुल का रास्ता साफ… वरिष्ठ नेताओं की जिम्मेदारी से छुट्टी

-महासचिव पद से गुलाम की छुट्टी, युवाओं को मिली तरजीह
-रणदीप सुरजेवाला को मिला बड़ा प्रमोशन, महासचिव बनाए

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने बेटे और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को एक बार फिर से अध्यक्ष बनाने का रास्ता खोल दिया है। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से राहुल गांधी का मुखर विरोध कर रहे गुलाम नबी आजाद की महामंत्री पद से छुट्टी कर दी है। सोनिया ने पार्टी संगठन में बड़ा फेरबदल करते हुए राहुल की पसंदीदा टीम को मौका दिया है और महासचिव पद से बुजुर्ग नेताओं की छुट्‌टी कर दी है। नये अध्यक्ष के चुनाव में सोनिया की मदद के लिए 6 नेताओं की नई कमेटी बनाई गई है।

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कांग्रेस संगठन में बदलाव के साथ ही राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के समीकरण बनने लगे हैं। पिछले दिनों 23 नेताओं की चिट्‌ठी की टाइमिंग पर राहुल ने सवाल उठाया था और कथित तौर पर कहा था कि यह भाजपा की मिलीभगत से हुआ। इस पर गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल ने खुलकर विरोध किया था। हालांकि बाद में सिब्बल ने अपना ट्वीट और आजाद ने अपने इस्तीफे वाला बयान वापस ले लिया था। बता दें कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में कुल 51 नेता शामिल हुए थे। इनमें सोनिया को चिट्‌ठी लिखने वाले नेताओं की संख्या केवल 4 थी। पार्टी ने अब ऐसे ज्यादातर नेताओं को बैकफुट पर कर दिया है।

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इस बड़े निर्णय से पार्टी का कोई नुकसान नहीं हो और बगावत की आशंका पैदा नहीं हो, इसलिए गुलाम नबी आजाद, अंबिका सोनी और मल्लिकार्जुन खड़गे को नई सीडब्ल्यूसी में सदस्य बतौर बरकरार रखा गया है। मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह को सीडब्ल्यूसी में स्थायी आमंत्रित बतौर शामिल किया गया है।

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गुलाम नबी आजाद, मोतीलाल वोरा, अंबिका सोनी, मल्लिकार्जुन खड़गे और लुइजिन्हो फैलेरियो को महासचिव पद से हटाया गया है। इनमें से गुलाम नबी उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने सोनिया गांधी को 7 अगस्त को तब चिट्‌ठी लिखी थी, जब वे अस्पताल में भर्ती थीं। इस चिट्‌ठी में इन नेताओं ने पार्टी में ऐसी ‘फुल टाइम लीडरशिप’ की मांग की थी, जो ‘फील्ड में एक्टिव रहे और उसका असर भी दिखे’।

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कांग्रेस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि फुलटाइम लीडरशिप और फील्ड में असर दिखाने वाली एक्टिवनेस जैसे शब्दों का इस्तेमाल इस तरफ इशारा कर रहा था कि कांग्रेस का यह गुट दोबारा राहुल गांधी की ताजपोशी नहीं चाहता था। अब तक पुरानी टीम से ही काम चलाती आ रहीं सोनिया गांधी ने इसी ‘लेटर बम’ के बाद शुक्रवार 11 सितंबर को संगठन, कार्यसमिति और महासचिव पदों पर नई नियुक्तियां कर अपने इरादे साफ कर दिए हैं।
आजाद को मिला सबसे बड़ा झटका
गुलाम नबी आजाद को सबसे बड़ा झटका लगा है। क्योंकि वे राज्यसभा में अभी विपक्ष के नेता भी हैं। पिछली बार सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में राहुल गांधी के एक कथित बयान का विरोध करने वालों में गुलाम नबी सबसे आगे थे। माना जा रहा है कि उन्हें अब राज्यसभा का दोबारा टिकट मिल पाना भी मुश्किल हो सकता है।
संचालन समिति करेगी आगे का फैसला
सोनिया ने पार्टी नेतृत्व में बदलाव के लिए एक कमेटी बनाने का सुझाव दिया था। इसके लिए 6 नेताओं की कमेटी बनाई गई है। इसे संचालन समिति बताया गया है। माना जा रहा है कि यही कमेटी अब राहुल गांधी की ताजपोशी और पार्टी संगठन में नए बदलावों का रास्ता साफ करेगी।
इस कमेटी में सोनिया गांधी के सबसे भरोसेमंद अहमद पटेल और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और मुकुल वासनिक को शामिल किया गया है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को सबसे बड़ा प्रमोशन मिला है। उन्हें महासचिव बनाया गया है और इस कमेटी में शामिल किए गए हैं। महासचिव पद से हटाई गईं अंबिका सोनी को भी इस कमेटी में जगह दी गई है।
इन पर पड़ी उम्र की मार
उम्र ज्यादा होने की वजह से मोतीलाल वोरा को महासचिव पद से हटाया गया है। ये गांधी परिवार के सबसे भरोसमंद नेताओं में से एक हैं। वे 18 साल पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे। अब उनकी आयु 92 साल की हो गई है और ज्यादा एक्टिव भी नहीं रह पा रहे हैं। उम्र की वजह से महासचिव पद गंवाने वाली दूसरी नेता अंबिका सोनी हैं। वह कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री रही हैं। सोनिया गांधी की अच्छी भरोसेमंद हैं। लेकिन उनकी उम्र भी 77 साल हो चुकी है। महासचिव पद गंवाने वाले तीसरे नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पिछली लोकसभा में कांग्रेस के नेता रहे थे। 2019 में वह लोकसभा चुनाव हार गए थे। अब उनकी उम्र भी 78 साल हो चुकी है। महासचिव पद से उम्र की वजह से हटाए गए चौथे नेता लुईजिन्हो फलेरियो हैं। वह गोवा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इस समय उनकी आयु 69 साल की है।
अगले साल की शुरूआत में होगी अध्यक्ष की घोषणा
सोनिया गांधी अभी अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी। उन्होंने राहुल गांधी की पसंद की छह सदस्यों की संचालन समिति का गठन कर दिया है। अब अगले साल की शुरूआत में पार्टी के अध्यक्ष की घोषणा की जानी है। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि अगले साल की शुरुआत में पंजाब या छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सत्र बुलाया जाएगा। इसमें राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष चुना जाना तय है।
बढ़ाया प्रियंका का का कद
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी बेटी प्रियंका गांधी के कद में भी बढ़ोतरी की है। उन्हें अब महासचिव बतौर पूरे उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सोंपी गई है। दरअसल 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव होना है। अब तक सोनिया गांधी और राहुल गांधी उत्तर प्रदेश से ही चुनकर लोकसभा में पहुंचते रहे हैं। लेकिन 2019 में पहली बार राहुल गांधी को यूपी के साथ दूसरे राज्य की सीट से चुनाव लड़ना पड़ा था। प्रियंका के बहाने सोनिया गांधी ने उत्तर प्रदेश में एक बार फिर कांग्रेस के पैर जमाने की कोशिश की है।