यूपी पुलिस ने फिर पढ़ा गायत्री मंत्र… 25 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में, पढ़ें कारनामों की कहानी

-पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रजापति धोखाधड़ी में गिरफ्तार
-रेप मामले में मिली थी जमानत पर नहीं हो सकी रिहाई
-10 करोड़ में मिली थी 2017 में जमानत, धरे गए थे जज

एसएस ब्यूरो/ लखनऊ
उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति को धोखाधड़ी व धमकी देने के आरोप में शुक्रवार को लखनऊ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वह लखनऊ के केजीएमयू में भर्ती थे। उन्हें अभिरक्षा में लेने के बाद केजीएमयू से ही वीडियो कांफ्रेसिंग कर अदालत में पेश किया गया। जहां एसीजेएम श्रद्धा भारती ने गायत्री प्रजापति को 25 सितम्बर तक की न्यायिक हिरासत में लेने का आदेश दिया। बताया जा रहा है कि वह एक-दो दिन में बीजेपी में शामल होने वाले थे।

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गायत्री प्रजापति के खिलाफ रेप पीड़िता के पूर्व वकील दिनेश चन्द्र त्रिपाठी ने गाजीपुर थाने में 10 सितम्बर, 2020 को धमकी देने और धोखाधडी का मुकदमा दर्ज कराया था। वकील दिनेश ने रेप पीड़िता को भी इसमें आरोपी बनाया है। वकील ने जो भी आरोप गायत्री व पीड़िता पर लगाये थे, पुलिस जांच में वे सही पाये गए हैं। वकील के आरोप थे कि रेप के मुकदमे को खत्म करने के लिए पीड़िता ने दो मकान व प्लॉट लिए थे। जांच में पाया गया है कि ये मकान पूर्व मंत्री गायत्री के ड्राइवर की ओर से पीड़िता को दिये गए थे।

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जांच में यह भी सामने आया कि ड्राइवर के पास इतनी सम्पत्ति नहीं हो सकती। इसी आधार पर ये आरोप सच पाया गया है। पीड़िता ने इन दो मकानों को खरीदने के लिए दस्तावेजों में जिन चेक से भुगतान करने की बात कही गई थी, जांच में ये भुगतान भी फर्जी पाए गए हैं। इसी तरह से अन्य आरोप भी सही मिले हैं। पुलिस कमिश्नर सुजीत पाण्डेय ने बताया कि वकील के आरोप प्रथम दृष्टया सही पाए गए हैं। इसी आधार पर ही ये गिरफ्तारी की गई है।
अभी नहीं हो पाई थी रिहाई
बता दें कि रेप मामले में गायत्री प्रजापति को हाईकोर्ट ने कुछ दिन पहले ही जमानत दी थी। लेकिन इस मामले में अभी उनकी रिहाई नहीं हो पाई थी। वह जमानत मिलने से पहले से ही केजीएमयू में भर्ती थे। यहां उनका इलाज चल रहा है। रिहाई न होने की वजह से वह अभी न्यायिक हिरासत में ही थे। अब गायत्री की न्यायिक हिरासत 25 सितंबर तक बढा दी गई है।
जज साहब ने 10 करोड़ लेकर दी थी जमानत
इंटेलिजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि बलात्कार के मामले में जज साहब ने गायत्री प्रजापति को 10 करोड़ रुपये के ऐवज में जमानत दी गई थी। इस रकम में से पांच करोड़ रुपये उन तीन वकीलों को दिए गए थे जो मामले में बिचौलिए की भूमिका निभा रहे थे। बाकी के पांच करोड़ रुपये पोक्सो जज (ओपी मिश्रा) और उनकी पोस्टिंग संवेदनशील मामलों की सुनवाई करने वाली कोर्ट में करने वाले जिला जज राजेंद्र सिंह को दिए गए थे।
अपनी गोपनीय रिपोर्ट में जस्टिस भोसले ने कहा था कि ’18 जुलाई 2016 को पोक्सो जज के रूप में लक्ष्मी कांत राठौर की तैनाती की गई थी और वह बेहतरीन काम कर रहे थे। उन्हें अचानक हटाने और उनके स्थान पर 7 अप्रैल 2017 को ओपी मिश्रा की पोस्को जज के रूप में तैनाती के पीछे कोई औचित्य या उपयुक्त कारण नहीं था। मिश्रा की तैनाती तब की गई जब उनके रिटायर होने में मुश्किल से तीन सप्ताह का समय बचा था।’
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दर्ज हुआ मुकद्दमा
अखिलेश सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापित के खिलाफ रेप के मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने 17 फरवरी, 2017 को एफआईआर दर्ज की थी। उन्हें 15 मार्च, 2017 को गिरफ्तार कर लिया गया था। 24 अप्रैल, 2017 को उन्होंने जज ओपी मिश्रा की अदालत में जमानत की अर्जी लगाई थी और उन्हें मामले की जांच जारी रहने के बावजूद जमानत दे दी गई थी। आईबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ’जज ओपी मिश्रा की ईमानदारी संदेह के घेरे में है और उनकी छवि भी अच्छी नहीं है।’
जमानत के पैसों से हुई थी पोक्सो कोर्ट की डील
आईबी की जांच में सामने आया था कि कैसे बार असोसिएशन के पदाधिकारी तीन वकीलों ने मिश्रा की पोक्सो कोर्ट में तैनाती की डील फिक्स कराई। प्रजापति को जमानत मिलने के तीन-चार सप्ताह पहले मिश्रा के चैंबर में जिला जज और तीनों वकीलों के बीच कई बार बैठकें हुईं थीं। इनके बीच आखिरी बैठक 24 अप्रैल को हुई और इसी दिन प्रजापति ने मिश्रा की कोर्ट में जमानत अर्जी दी थी।
गायत्री प्रजापति के कार्यकाल में चर्चित रहा खनन घोटाला
यूपी के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति केवल रेप केस ही नहीं बल्कि खनन घोटाले को लेकर भी खासे चर्चित रहे हैं। 31 मई 2012 को यूपी सरकार की ओर से एक ऑर्डर जारी किया गया था। जिसमें जिसमें कहा गया था, जो भी माइनिंग होगी, वो ई टेंडर से होगी। लेकिन ये नियम फॉलो नहीं किया गया। हमीरपुर में अवैध खनन के मामले में दो जनवरी को दर्ज एफआईआर में सीबीआई ने आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला को आरोपी नंबर वन बनाया था। हमीरपुर में डीएम रहते हुए बी चंद्रकला ने अवैध तरीके से खनन के पट्टे आवंटित किए थे।
आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला आरोपी नंबर 1
छापेमारी के दौरान उनके घर से कुछ कागज़ भी मिले थे। इसके अलावा एक लॉकर और 2 अकॉउंट से जुड़े कागजात भी पाये गए थे। 2 घर के बारे में जानकारी मिली। आरोपी नंबर दो आदिल खान को बनाया गया था। आरोप है कि तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रजापति के चलते इन्हें खनन की लीज मिली थी। दिल्ली के लाजपत नगर और लखनऊ में इनके घर हैं। तीसरा आरोपी हमीरपुर के मोइनुद्दीन को बनाया गया था। उसके घर से 12.5 लाख रूपये कैश और 1.8 किलो सोना मिला था। चौथे आरोपी समाजवादी पार्टी के एमएलसी रमेश मिश्रा, इनके भाई दिनेश कुमार मिश्रा, पांचवा आरोपी हमीरपुर का माइनिंग क्लर्क राम आसरे प्रजापति रहा। छठें आरोपी के तौर पर अंबिका तिवारी पर केस दर्ज किया गया था। अंबिका तिवारी रमेश का काम देखता था।
बसपा नेता संजय दीक्षित भी आरोपी
सातवें आरोपी के तौर पर संजय दीक्षित पर भी केस दर्ज हुआ था। संजय दीक्षित 2017 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। संजय के पिता सत्यदेव दीक्षित के घर भी छापेमारी हुई। जालौन के माइनिंग क्लर्क राम अवतार के घर से दो करोड़ कैश और दो करोड़ का सोना मिला था। बता दें कि 2012 में मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश यादव ने खनन विभाग अपने पास रखा था। 2012 से 2013 तक यह विभाग उनके पास रहा। इसके बाद में गायत्री प्रसाद प्रजापति को मंत्री बनाया गया था।
आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मुकद्दमा
आईपीसी की धाराओं 379, 384, 420, 511 120 बी और भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत संबंधितों पर केस दर्ज हुआ था। 2012 से 2016 के बीच में बालू की माइनिंग अवैध तरीके से की गई थी। शिकायतों के मुताबिक अधिकारी अवैध खनन कर रहे लोगों और अवैध बालू ले जा रहे वाहनों के ड्राईवरों से पैसे ऐंठते थे।