-एनडीए से बगावत कऱ अलग राह पकड़ सकते हैं चिराग पासवान
-मांझी ने दी चेतावनीः दायरे में रहें लोक जनशक्ति पार्टी के नेता
एसएस ब्यूरो/ पटना
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में दरार पड़ गई है। लोक जनशक्ति पार्टी ने एनडीए गठबंधन के साथ खास तौर पर बिहार की जेडीयू-बीजेपी सरकार के खिलाफ बगावती तेवर अपनाकर सियासी खुमार बढ़ा दिया है। बताया जा रहा है कि सोमवार को चिराग ने बिहार संसदीय दल की बैठक बुलाई है। इस बैठक में वह एनडीए का साथ छोड़ने का निर्णय ले सकते हैं।
जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चिराग जिस तरह का रूख अपना रहे हैं। उससे उनका एनडीए में रह पाना मुश्किल नजर आ रहा है। यही कारण है कि इसकी सियासी भरपाई के लिए बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार हम पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी को एनडीए में शामिल करवा लिया है।
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लोक जनशक्ति पार्टी का आरोप है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एलजेपी को लगातार साइडलाइन करते जा रहे हैं। यही कारण है कि चिराग की पार्टी ने जेडीयू पर एक और करारा वार किया है। बिहार के समाचार पत्रों में फ्रंट पेज पर दिये गए फुल पेज के विज्ञापन में एलजेपी ने ‘‘वो लड़ रहे हैं हम पर राज करने के लिए, और हम लड़ रहे हैं बिहार पर नाज करने के लिए’’ का नारा दिया है। बताया जा रहा है कि यह नारा देकर चिराग पासवान ने नीतीश सरकार पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला बोला है।
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दरअसल सारा मामला विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर है। यह चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाना है। 2015 के विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी 42 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। तब 42 में से केवल 2 सीटों पर ही एलजेपी को जीत हासिल हुई थी। अब वह 36 सीटों की मांग पर आ गई है। लेकिन नीतीश कुमार एलजेपी को 25 सीटों से ज्यादा नहीं देना चाहते। पिछली बार बीजेपी और एलजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था, जबकि इस बार जेडीयू भी एनडीए में शामिल होकर चुनाव लड़ रहा है।
20 सीटों से बिगड़ रहे एलजेपी के समीकरण
हाल ही में 12 नेता राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) छोड़कर जेडीयू में शामिल हुए हैं। इनमें से 7 विधायक और 5 विधान परिषद के सदस्य हैं। इनके अलावा जीतन राम मांझी की पार्टी भी 7 से 8 सीटों पर अपना मजबूत दावा ठोंक रही है। करीब 20 सीटों पर इन लोगों को चुनाव लड़ाया जाना है। ऐसे में कई सीटों पर लोक जनशक्ति पार्टी के समीकरण गड़बड़ा गए हैं। दूसरी ओर चिराग पासवान ने मांझी को एनडीए में शामिल करने से पहले एनडीए के घटक दलों से चर्चा नहीं करने की बात भी उठाई है। यही कारण है कि एलजेपी के नेता गठबंधन में शामिल दूसरे दलों से लगातार दूर होते जा रहे हैं।
चिराग के खिलाफ मांझी का मोर्चा
जीतन राम मांझी ने एनडीए में शामिल होते ही लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मांझी पूरी तरह से आर-पार के मूड में नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा है कि चिराग अपने यहां से नीतीश सरकार की बुराई तुरंत बंद कर दें। यदि वह ऐसा नहीं करेंगे तो हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा इस चुनाव में लोक जनशिक्त पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारेगा। मांझी ने चेतावनी दी है कि वह बिहार के सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ बगावत बर्दाश्त नहीं करेंगे।
जीतन राम ने कहा कि एलजेपी के संस्थापक रामबिलास पासवान ने अपनी लंबी राजनीतिक यात्रा में बिहार में दलितों के लिए कुछ नहीं किया, यदि उन्होंने कुछ किया है तो बताएं। उन्होंने कहा कि यदि चिराग पासवान सवाल उठाएंगे तो उन्हें जवाब भी दिया जाएगा। बता दें कि जिस तरह से चिराग पासवान बीजेपी के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे हैं उसी तरह मांझी नीतीश कुमार के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे हैं। बिहार में एनडीए गठबंधन में बीजेपी-एलजेपी और जेडीयू-हम के गुट बन गए हैं।
सियासी बवाल पर बीजेपी की चुप्पी
बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए के घटक दल एलजेपी व हम आमने-सामने की मूड में हैं। दोनों दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। माना जा रहा है कि सोमवार 7 सितंबर को होने वाली बैठक में चिराग पासवान कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। लेकिन पूरे मामले पर भारतीय जनता पार्टी ने चुप्पी साध रखी है। बीजेपी की ओर से अभी तक इस मामले में कोई बयान नहीं आया है।
नीतीश का एससी-एसटी पर दांव
सियासी उठापटक के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा सियासी दांव चला है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अनुसूचित जाति-जनजाति (एससी-एसटी) परिवार के किसी सदस्य की हत्या होने पर पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के लिए तत्काल नियम बनाए जाएं। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी के उत्थान व उन्हें मुख्य धारा में जोड़ने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, पर साथ ही अन्य संभावनाओं/योजनाओं पर भी काम करें।
सीएम नीतीश ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1995 के तहत गठित राज्य स्तरीय सतर्कता और मॉनिटरिंग समिति की बैठक में यह आदेश दिया। मुख्यमंत्री ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के सचिव को निर्देश दिया कि लंबित मामलों का निष्पादन 20 सितम्बर तक कर लिया जाए।