-संज्ञान लेने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सबूत
-आरोपी की बिल्डिंग से भड़काए गए थे दंगे
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
दिल्ली की एक कोर्ट ने माना है कि आम आदमी पार्टी के निलंबित पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन ने ही दंगों की आग भड़काई थी। उसने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया था। इंटेलिजेंस ब्यूरो के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के आरोपी ताहिर के खिलाफ दायर आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने यह बात कही।
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मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पुरूषोत्तम पाठक ने कहा कि संज्ञान लेने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सबूत हैं। अदालत ने यह भी कहा कि दंगे सुनियोजित तरीके से हुए और इसके लिए अच्छी तरह से साजिश रची गई थी। भीड़ के नेता ताहिर हुसैन और अन्य सह-आरोपियों ने कथित तौर पर इसे बढ़ावा दिया।
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अदालत के मुताबिक दंगों के आरोपी ताहिर ने दंगाईयों को अपनी बिल्डिंग की छत पर जाने की सुविधा दी और अन्य सहायता भी प्रदान की। ताकि बड़े पैमाने पर दंगे हो सकें जिससे के दूसरे समुदाय के लोगों का ज्यादा से ज्यादा जान-माल का नुकसान हो सके। प्रथम दृष्टया आरोपी ताहिर हुसैन अपने घर से और 24 व 25 फरवरी को चांदबाग पुलिया के पास मस्जिद से भी भीड़ का नेतृत्व कर रहा था।
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अदालत ने इस मामले में साफ टिप्पणी की है कि ताहिर के अलावा अनस, फिरोज, जावेद, गुलफाम, शोएब, आलम, सलमान, नजीम, कासिम और समीर खान ने भी दंगे भड़काए। अदालत ने यह भी कहा कि ताहिर ने कथित तौर पर अपने समुदाय को उकसाया और यह दावा करते हुए हिंदुओं और मुसलमानों के बीच धर्म के आधार पर कटुता को बढ़ावा दिया कि हिंदुओं ने कई मुसलमानों को मार डाला है और शेरपुर चौक पर उनकी दुकानों को आग लगा दी है।
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कोर्ट में पेश किये गए आरोप पत्र में कहा गया है कि दंगाई चांदबाग पुलिसा की ओर से आए थे और उन्होंने अंकित शर्मा को पकड़ा। जिसके बाद अंकित के शरीर पर चाकू से वार किए थे। इसके बाद उसका शव नाले में फेंक दिया था। गौरतलब है कि आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा का शव पुलिस को एक नाले से मिला था। अंकित के परिजनों की तहरीर पर दिल्ली पुलिस ने ताहिर हुसैन के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज किया था। ताहिर हुसैन ने कई दिनों तक फरार रहने के बाद दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सरेंडर करने की कोषिष की थी। लेकिन सरेंडर करने से पहले ही दिल्ली पुलिस ने उसे कोर्ट के बाहर से गिरफ्तार कर लिया था।