साहब का फरमान…. आपकी नहीं, दिल्ली पुलिस की चलेगी श्रीमान!

-फिर आमने-सामने एलजी और सीएम केजरीवाल
-दंगों को लेकर दिल्ली सरकार का फैसला खारिज

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
दिल्ली दंगों (क्मसीप त्पवजे) के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वकीलों का पैनल नियुक्त करने के मामले में उपराज्यपाल और सीएम केजरीवाल एक बार फिर आमने-सामने की स्थिति में आ गए हैं। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मंगलवार के दिल्ली की केजरीवाल सरकार (ज्ञमरतपूंस हवअमतदउमदज) के कैबिनेट के निर्णय को खारिज कर दिया है।

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संविधान से मिले विशेष अधिकार का इस्तेमाल करते हुए उपराज्यपाल ने यह फैसला लिया है। साथ ही उन्होंने दिल्ली सरकार के गृह विभाग को आदेश दिया है कि दिल्ली पुलिस के वकीलों के पैनल को मंजूरी दें। संविधान किये गए प्रावधानों के तहत अब दिल्ली सरकार उपराज्यपाल के इस फैसले को मानने के लिए बाध्य हो गई है।
दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि दिल्ली दंगों के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वकीलों का पैनल नियुक्त करने के लिए मंगलवार को दिल्ली सरकार की कैबिनेट बैठक हुई थी। इसमें दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस के वकीलों के पैनल को खारिज कर दिया था।

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केजरीवाल मंत्रिमंडल का मानना था कि दिल्ली दंगों के संबंध में दिल्ली पुलिस की जांच को कोर्ट ने निष्पक्ष नहीं माना है। इसलिए दिल्ली पुलिस के पैनल को मंजूरी देने से केस की निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है। लेकिन बुधवार को दिल्ली के उप राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 239(एए)(4) के तहत मिले अधिकार का इस्तेमाल कर दिल्ली सरकार के कैबिनेट के निर्णय को खारिज कर दिया।
केवल इतना ही नहीं बल्कि इस अनुच्छेद से मिले अधिकार के तहत दिल्ली सरकार को अंतरिम आदेश जारी किया है कि दिल्ली पुलिस के पैनल को मंजूरी दी जाए। बता दें कि मंगलवार शाम को हुई केजरीवाल मंत्रिमंडल की बैठक में दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव के साथ दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल के सुझाव पर विचार किया गया था।

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बैठक में तय किया गया था कि दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा पैदा करने के लिए जो भी दोषी हैं, उन्हें सख्त सजा मिलनी चाहिए। साथ ही यह भी तय हुआ था कि निर्दोषों को परेशान या दंडित नहीं किया जाना चाहिए। इस कारण दिल्ली कैबिनेट ने दिल्ली सरकार के वकीलों के पैनल की नियुक्ति पर सहमति जताई थी। साथ ही दिल्ली पुलिस के वकीलों के पैनल को मंजूरी देने के उप राज्यपाल के सुझाव को अस्वीकार कर दिया था।
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायधीश सुरेश कुमार ने दिल्ली दंगों के संबंध में दिल्ली पुलिस पर टिप्पणी की थी कि दिल्ली पुलिस न्यायिक प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल कर रही है। सेशन कोर्ट ने भी दिल्ली पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए थे। इसको आधार बनाकर दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल ने दिल्ली पुलिस के पैनल को मंजूरी नहीं दी थी। लेकिन अब उपराज्यपाल के आदेश के बाद दिल्ली सरकार के हाथ बंध गए हैं।