-केंद्रीय मंत्री पद के मोह में पीछे छूटे कृष्णपाल गुर्जर
-महीपाल ढांडा और कैप्टन अभिमन्यु पर भी हुआ विचार
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ चंडीगढ़
हरियाणा प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में जाट लॉबी यहां की गुर्जर लॉबी पर भारी पड़ी है। पार्टी ने केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर को पीछे करते हुए जाट नेता और पूर्व मंत्री ओपी धनखड़ को बीजेपी की कमान सोंपी है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने रविवार को हरियाणा प्रदेश बीजेपी संगठन में फेरबदल की सूचना जारी कर दी।
हरियाणा प्रदेश बीजेपी इकाई में अध्यक्ष पद के लिए 3-4 नामों पर चर्चा की जा रही थी। इनमें कृष्णपाल गुर्जर, महिपाल ढांडा और कैप्टन अभिमन्यु के नामों पर विचार किया जा रहा था। लेकिन रविवार को ओपी धनखड़ के नाम की हुई घोषणा ने सभी को चोंका दिया। हालांकि ओपी धनखड़ हरियाणा बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं और उनके नाम पर भी पार्टी में कोई विरोध वाली बात नहीं है।
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केंद्रीय मंत्री और फरीदाबाद से बीजेपी सांसद कृष्णपाल गुर्जर का हरियाणा बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा था। लेकिन समय से पहले उनका नाम अध्यक्ष पद के लिए उछलना कृष्णपाल की राह रोकने का सबसे बड़ा कारण रहा। फरीदाबाद लोकसभा सीट से लगातार 2 बार जीते कृष्णपाल गुर्जर का हरिणाया बीजेपी का अध्यक्ष बनना तय हो गया था। इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पार्टी के एक राष्ट्रीय महामंत्री ने बाकायदा ट्वीट करके कृष्णपाल गुर्जर को बधाई तक दे दी थी। इसके बाद अचानक सक्रिय हुई जाट लॉबी ने उनकी राह रोक दी।
एकजुट हुए जाट नेता और बदल गई बाजी
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी को गैर जाट की राह पर आगे बढ़ता देखकर हरियाणा के तमाम जाट नेता एकजुट हो गए थे। इसको लेकर हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष पद के 2 प्रमुख दावेदार धाकड़ जाट नेता ओपी धनखड़ और सरकार में मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के बीच भी अंडरस्टैंडिंग बन गई थी। दोनों आपसी टकराव छोड़कर दिल्ली दरबार को यह बात समझाने में कामयाब रहे कि हरियाणा में जाटों की अनदेखी की जाएगी तो उनकी राजनीति का औचित्य क्या रह जाएगा?
अध्यक्ष पद के साथ केंद्रीय मंत्री बने रहना चाहते थे कृष्णपाल
बताया जा रहा है कि कृष्ण पाल गुर्जर केंद्रीय राज्यमंत्री रहते हुए हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभालना चाहते थे। इसके चलते भी उनकी शर्त के विरोध में कई जाट नेता खड़े हो गए थे। पार्टी में चर्चा है कि कृष्णपाल गुर्जर का प्रदेश अध्यक्ष की बजाए केंद्रीय राज्यमंत्री पद को तवज्जो देना भी उनके नाम की घोषणा रोकने में अहम कारण बना।
भारी पड़ा जाट राजनीति का डर
हरियाणा बीजेपी के जाट नेता पार्टी हाईकमान को यह समझाने में कामयाब रहे कि अगर मुख्यमंत्री गैर जाट और प्रदेश अध्यक्ष जाट की परंपरा तोड़ी गई तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अधिक ताकतवर बनकर उभरेंगे। इसके चलते पहले से ही बीजेपी से दूर चल रहे जाट मतदाता और अधिक दूर हो जाएंगे। यदि किसी जाट नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाता है तो दूर हुए बड़े जाट समुदाय को पार्टी के निकट लाया जा सकेगा।
जाट नेता पार्टी आलाकमान को यह बात समझाने में भी कामयाब रहे कि यदि जाटों की उपेक्षा की गई तो भाजपा फिर से बैसाखी के सहारे चलने वाली पार्टी बनकर रह जाएगी। यही तर्क हाईकमान के गले उतर गया और कृष्ण पाल गुर्जर की जगह ओमप्रकाश धनखड़ की लाटरी लग गई। बताया यह भी जा रहा है कि ओपी धनखड़ का संघ की पृष्ठभूमि से होना, किसान नेता की छवि व जाट बिरादरी से होना, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निकटता और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से दोस्ती भी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी दिलाने में अहम कारण रहे हैं।
एबीवीपी से शुरू किया राजनीतिक सफर
हरियाणा के प्रमुख जाट नेताओं में से एक ओमप्रकाश धनकड़ ने अपना राजनीतिक सफर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरू किया था। पिछले कुछ दिनों में हरियाणा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चल रही जोड़-तोड़ में धनकड़ का नाम टॉप-3 नेताओं में आ रहा था। इनके अलावा कृष्णपाल गुर्जर और महिपाल ढांडा का नाम भी इस पद के लिए सामने आ रहा था। लेकिन आखिरकार ओपी धनकड़ ने बाजी मार ली। बता दें कि अभी तक सुभाष बराला हरियाणा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे।