सब्जियों पर टूटा पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों का कहर

-आर्थिक तंगी झेल रहे आम लोगों की थारी से दूर हुई सब्जियां
-कोरोना काल और लॉकडाउन की वजह से काम धंधे चौपट

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
देश में तेजी से बढ़ते पेट्रोल और डीजल के दामों का कहर अब हरी सब्जियों पर टूटा है। पहले से ही आर्थिक तंगी झेल रहे लोगों के खाने की थाली से हरी सब्जियां दूर हो गई हैं। कोरोना काल और लॉकडाउन की वजह से लोगों के काम धंधे तो पहले ही चौपट हो गए हैं। अब सब्जी, आटा, चावल के दामों में होती जा रही बेतहाशा बढ़ोतरी की वजह से लोगों का जीना मुहाल होता जा रहा है।

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दिल्ली-एनसीआर के बाजारों में हरी सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं। बाजारों में टमाटर 100 रूपये प्रति किलो तक पहुंच गया है। वहीं फूल गोभी 60 से 80 रूपये, बंद गोभी 50 से 70 रूपये, लौकी 30 से 40 रूपये, भिंडी 40 से 50 रूपये, कटहल 40 से 50 रूपये, बैंगन 40 रूपये, करेला 40 से 50 रूपये, परवल 50 से 70 रूपये, कद्दू 30 से 40 रूपये और शिमला मिर्च के दाम 200 रूपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं।

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सब्जियों के दामों यह बढ़ोतरी पिछले केवल एक सप्ताह में हुई है। पिछले सप्ताह जो सब्जियां 15 से 20 रुपये प्रति किलो तक बिक रही थीं अब वह 60 रुपये से 80 रूपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं। व्यापारियों का कहना है कि किसान की सब्जी के दाम उसे नहीं मिल पा रहे हैं। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से जहां ट्रांसपोर्टेशन की लागत डेढ़ गुना तक बढ़ गई है। वहीं बड़े शहरों से मजदूरों के पलायन की वजह से सब्जियां लाने-लेजाने का खर्च बढ़ गया है।
गिर रही सब्जियों की आवक
दिल्ली की आजादपुर सब्जी मंडी के कारोबारी प्रशांत शर्मा ने कहा कि सब्जियों की ट्रांसपोर्टेशन लागत बहुत बढ़ गई है। किसानों की सब्जी सस्ती बिकती है इसलिए उत्पादन में भी गिरावट आई है। इसकी वजह से दिल्ली-एनसीआर में सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी होती जा रही है। कारोबारी पवन बजाज ने बताया कि सब्जी मंडियों में व्यापारियों और किसानों को मजदूरी ज्यादा चुकानी पड़ रही है। कारण है कि आधे से ज्यादा मजदूर शहरों से अपने-अपने गांवों की ओर पलायन कर गए हैं। अब इसका असर भी सब्जियों के दामों पर पड़ रहा है। जसवंत सिंह ने कहा कि कम आवक के बीच होटल व रेस्तरां खुल जाने के चलते उनकी मांग भी बढ़ी है। इन सभी कारणों से हरी सब्जियों के दाम अचानक से आसमान पर पहुंच गए हैं।