MP: मंत्री पद का ताज… शिवराज पर भारी पड़े महाराज!

-अपने करीबियों को भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करा पाए सीएम शिवराज
-28 में से 12 पूर्व कांग्रेसियों ने ली मंत्री पद की शपथ, 11 सिंधिया समर्थक

टीम एटूजैड/ भोपाल
मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में मुख्यमंत्री शिवराज पर महाराज भारी पड़े। कई दिनों तक चले मंत्रिमंडल विस्तार के गहन मंथन से निकला विष आखिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हिस्से आया। मंत्रिमंडल मंथन से निकले अमृत को ज्योतिरादित्य सिंधिया हथियाने में कामयाब रहे।

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मध्य प्रदेश सरकार के जिन 28 मंत्रियों ने गुरुवार को शपथ ली है, उनमें 12 पूर्व कांग्रेसी और 9 सिंधिया समर्थक हैं। ऐसे में शिवराज मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थक मंत्रियों की संख्या बढ़कर अब 11 हो गई। दूसरी ओर शिवराज सिंह अपने छह समर्थक विधायकों को ही अपनी टीम में शामिल नहीं करा पाए। यहां तक कि केंद्रीय नेतृत्व ने सीएम समर्थक रामपाल सिंह और गौरीशंकर बिसेन को भी मंत्री बनाने से इनकार कर दिया।

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मंत्रिमंडल विस्तार से पहले शिवराज सिंह ने कहा था कि समुद्र मंथन में अमृत निकलता है। विष शिव को पीना पड़ता है। माना जा रहा है कि शिवराज ने मंत्रिमंडल विस्तार में अपनी नहीं चल पाने की वजह से ही यह टिप्पणी की थी। सूत्रों का कहना है कि बीते चार दिनों से शिवराज की कोशिश विस्तार में अपने समर्थकों को जगह दिलाने की थी। लेकिन पार्टी नेतृत्व ने इसे स्वीकार नहीं किया और नए चेहरों को हर हाल में तरजीह देने का निर्देश दिया।
कांग्रेस छोड़कर आए 22 में 11 मंत्री
शिवराज मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह पहले से ही मंत्री थे। गुरुवार को उनके खेमे के नौ नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल करने से यह संख्या 11 हो गई है। सिंधिया के साथ 22 विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। इनमें से आधे मंत्री पद पा चुके हैं। बाकी को निगमों-मंडलों में पद देने की चर्चा है। मंत्रिमंडल में सीएम सहित 34 मंत्री हैं। इनमें 14 पूर्व कांग्रेसी हैं। इस तरह पूर्व कांग्रेसी नेताओं की हिस्सेदारी 41 फीसदी हो गई है।
बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता मंत्रिमंडल से बाहर
सियासी मजबूरियों और पार्टी नेतृत्व की मर्जी के चलते सिंधिया समर्थकों को शामिल करने की कोशिश में भाजपा के पुराने नेताओं को मंत्री पद से दूर रहना पड़ा है। बीजेपी के राजेंद्र शुक्ला, रामपाल सिंह, गौरीशंकर बिसेन जैसे वरिष्ठ नेता मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं बन पाए। ये सभी शिवराज के करीबी हैं और पहले उनके मंत्रिमंडल का हिस्सा रह चुके हैं। इस बार भी इनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही थी। शिवराज सिंह ने इनको मंत्री बनाने के लिए बहुत कोशिशें कीं, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने अड़ंगा लगा दिया। नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा जैसे कद्दावर नेताओं को भी मंत्रिमंडल विस्तार में ‘चीनी कम’ से संतोष करना पड़ा है।
बीजेपी नेतृत्व को उपचुनाव का डर
आने वाले सितंबर महीने में भारतीय जनता पार्टी को विधानसभा उपचुनाव का सामना करना है। इनके नतीजे पर शिवराज सरकार का भविष्य तय होगा। यही वजह है कि भाजपा नेतृत्व ने किसी तरह का खतरा उठाने से परहेज करते हुए सिंधिया को ज्यादा तरजीह दी है। हालांकि अब बीजेपी के सामने उपचुनाव में खाली हुई सीटों पर पूर्व में चुनाव लड़ चुके बीजेपी नेताओं को साथ बनाए रखने की बड़ी चुनौती होगी।
शिवराज के लिए केंद्रीय राजनीति का रास्ता
सिंधिया की बगावत के चलते जब कमलनाथ सरकार गिरी थी तो मुख्यमंत्री के तौर पर भाजपा नेतृत्व की पसंद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और नरोत्तम मिश्रा बताए जा रहे थे। लेकिन उपचुनाव के महत्व को देखते हुए फैसला शिवराज सिंह चौहान के पक्ष में गया था। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी नेतृत्व लंबे समय से शिवराज को केंद्रीय राजनीति में लाना चाहता है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद कई बार उन्हें केंद्रीय कृषि मंत्री बनाने की चर्चा हो चुकी है। मंत्रिमंडल विस्तार से भी स्पष्ट संकेत दिये गए हैं कि पार्टी राज्य में नया नेतृत्व उभारना चाहती है।
‘टाइगर अभी जिंदा है’
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद ‘टाइगर अभी जिंदा है’ कहकर सबको चोंका दिया। वहीं उन्होंने अपने विरोधियों को भी संदेश देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि जो लोग मेरी छवि धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं, वे जान लें ‘टाइगर अभी जिंदा है’। मध्य प्रदेश की जनता के लिए सिंधिया परिवार हमेशा से समर्पित रहा है। चाहे राजमाता हों या पिताजी। न्याय का रास्ता अपनाना, सच का रास्ता अपनाना सदैव सिंधिया परिवार का संकल्प और प्रण रहा है।
विस्तार के बाद बढ़ी उमा भारती की नाराजगी
वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती ने मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि इस मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय असंतुलन है। बता दें कि उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और केंद्र में भी मंत्री पद संभाल चुकी हैं। लेकिन शिवराज मंत्रिमंडल में अपने किसी समर्थक को जगह नहीं दिला पाने की वजह से उनकी नाराजगी बढ़ गई है।