नगर निगमः ‘फर्जी हाजिरी घोटाले’ की भेंट चढ़ीं 4 हजार बायोमैट्रिक मशीनें

-‘फर्जी हाजिरी घोटाला’ पार्ट-6
-मशीनों से ही निगम को करीब पौने चार करोड़ का घाटा
-कबाड़ में पहुंची कर्मचारियों की हाजिरी लगाने वाली मशीनें

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
नगर निगम के घोस्ट एंपलॉयीज (फर्जी कर्मचारियों) को पकड़ने वाली बायोमैट्रिक मशीनें अब ‘फर्जी हाजिरी घोटाला’ चला रहे सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं। जिन बायोमैट्रिक मशीनों ने साल 2011 में नगर निगम के करीब 22 हजार फर्जी कर्मचारी पकड़े थे, ऐसी करीब चार हजार मशीनें अब तीनों नगर निगमों के कबाड़खानों की शोभा बढ़ा रही हैं। इन मशीनों की गैरमौजूदगी में तीनों निगमों में एक बार फिर करोड़ों रूपये की लूट-खसोट की पुरानी परंपरा शुरू हो गई है।

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दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में 104, उत्तरी दिल्ली नगर निगम में 104 और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के 64 वार्ड मिलाकर कुल 272 वार्ड हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार इन 272 वार्ड और निगम कार्यालयों में कर्मचारियों की हाजिरी लगाने के लिए करीब 4 हजार बायोमैट्रिक मशीनें लगवाई गई थीं। रखरखाव से अलग हर मशीन की लागत 9 हजार 30 रूपये आई थी। यानी कि एकीकृत नगर निगम को इन बायोमैट्रिक मशीनों पर करीब 3 करोड़ 55 लाख रूपये खर्च करने पड़े थे।

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बायोमैट्रिक मशीनें लगाने का यह लाभ हुआ था कि बिना काम किये फर्जी नामों पर बांटी जा रही सेलरी के करोड़ों रूपये बचने लगे थे। लेकिन इसका नुकसान भ्रष्ट अधिकारियों के साथ फील्ड के उन भ्रष्ट कर्मचारियों को होने लगा था जो बिना काम किये ही फर्जी नामों पर सेलरी उठाकर बंदरबांट करते आ रहे थे। 2011 में लगावाई गईं बायोमैट्रिक मशीनें करीब 2017 तक तो ठीक चलती रहीं। लेकिन इसके बाद मशीनें आश्चर्यजनक रूप से खराब होती गईं और कुछ नेताओंअ व अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इन्हें ठीक नहीं कराया गया।

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बीते करीब डेढ़ साल से तीनों में से किसी भी नगर निगम में बायोमैट्रिक मशीनों से फील्ड स्टाफ की हाजिरी लगाना बंद कर दिया गया है। इसके चलते एक बार फिर तीनों नगर निगमों में करोड़ों रूपये का ‘फर्जी हाजिरी घोटाला’ शुरू हो गया है। सूत्रों का कहना है कि तीनों नगर निगमों में चल रहा फर्जी हाजिरी घोटाला करीब 8 करोड़ रूपये सालाना का है।

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साउथ डीएमसी ने माना- नहीं चल रहीं बायोमैट्रिक
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के आला अधिकारियों ने खुद माना है कि पूरे निगम में कहीं भी फील्ड स्टाफ की हाजिरी बायोमैट्रिक द्वारा नहीं लगाई जा रही है। निगम के अधिकारियों ने माना है कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में 1498 बायोमैट्रिक मशीनें लगाई गई थीं। एक मशीन की कीमत 9030 रूपये थी और दो साल का रखरखाव (मेंटेनेंस) का कांट्रैक्ट किया गया था। इसके बाद से दोबारा मेंटेनेंस का काम किसी कंपनी को नहीं दिया गया है।
फर्जीवाड़ा चालू रखने के लिए नहीं किया जा रहा मेंटेनेंस!
नगर निगम से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यदि सभी कर्मचारियों की हाजिरी बायोमैट्रिक मशीनों के द्वारा शुरू कराई जाती है तो हाजिरी का फर्जीवाड़ा बंद हो जाएगा। ऐसे में कुछ अधिकारियों और कुछ नेताओं की करोड़ों रूपये की कमाई रूक जाएगी। यही कारण है कि बायोमैट्रिक मशीनों न तो अभी तक ठीक कराया गया और नाही किसी कंपनी को इनका मेंटेनेंस कांट्रैक्ट दिया गया है।
जोन कार्यालय और मुख्यालयों से गायब हुई मशीनें
नगर निगम द्वारा लगवाई गईं बायोमैट्रिक मशीनें केवल फील्ड कार्यालयों से ही गायब नहीं हुई हैं। बल्कि अब तो नगर निगमों के जोन कार्यालयों और मुख्यालयों में भी बायोमैट्रिक मशीनों से हाजिरी लगाना बंद कर दिया गया है। कुछ अधिकारियों कहा कहना है कि कोरोना संकट के दौर में बायोमैट्रिक मशीनों का उपयोग ठीक नहीं है। लेकिन वही अधिकारी अपने कार्यालयों के लिफ्ट के स्विच दबाते नजर आते हैं। खास बात है कि नगर निगमों में बयोमैट्रिक मशीनें कोरोना संकट से कई महीने पहले ही गायब कर दी गई हैं।
कर्मचारी नहीं अब डीबीसी लगा रहा हाजिरी
इस साल पूर्व महापौर सुनीता कांगड़ा के वार्ड एस-1 मादीपुर में सबसे पहले ‘फर्जी हाजिरी घोटाला’ पकड़ में आया है। हाजिरी रजिस्टर और मूवमेंट रजिस्टर में धांधली पकड़े जाने के बाद से पश्चिमी जोन के आला अधिकारियों ने वार्ड स्तर पर रखे जाने वाले हाजिरी रजिस्टर छिपा कर रख दिये हैं। अब उनमें डीबीसी, सीएफडब्लू और एफडब्लू की हाजिरी किसी एमआई/एएमआई या किसी एक डीबीसी कर्मचारी से लगवाई जा रही है। एएमआई के छुट्टी पर चले जाने के बाद से एम डीबीसी कर्मचारी बाकी सभी कर्मचारियों की हाजिरी लगा रहा है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि निगम में भ्रष्टाचार किस हद तक पहुंच चुका है।
मूवमेंट, दवाई, मास्क व किट रजिस्टर पर हस्ताक्षर?
फर्जी हाजिरी घोटाले में पकड़ में नहीं आने के लिए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकारी तरह तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि फील्ड में काम करने वाले डीबीसी, सीएफडब्लू, एफडब्लू कर्मचारियों से कोरोना से बचाव के लिए हाजिरी रजिस्टर पर साइन नहीं करवाए जा रहे। लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यह उठता है कि जब कर्मचारियों के मूवमेंट रजिस्टर, दवाई प्राप्त करने के रजिस्टर, मास्क प्राप्त करने के रजिस्टर और सुरक्षा किट के रजिस्टर पर रोजाना साइन कराए जा रहे हैं तो क्या केवल हाजिरी रजिस्टर से ही कोरोना फैलता है? कई कर्मचारियों की शिकायत है कि अब भी आधे से ज्यादा कर्मचारी कई-कई दिन तक काम पर नहीं आ रहे हैं। लेकिन उनकी हाजिरी लगाई जा रही है। जबकि उन्हें पता ही नहीं पड़ता कि कब उनकी ड्यूटी पर होने के बावजूद गैरहाजिरी लगा दी जाएगी।