-महापौर, स्थायी समिति अध्यक्ष व नेता सदन पदों पर बीजेपी में उठा विवाद
-कैडर बेस्ड पार्टी है बीजेपी, सामूहिक निर्णय लेकर तय किये गए नामः गुप्ता
-पार्टी सख्त, नहीं माने तो बढ़ सकती हैं तिलकराज कटारिया की मुश्किलें
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
महापौर, स्थायी समिति अध्यक्ष और नेता सदन पद को लेकर दिल्ली बीजेपी में विवाद उठ खड़ा हुआ है। उततरी दिल्ली नगर निगम में नेता सदन तिलकराज कटारिया ने प्रदेश नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी और पार्षद पद से इस्तीफा दे दिया है। इसको लेकर बीजेपी प्रदेश नेतृत्व भी सख्त हो गया है। प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा है कि अनुशासनहीनता करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
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तिलकराज कटारिया ने प्रदेश बीजेपी नेतृत्व पर परिक्रमा और हाजिरी लगाने वालों को महत्व देने का आरोप लगाया है। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने एटूजैड न्यूज के साथ बातचीत में कहा कि यदि वह इस तरह के आरोप लगा रहे हैं तो यह गलत है। पार्टी ने महापौर, उपमहापौर और दूसरे पदों पर नाम तय करने के लिए निगम पार्षदों के साथ ही पार्टी के दूसरे नेताओं से भी रायशुमारी की है।
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इसके अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत और सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है। पार्टी में अनुशासनहीनता करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि जिन लोगों को जिम्मेदारी दी गई है, वह भी पार्टी के ही लोग हैं। तिलकराज कटारिया को भी पार्टी ने ही जिम्मेदारी दी थी। इसलिए उन्हें भी पार्टी का निर्णय मानना चाहिए।
लगातार पद मिलते रहने से बढ़ी महत्वाकांक्षा
पार्टी में चर्चा है कि तिलकराज कटारिया वैसे तो पार्टी के पुराने व समर्पित कार्यकर्ता हैं। दरअसल पार्टी के द्वारा सभी पार्षदों के टिकट काटे जाने के निर्णय के बाद उन्हें टिकट दिया गया था। वह 2017 में पहली बार निगम पार्षद बने थे। 2017 में ही उन्हें स्थायी समिति का अध्यक्ष पद दे दिया गया था। 2018 में उन्हें उत्तरी दिल्ली नगर निगम में पार्टी ने नेता सदन का पद दिया जो लगातार दो साल जारी रहा। लेकिन जैसे ही बुधवार को उनकी जगह जैसे ही योगेश वर्मा को नेता सदन बनाने की घोषणा की गई, वैसे ही तिलकराज कटारिया ने अपना इस्तीफा भेज दिया।
पार्टी में सवालः जब उन्हें पद मिला, तो उन्होंने किसकी परिक्रमा की थी?
प्रदेश बीजेपी के एक पदाधिकारी ने सवाल किया कि तिलक राज कटारिया को बीते तीन साल से प्रमुख पद मिलते आ रहे हैं। जबकि पार्ट में ऐसे कई पार्षद अब भी हैं जिन्हें एक भी पद पर काम करने का मौका नहीं मिला है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि जब उन्हें पद दिये गए तो उन्होंने किसकी परिक्रमा की थी?
लग चुका है पत्नी को नौकरी देने का आरोप
तिलकराज कटारिया के ऊपर अपनी पत्नी को उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नौकरी देने की कोशिश का आरोप लग चुका है। सूत्रों का कहना है कि उन्होंने अपनी पत्नी को निगम के आयुष विभाग में नौकरी दिलाने की सिफारिश की थी। यह मामला मीडिया में भी खूब उछला था। बाद में उन्होंने अपनी कोशिशें बंद कर दी थीं।