DELHI BJP… एक से मुक्ति… बाकी दो से छुटकारे का इंतजार!

-बीजेपी को दिल्ली के नेताओं पर नहीं भरोसा… संगठन का काम केंद्र को सोंपा
-शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश बीजेपी के गठन के लिए अरूण-राहटकर को सोंपी कमान

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का भरोसा दिल्ली बीजेपी के नेताओं पर से पूरी तरह से उठ गया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही ‘ऑपरेशन बदलाव’ की पटकथा लिखी जा चुकी थी। लेकिन परिस्थितियों ने इंतजार थोड़ा लंबा कर दिया। लेकिन अब केंद्रीय नेतृत्व ने दिल्ली बीजेपी का ‘सफाई अभियान’ शुरू कर दिया है। प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता की नियुक्ति के साथ दिल्ली बीजेपी का ‘सफाई अभियान’ शुरू हो गया था। पहला ऑपरेशन 3 जून को हुआ था। दूसरा ऑपरेशन सोमवार 8 जून को किया गया। कहा जा रहा है कि प्रदेश पार्टी में इसी तरह के दो बड़े ऑपरेशन होने अभी बाकी हैं।

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सोमवार को दिल्ली प्रदेश बीजेपी के गठन की जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता से छीनकर राष्ट्रीय महामंत्री अरूण सिंह और महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष विजया राहटकर को दी गई। यह भी कहा जा रहा है कि विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब किसी प्रदेश संगठन के गठन की जिम्मेदारी अध्यक्ष से लेकर खुद राष्ट्रीय नेतृत्व ने संभाली है। इस अद्भुत फैसले के पीछे दिल्ली बीजेपी में बन चुके कई गुटों को माना जा रहा है।

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दरअसल दिल्ली बीजेपी में चर्चा शुरू हो गई थी कि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में आदेश गुप्ता की नियुक्ति के पीछे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेताओं का हाथ है। ऐसे में बीजेपी के कुछ नेता इसे अनाधिकृत हस्तक्षेप मान रहे थे। क्योंकि कई दूसरे नेताओं के मुकाबले प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता को काफी लो-प्रोफाइल माना जा रहा है। इसी तालमेल को बैठाने के लिए पार्टी नेतृत्व ने प्रदेश कार्यकारिणी के गठन के लिए यह हस्तक्षेप किया है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही पार्टी के कुछ मौकापरस्त नेताओं ने लॉबिंग भी शुरू कर दी थी। लेकिन ऐसे सभी नेताओं को सोमवार की दोपहर में जोर का झटका जोर-जोर से लगा।

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दरअसल पार्टी के इस निर्णय के पीछे दिल्ली बीजेपी नेताओं की गुटबाजी को माना जा रहा है। दिल्ली बीजेपी में यह सवाल भी शुरू हो गए हैं कि एक की छुट्टी होने के बाद बाकी दो की छुट्टी कब होगी? क्योंकि इन दोनों नेताओं ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में केंद्रीय नेतृत्व को दिल्ली में बीजेपी की सरकार के गठन का भरोसा दिलाया था।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण के मामले में केंद्रीय नेतृत्व ने अपनी चलाई थी। कुछ हद तक संघ के नेताओं की भी चली थी। लेकिन इसके बावजूद दिल्ली बीजेपी के यह तीनों प्रमुख नेता अपने कई-कई चहेतों को टिकट दिलाने में कामयाब रहे थे। लेकिन उनमें से ज्यादातर सिफारिशी नेता विधानसभा चुनाव हार गए थे। टिकट वितरण में इन तीनों ही नेताओं के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे।

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अब राष्ट्रीय नेतृत्व ने कार्यकाल पूरा होने के बाद उनमें से एक नेता को उसके पद से हटा दिया है। बाकी दो नेता अपने-अपने पदों पर जमे हुए हैं। इनमें से एक नेता पर तो बिना किसी व्यापार और कारोबार के दिल्ली के एक पॉश इलाके में अरबों की कीमत के मकान और दूसरी प्रॉपटी खरीदे जाने के आरोप भी लगे हैं। बीजेपी में चर्चा है कि इन दोनों नेताओं ने पार्टी में अपने कई चंपू पाल रखे हैं। यह चंपू इन दोनों नेताओं की हर जरूरत पूरी करने में जुटे रहते हैं।

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जैसे ही इस बात की भनक राष्ट्रीय नेतृत्व को लगी कि यह दोनों नेता प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता को अपने प्रभाव में लेकर अपने चंपुओं को पार्टी में फिर से प्रमुख ओहदोंपर बैठा सकते हैं। इसके बाद केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व ने प्रदेश संगठन के गठन की बागडोर राष्ट्रीय महामंत्री अरूण सिंह और राष्ट्रीय महिला मोर्चा अध्यक्ष विजया राहटकर को सोंप दी है।
अरूण सिंह देंगे अपने चेले को बड़ा पद!
प्रदेश बीजेपी संगठन के गठन में राष्ट्रीय नेताओं को जिम्मेदारी दिए जाने के बाद प्रदेश बीजेपी में चर्चा शुरू हो गई है कि राष्ट्रीय महामंत्री अरूण सिंह प्रदेश बीजेपी में अपने एक खास चेले को बड़ा ओहदा दे सकते हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी के एक नेता के विरोध के चलते उनके इस चेले को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया था।
तीनों निगमों में मजबूत नेतृत्व देना बड़ी चुनौती
बीजेपी नेतृत्व की नजर में यह बात भी आ चुकी है कि प्रदेश बीजेपी के नेता फिलहाल दिल्ली के तीनों नगर निगमों पूरी तरह से फेल हो चुके हैं। तीनों निगमों के महापौर निगम के अधिकारियों पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हुए हैं। तीनों नगर निगमों में अधिकारियों के साथ पार्किंग माफिया, विज्ञापन माफिया और दूसरे तरह के माफिया की मिलीभगत जारी है। अभी तक उत्तरी दिल्ली नगर निगम के एमएचओ व आरपी सेल और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के आरपी सेल के मुखियाओं को नहीं हटाया जा सका है। यदि दिल्ली बीजेपी के नेता ही प्रदेश का गठन करते तो आगे भी निगमों से भ्रष्टाचार का खात्मा नहीं हो सकता।