COVID-19 का तूफान… MHO ने सुनवाया निगम बोध से सेवाएं हटाने का फरमान!

-कोरोना से मौत पर शवों को जलाने की समस्या के बीच अफसरों का कारनामा
-घाट पर एक पैसा खर्च नहीं करता नगर निगम, कांट्रेक्ट खत्म करने की धमकी

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
भ्रष्टाचार का नशा निगम अधिकारियों के सिर चढ़कर बोल रहा है। निगम अधिकारी शमशान घाटों में भी अपनी कमाई तलाश रहे हैं। इसके चलते दिल्ली के सबसे बड़े और व्यवस्थित शमशान घाट में कभी भी अव्यवस्था फैल सकती है। निगम अधिकारियों ने कोरोना महामारी से होने वाली मृत्यु वाले शवों का सबसे ज्यादा दाह करने वाले निगम बोध घाट का संचालन करने वाली स्वयंसेवी संस्था को उसका करार खत्म करने के लिए नोटिस जारी किया है। मामला उत्तरी दिल्ली नगर निगम का है।

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उत्तरी दिल्ली नगर निगम की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि निगम बोध घाट संचालन समिति नगर निगम को सहयोग नहीं कर रही है। अतः क्यों न इस संस्था के साथ हुआ नगर निगम का करार खत्म कर दिया जाए? घाट से कोरोना बीमारी से मृतकों के शवों को वापस भेजे जाने की खबरों को नोटिस के पीछे की वजह बताया गया है। निगम बोध घाट का संचालन बड़ी पंचायत वैश्य बीसे अग्रवाल द्वारा गठित निगम बोध घाट संचालन समिति के द्वारा किया जाता है। स्वयंसेवी संगठन ने भी नोटिस का सख्त जवाब देकर निगम अधिकारियों के मुंह पर करारा तमाचा जड़ा है।

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निगम बोध संचालन समिति ने अपने जवाब के साथ एक और पत्र संलग्न किया है। जिसमें बताया गया है कि 2011 से घाट का काम संभालने के बाद उसने यहां क्या-क्या काम कराए हैं। खास बात है कि निगम बोध घाट पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम को एक भी पैसा खर्च नहीं करना पड़ता। जबकि यहां दाह संस्कार की क्रिया दिल्ली के दूसरे सभी शमशान घाटों से सस्ती कराई जाती है।

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समिति ने अपने जवाब में कहा है कि 14 मार्च से 29 मई तक कोरोना से हुई मौतों के बाद 425 शवों को सीएनजी के द्वारा दाह कराया है। इसके अलावा 27 से 29 मई के बीच नया आदेश आने के बाद लकड़ी के द्वारा कोरोना से मृत 42 शवों का अंतिम संस्कार कराया है। खास बात है कि संस्था की ओर से घाट से संबंधित विभिन्न कामों के लिए 65 कमर्चारी रखे गए हैं, इन कर्मचारियों का वेतन यही संथा देती है।

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इसके अलावा हर महीने सीएनजी पर करीब दो लाख रूपये और बिजली बिल पर करीब डेढ़ लाख रूपये इसी संस्था द्वारा खर्च किए जाते हैं। यही नहीं दिल्ली के दूसरे शमशान घाटों के मुकाबले यहां लकड़ी के दाम सबसे कम हैं। यहां गरीबों के लिए निःशुल्क शवदाह की व्यवस्था की गई है। साथ ही प्रत्येक शवदाह के लिए इस संगठन की ओर से 10 किलो उपले, गंगा जल, हवन सामग्री, तुलसी की पत्तियां आदि निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं। इस संगठन ने निगम बोध घाट की काया पलट कर दी है। यहां अब एसी कमरों के साथ एसी मोर्चरी की व्यवस्था भी की गई है।

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सूत्रों का कहना है कि नोटिस के पीछे की वजह निगम में पनपा हुआ भ्रष्टाचार बताया जा रहा है। शमशान घाटों में सबसे ज्यादा कमाई लकड़ी आदि की बिक्री से की जाती है। लेकिन निगम अधिकारियों को यहां से इस तरह की काई कमाई नहीं हो पा रही है। इसके चलते संगठन को यह नोटिस जारी किया गया है। यह विभाग एमएचओ बतौर डॉक्टर अशोक रावत देख रहे हैं। जब संबंधित डीएचओ राजेश रावत से बात की गई तो उन्होंने नोटिस जारी किए जाने के संबंध में अनभिज्ञता जताते हुए आला अधिकारियों के स्तर पर कार्रवाई के बारे में बताया।

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उत्तरी दिल्ली नगर निगम में निगम स्वास्थ्य अधिकारी (एमएचओ) की जिम्मेदारी संभाल रहे डॉक्टर अशोक रावत वही हैं, जिनके खिलाफ निगम में भ्रष्टाचार के बहुत से मामले चर्चा में हैं। खास बात है कि वह उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आला अधिकारियों के बहुत ही चहेते हैं। यही कारण है कि करीब चार-पांच अन्य अधिकारियों की वरीयता को दरकिनार करते हुए आला अधिकारियों ने उन्हें निगम में एमएचओ की जिम्मेदारी सोंपी है।
अर्पित होटल मामले में मेजर पैनल्टी के तहत आरडीए
करोलबाग में अर्पित होटल में लगी आग में 17 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इस होटल डॉक्टर अशोक रावत ने ही करोलबाग जोन के डीएचओ बतौर ट्रेड लाइसेंस जारी किया था। तब इस होटल की छत पर रेस्टोरेंट और बेसमेंट में बैंकट हॉल चलाया जा रहा था। लेकिन डॉक्टर रावत ने अपने इंस्पेक्शन के दौरान इन बातों को नजरअंदाज करते हुए होटल को लाइसेंस जारी किया था। इस मामले में डॉक्टर रावत के खिलाफ 27 जुलाई 2019 को मेजर पैनल्टी के तहत रेग्युलर डिपार्टमेंटल एक्शन (आरडीए) संख्या 1/48/2019 रजिस्टर किया गया है। उनके खिलाफ सेंट्रल विजीलेंस ऑफिस द्वारा जांच की जा रही है। ऐसी स्थिति में संबंधित व्यक्ति को या तो सस्पेंड रखा जाता है या फिर कम से कम उस विभाग से हटा दिया जाता है। लेकिन नगर निगम के आला अधिकारियों का कारनामा देखिए कि डॉ रावत का प्रमोशन करते हुए उन्हें एमएचओ की कुर्सी पर बैठाया गया है।
कारनामों पर अधिकारियों की चुप्पी
डॉक्टर रावत की वजह से नॉर्थ डीएमसी पर 11 लाख के जुर्माने, सीआईसी को 5 हजार के जुर्माने का भुगतान, 20 हजार जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्रों के गायब होने, कई गुना ज्यादा इन्सेसक्सिइड्स की खरीदारी जैसे कारनामों की फेहरिश्त लंबी है, अतः उनके अन्य कारनामों की चर्चा अगली खबर में करेंगे। एटूजैड न्यूज ने डॉक्टर अशोक रावत और निगम के अन्य अधिकारियों से उनका पक्ष जानना चाहा, लेकिन कोई भी अधिकारी सामने नहीं आया। यदि आगे भी उनकी ओर से खबर के मामले में पक्ष रखा जाता है तो उसे यथा-स्थान दिया जाएगा।