‘स्कैम यूपी-112’… कांग्रेस ने प्रसार भारती के चेयरमैन नवनीत सहगल पर लगाये भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

-नवनीत सहगल के बेटे के कंपनी में हुआ 21 करोड़ का संदिग्ध निवेशः पवन खेड़ा

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 26 दिसंबर, 2025।
कांग्रेस ने प्रसार भारती के चेयरमैन नवनीत सहगल के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये हैं। पार्टी के मीडिया एवं पब्लिसिटी विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि उत्तर प्रदेश में 112 करोड़ का घपला एक ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया है जो कि प्रधानमंत्री कार्यालय और यूपी के मुख्यमंत्री के बहुत नजदीक है। उनका नाम नवनीत सहगल है। उन्होंने कहा कि नवनीत सहगल उत्तर प्रदेश के भीतर भ्रष्टाचार के किंग पिन बनकर काम कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इसका खुलासा हाल ही में एक पोर्टल ने किया है। उस पोर्टल ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की एक रिपोर्ट को कोट किया है। उस रिपोर्ट के आधार पर अपनी स्टोरी लिखी और वह जब हमने पढ़ा तो एक सवाल हम सबके दिमाग में आया कि भाई जिस व्यक्ति के बारे में इतना खुलासा हुआ है, तो प्रधानमंत्री कार्यालय को तो जाहिर सी बात है उसके विषय में इससे कहीं ज्यादा पता होगा। फिर भी ऐसे व्यक्ति को उत्तर प्रदेश से यहां ले आए दिल्ली और प्रसार भारती का चेयरमैन बना दिया।
पवन खेड़ा ने आगे कहा कि नवनीत सहगल के नेटवर्क के लोग इन्हें एनएस लंबू कहते हैं। 4 मार्च 2022 लखनऊ की एक सड़क पर एक टोयोटा कार में 41 लाख रुपए पकड़े गए थे। यहां से यह सिलसिला शुरू हुआ। इंस्टि‍ट्यूट ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट, आईईडी के निदेशक देवेंद्र पाल सिंह इसमें शामिल थे। उस समय आईईडी के चेयरमैन नवनीत सहगल थे। उनके घर से भी 4 करोड़ मिले थे। इनकम टैक्स विभाग ने जब इन्वेस्टिगेशन शुरू की तो पता चला कि कई कड़ियां जुड़ीं और एक कैश का सिस्टम चल रहा थां कट का, कमीशन का सिस्टम चल रहा था, जिसमें सरकारी योजनाओं का 30 फीसदी हिस्सा नकदी में वापस वसूला जाता था।
2019 से 2022 के बीच में यूपी की ऐसी योजनाओं में 112 करोड़ का चूना लगाया गया। इसलिए हमने इसका नाम स्कैम यूपी 112 रखा है। नकदी घोटाले की गोपनीय फाइल आयकर विभाग ने तैयार की, पूरी इन्वेस्टिगेशन की। इसमें ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) और विश्वकर्मा श्रम सम्मान जैसी योजनाओं के जरिए इंस्टीट्यूट ऑफ़ एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट (आईईडी) से 65 करोड़ की लूट हुई। इसमें से सबसे बड़ा हिस्सा नवनीत सहगल को गया। रिपोर्ट के मुताबिक टूलकिट और ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के नाम पर यह रिश्वत थी, जिसका बड़ा हिस्सा नवनीत सहगल को मिला जो चेयरमैन थे।
नकदी की डिलीवरी अलग-अलग एजेंट्स के माध्यम से कभी लखनऊ, कभी कानपुर, कभी नोएडा, कभी ग्रेटर नोएडा, कभी दिल्ली, अलग-अलग जगह से यह उसकी वसूली करते थे। यही मॉडल यूपीकोन में भी दोहराया गया, जहां 46 करोड़ इन्हीं योजनाओं से गबन किया गया। जिसमें इनफ्लेटेड बिलिंग, शेल कंपनियां और सब कॉन्ट्रैक्टिंग के जरिए आप फर्जी कंपनियां बना लोगे, किसी को कहोगे भाई आप ठेकेदार बनो, आप कंपनी बना लो, फिर इनफ्लेटेड बिलिंग होगी और पैसा वापस नकद अफसरों को मिल जाएगा।
पवन खेड़ा ने आगे कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक 21 करोड़ का संदिग्ध निवेश एक ऐसी कंपनी में हुआ, जिसमें नवनीत सहगल के बेटे डायरेक्टर थे। दिसंबर 2022 में आयकर विभाग ने यह रिपोर्ट यूपी सरकार और लोकायुक्त को भेजी थी। उन्होंने कहा कि आप लोगों को तो तुरंत सुबह मैसेज आ जाता है। लेकिन 254 पेज की रिपोर्ट भारत सरकार के आयकर विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार और लोकायुक्त को भेजी जाए और लोकायुक्त को मिले ही नहीं, यह भी चमत्कार यहीं हो सकता है। इसी आयकर अधिकारी की मुख्तार अंसारी पर की गई रिपोर्ट बिजली की गति से सरकार के पास पहुंच जाती है।
यह डबल इंजन की सरकार है, उसका एक पिस्टन नवनीत सहगल थे। अब इससे साबित होता है।
एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह भी है कि 2018 और 2020 के बीच में सहगल परिवार ने एक 17.5 करोड़ की प्रॉपर्टी खरीदी थी। यह इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी से खरीदी गई थी। यह जानकारी आज सुबह ही मुझे मिली तो मैं नहीं बता पाया। यह एक ऐसी कंपनी है, जिस पर इनकम टैक्स विभाग को शक है कि एक शेल कंपनी है। सरकारी कंपनी यूपीकॉन जिसके चेयरमैन नवनीत सहगल थे वह यूपीकॉन इस कंपनी को किराया दे रहा था। यूपीकॉन ऐसी कंपनी को किराया दे रहा था जो कि शेल कंपनी मानी जा रही है। जिस कंपनी से यूपीकॉन के चेयरमैन के परिवार ने 17 करोड़ 59 लाख की एक प्रॉपर्टी खरीदी। अब ये कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट इससे बड़ा और क्या हो सकता है? यह सब सार्वजनिक हो चुका है, छप भी चुका है।