BJP के शासन में सफेद हाथी साबित हो रहे MCD के अस्पताल… 50 जरूरी दवाईयों का पड़ा अकाल.. अधिकारियों ने साधी चुप्पी!

-बीते दो-तीन माह से मरीजों को नहीं मिल रहीं शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्टरॉल की दवाईयां
-दवाईयों के लिए चक्कर पे चक्कर लगा रहे मरीज, हाथ पर हाथ धरे सो रहे अधिकारी और नेता

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 01 अक्टूबर, 2025।
राजधानी दिल्ली में भले ही भारतीय जनता पार्टी की ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार काम कर रही हो, परंतु बीजेपी की सत्ता वाले दिल्ली नगर निगम के अस्पताल पूरी तरह से ‘सफेद हाथी’ साबित हो रहे हैं। एमसीडी के अस्पतालों में लोगों को शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्टरॉल जैसी बीमारियों की दवाईयां तक नहीं मिल रही हैं। करीब दो महीने यह दवाईयां एमसीडी के अस्पतालों में नहीं हैं और मरीजों को चक्कर पर चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, फिर भी एमसीडी अधिकारी और जिम्मेदार नेता हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
एमसीडी के द्वारा दिल्ली में हिंदूराव अस्पताल, स्वामी दयानंद अस्पताल, कस्तूरबा अस्पताल, बालक राम अस्पताल, राजन बाबू अस्पताल, गिरधर लाल अस्पताल सहित करीब 256 डिस्पेंसरी एवं अन्य स्वास्थ्य केंद्र संचालित किये जा रहे हैं। परंतु एमसीडी के सभी अस्पतालों, डिस्पेंसरी एवं अन्य प्रकार के स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में ज्यादातर दवाईयों का पूरी तरह से अकाल पड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि ऐसी करीब 50 जरूरी दवाईयां हैं, जो कि मरीजों को पिछले करीब दो-तीन महीने से नहीं मिल रही हैं।
बुधवार को नंदनगरी से एमसीडी के स्वामी दयानंद अस्पताल में आये शुगर के मरीज राधेश्याम ने बताया कि वह पिछले कई महीनों से यहां से दवाई लेते रहे हैं। परंतु पिछले करीब दो महीने से उन्हें दवाई के काउंटर से बिना दवाई दिये खाली हाथ भेज दिया जाता है। डॉक्टर तो दवाई की पर्ची बनाकर देते हैं लेकिन दवाई के काउंटर पर एक-डेढ़ घंटे के इंतजार के बाद जब नंबर आता है तो कह दिया जाता है कि शुगर की दवाई अस्पताल में नहीं है आपको बाहर से खरीदनी पड़ेगी।
दिलशाद गार्डन से आई मनीषा ने बताया कि उन्हें ब्लड प्रेशर की दवाई पिछले तीन महीने से नहीं दी जा रही है। वह हर महीने यहां आती हैं, डॉक्टर साहब ने पर्ची बनाकर दी है, परंतु जब यहां काउंटर पर लाइन लगाने के बाद नंबर आया तो काउंटर पर मौजूद व्यक्ति ने कहा कि ब्लड प्रेशर की दवाई स्टॉक में नहीं है। उन्होंने बताया कि पिछले महीने और इससे पिछले महीने भी हाई ब्लड प्रेशन की दवाई के लिए मना कर दिया था तो बाहर से खरीदनी पड़ी थी।
एक और मरीज चेतन ने बताया कि अस्पताल में शुगर, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्टरॉल की कोई दवाई मौजूद नहीं हैं। डॉक्टर साहब ने पांच दवाई लिखकर दी थीं, पांच में से तीन दवाईयों के लिए मना कर दिया और दो दवाईयों के लिए कह दिया कि ‘‘पर्ची पर किसी सीनियर डॉक्टर के हस्ताक्षर करवाकर लाओ।’ अब पिछले दो घंटे से चौथी मंजिल पर बैठा हूं, परंतु कोई सीनियर डॉक्टर है ही नहीं। बूढ़ी अम्मा पिछले दो घंटे से कह रही हैं कि सीनियर डॅाक्टर थोड़ी देर में आयेंगे।’’
प्रेस एंड इन्फॉर्मेशन विभाग सहित आला अधिकारियों ने साधी चुप्पी
एमसीडी के अस्पतालों एवं स्वास्थ्य केंद्रों में जरूरी दवाईयों के अकाल के संबंध में पूछे जाने पर प्रेस एंड इन्फॉर्मेशन विभाग सहित आला अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। निदेशक सुमित कुमार को मैसेज के जरिये इस बावत पूछे जाने पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। यही हाल एमसीडी के स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारियों का है। डायरेक्टर हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन डॉ राजेश बंसल को फोन किया गया तो उन्होंने काट दिया। मैसेज के जरिये जानकारी मांगी गई तो उन्होंने भी चुप्पी साध ली। गौरतलब है कि डॉ बंसल बड़े विवादों के बीच कुछ दिन पहले ही इस पद पर बैठाये गये हैं और खास बात यह है कि वह स्वामी दयानंद हॉस्पिटल से ही आये हैं।
सभी अस्पतालों में है समस्या, पॉलिसी मैटर की वजह से नहीं खरीद पाये दवाईयांः एमएस
स्वामी दयानंद अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट (एमएस) डॉ नरोत्तम दास ने बताया कि ‘पॉलिसी मैटर’ की वजह से अस्पताल में दवाईयों की किल्लत आई है। मार्च-अप्रेल तक के लिए दवाईयों के रेट्स की मंजूरी थी, इसके बाद से हमने बार-बार दवाईयों की जरूरत के बारे में एमसीडी मुख्यालय को लिखा है, परंतु वहां से अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। हमने कुछ दवाईयों की खरीदारी की थी जो कि दो-तीन महीने चल गई थीं। हमारे अस्पताल में मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। फिलहाल तीन हजार से 3200 मरीज रोजाना आ रहे हैं। जिसकी वजह से दवाईयां कम पड़ रही हैं। आने वाले दिनों में समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।