-स्टेंडिंग कमेटी के चुनाव के बाद बैठक की कवरेज से मीडिया को रखा गया दूर
-टूटी दशकों पुरानी परंपरा, विपक्ष का सवाल, आखिर क्या छुपाना चाहती है बीजेपी?
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 27 जून।
दिल्ली नगर निगम में स्टेंडिंग कमेटी की चेयरमैन सत्या शर्मा को शुक्रवार को माफी मांगनी पड़ी। एमसीडी में आम आदमी पार्टी के ढाई वर्ष के शासन व बीजेपी के एमसीडी की सत्ता में वापसी के बाद स्टेंडिंग कमेटी की यह पहली बैठक थी। परंतु पहली ही बैठक में बीजेपी को बैकफुट पर आना पड़ा। दरअसल शुक्रवार को हुई स्टेंडिंग कमेटी की बैठक की कवरेज से मीडिया को दूर रखा गया था। सुचिता और पारदर्शिता की नीति पर काम करने वाली बीजेपी के शासन में स्टेंडिंग कमेटी की कवरेज से दूर रखे जाने से मीडियाकर्मियों में भारी नाराजगी छा गई। बता दें कि स्टेंडिंग कमेटी के चुनाव से भी मीडिया को पूरी तरह से दूर रखा गया था और बैठक हॉल में मीडिया कर्मियों की एंट्री को बैन कर दिया गया था।
इसके पश्चात बैठक की कवरेज के लिए सिविक सेंटर पहुंचे मीडिया कर्मियों ने कवरेज का बहिष्कार कर दिया। बैठक के तुरंत बाद स्टेंडिंग कमेटी चेयरमैन की ओर से प्रत्रकार वार्ता बुलाई गई थी। परंतु मीडियाकर्मी ग्राउंड फ्लोर पर स्थित प्रेस कांफ्रेंस रूम में गये ही नहीं। सभी पत्रकार पहली मंजिल पर ही इकट्ठा रहे। प्रेस एवं सूचना विभाग के अधिकारी बार-बार मीडियाकर्मियों को बुलाते रहे परंतु एक भी पत्रकार टस से मस नहीं हुआ।
इसके पश्चात स्टेंडिंग कमेटी चेयरमैन सत्या शर्मा पत्रकारों के बीच आईं और उन्होंने शुक्रवार को हुई परेशानी के लिए मीडियाकर्मियों से माफी मांगी और अगली बैठक से सभी पत्रकारों को कवरेज के लिए बैठक हॉल में बैठने की व्यवस्था का आश्वासन दिया। इसके पश्चात पत्रकारों का गुस्सा शांत तो हुआ परंतु फिर भी विरोध स्वरूप शुक्रवार की प्रेस कांफ्रेंस का बहिष्कार जारी रखा। इसके पश्चात सत्या शर्मा को अपनी प्रेस कांफ्रेंस रद्द करनी पड़ी।
विपक्ष के नेता अंकुश नारंग ने जताया विरोध
मीडियाकर्मियों को स्टेंडिंग कमेटी के हॉल में नहीं जाने देने को लेकर आम आदमी पार्टी के निगम पार्षद और एमसीडी में विपक्ष के नेता अंकुश नारंग बैठक में कड़ा विरोध जताया। उन्होंने कहा कि अब तक हुई सभी बैठकों में मीडियाकर्मियों को कवरेज के लिए हॉल में बुलाया जाता रहा है। फिर अब क्यों उन्हें कवरेज से दूर रखा जा रहा है? उन्होंने पूछा कि बीजेपी ऐसा क्या छुपाना चाहती है, जिसका खुलासा मीडियाकर्मियों के हॉल में अंदर आने से हो सकता है? अंकुश नारंग एवं आप पार्षदों के विरोध के चलते बैठक की कार्यवाही में करीब 15 मिनट तक व्यवधान रहा।
बीजेपी प्रवक्ता ने बताई स्थान की कमी
बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने इस मामले में शुक्रवार को प्रेस वक्तव्य जारी करते हुए आप पार्षद पर आरोप लगाया कि उनकी पार्टी ने ढाई वर्ष तक स्टेंडिंग कमेटी का गठन नहीं होने दिया। जबकि स्थान की कमी की वजह से स्टेंडिंग कमेटी चेयरमैन ने मीडियाकर्मियों को बैठक की कवरेज से दूर रखा था।
उतने ही सदस्य, उतने ही अधिकारी फिर स्थान की कमी कैसे?
गौरतलब है कि जब एमसीडी का मुख्यालय चांदनी चौक के टाउन हॉल में होता था, तभी से स्टेंडिंग कमेटी, सदन और अन्य समितियों की कवरेज के लिए मीडियाकर्मियों को उसी हॉल में स्थान दिया जाता रहा है। जब एमसीडी का मुख्यालय टाउन हॉल से सिविक सेंटर में स्थानांतरित किया गया था, तब भी स्टेंडिंग कमेटी के सदस्यों की संख्या 18 होती थी। इस बैठक में आयुक्त के साथ अतिरिक्त आयुक्त, जोन उपायुक्त और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते थे। तब एमसीडी के तीन हिस्से नहीं हुए थे, तब भी मीडियाकर्मी कवरेज के लिए बैठक हॉल में ही बैठा करते थे। इसके पश्चात एमसीडी तीन हिस्सों में बंटा और अलग अलग बैठकें होने लगीं। तब भी मीडियाकर्मी बैठक हॉल में ही रहकर कवरेज करते थे। इसके पश्चात फिर से तीनों नगर निगमों को मिलाकर एक निगम बनाया गया। इसके पश्चात स्टेंडिंग कमेटी की यह पहली बैठक थी, जब एमसीडी के इतिहास में पत्रकारों को बैठक की कवरेज से दूर रखा गया। जबकि पार्षदों एवं निगम अधिकारियों की संख्या उतनी ही रही। फिर बैठक हॉल कैसे छोटा पड़ गया। जबकि बैठक की वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि बैठक हॉल की आधी से ज्यादा सीटें खाली पड़ी हैं। ऐसे में बीजेपी का यह कहना कि स्थान की कमी की वजह से मीडिया को कवरेज से दूर रखा गया, केवल अपनी कमी को छुपाने का एक बहाना मात्र दिखाई देता है।